माँ श्यामा की परछाईं में संकल्पों की आरती: दरभंगा गौशाला की सुधि से हजारीनाथ मंदिर के जीर्णोद्धार तक, तीन करोड़ के विकास संकल्पों पर माँ श्यामा न्यास समिति की ऐतिहासिक बैठक में उठे आस्था, सेवा और संस्कार के स्वर
दरभंगा की धरती पर फिर एक बार धर्म, संस्कृति और सेवा का अद्भुत संगम देखने को मिला। माँ श्यामा मंदिर न्यास समिति की बैठक एक साधारण कार्यक्रम नहीं था, बल्कि यह एक ऐसा ऐलान था जो मिथिला की अस्मिता, श्रद्धा और सामाजिक चेतना को नई दिशा देने जा रहा है।बैठक की अध्यक्षता करते हुए न्यास समिति के संरक्षक, बिहार सरकार के राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री संजय सरावगी ने जब यह कहा कि "माँ श्यामा मंदिर सिर्फ एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि हमारी आस्था का जीवंत केंद्र है", तब उपस्थित सभी सदस्य एकमत थे यह सिर्फ शब्द नहीं, संकल्प है. पढ़े पुरी खबर......

दरभंगा की धरती पर फिर एक बार धर्म, संस्कृति और सेवा का अद्भुत संगम देखने को मिला। माँ श्यामा मंदिर न्यास समिति की बैठक एक साधारण कार्यक्रम नहीं था, बल्कि यह एक ऐसा ऐलान था जो मिथिला की अस्मिता, श्रद्धा और सामाजिक चेतना को नई दिशा देने जा रहा है।बैठक की अध्यक्षता करते हुए न्यास समिति के संरक्षक, बिहार सरकार के राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री संजय सरावगी ने जब यह कहा कि "माँ श्यामा मंदिर सिर्फ एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि हमारी आस्था का जीवंत केंद्र है", तब उपस्थित सभी सदस्य एकमत थे यह सिर्फ शब्द नहीं, संकल्प है।
गौशाला की सुधि: अब गायें नहीं रहेंगी उपेक्षित: बैठक में सबसे पहले दरभंगा गौशाला की बात उठी। समिति ने सर्वसम्मति से निर्णय लिया कि वहाँ रह रही 9 अनाथ गायों की देखभाल का पूरा खर्च न्यास समिति उठाएगी। मंत्री श्री सरावगी ने सुझाव दिया कि इस खर्च में थोड़ी और वृद्धि की जाए ताकि किसी भी गोवंश को कोई कमी महसूस न हो। उनका यह भाव केवल प्रशासनिक निर्णय नहीं था, यह एक गौसेवा के प्रति श्रद्धा की मिसाल थी।
श्यामा थाली: स्वाद, सेवा और सम्मान: आज जब महंगे भोजन और दिखावे का समय है, तब श्यामा मंदिर परिसर में "श्यामा थाली" नाम से गरीब और श्रद्धालुओं के लिए गुणवत्तापूर्ण, स्वादिष्ट और भरपेट भोजन की योजना चलाई जा रही है। मंत्री जी ने भोजन की गुणवत्ता पर विशेष ध्यान देने की बात कही "यह भोजन सिर्फ पेट भरने के लिए नहीं, यह माँ की प्रसादी है। इसमें सम्मान और स्नेह का स्वाद होना चाहिए।"
तीन करोड़ का वार्षिक बजट: हर कोने में होगा विकास: बैठक में वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए तीन करोड़ रुपये का बजट सर्वसम्मति से पारित किया गया। यह बजट केवल मंदिर के रखरखाव के लिए नहीं, बल्कि समाज के हर तबके की भलाई के लिए समर्पित होगा।
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बाबा हजारीनाथ मंदिर का जीर्णोद्धार: मिथिला का एक और तीर्थ संवरने को तैयार: हर साल न्यास समिति एक पुराने पवित्र मंदिर के जीर्णोद्धार का निर्णय लेती है। इस बार बाबा हजारीनाथ मंदिर को चुना गया है। यह मंदिर भी बिहार राज्य धार्मिक न्यास बोर्ड में पंजीकृत है, और अब इसकी रौनक वापस लाने की जिम्मेदारी श्यामा मंदिर न्यास समिति ने उठाई है।
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पुनौरा धाम में माँ जानकी मंदिर निर्माण में भी सहभागिता: बैठक में यह प्रस्ताव भी पारित हुआ कि भविष्य में पुनौरा धाम, सीतामढ़ी में माँ जानकी मंदिर के निर्माण में भी माँ श्यामा मंदिर की भागीदारी होगी। यह निर्णय सिर्फ एक धार्मिक विस्तार नहीं है, यह सीता-मिथिला की विरासत को जोड़ने वाला सेतु है।
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भक्तों की सुविधा के लिए एक से बढ़कर एक योजनाएँ: बैठक में अनेक विकासात्मक योजनाओं पर विस्तार से चर्चा की गई, जिनमें कुछ प्रमुख हैं: माँ श्यामा चिकित्सालय शीघ्र प्रारंभ होगा। इसका उद्देश्य सस्ते और प्रभावी इलाज के माध्यम से भक्तों को सेवा देना है।
दैनिक सत्संग की शुरुआत होगी, जिसके संयोजन की जिम्मेदारी प्रो. जयशंकर झा को सौंपी गई है।
विश्राम भवन में बिस्तर, लॉकर और वाहन स्टैंड की व्यवस्था होगी।
रिवर्स ऑस्मोसिस (RO) पीने का पानी पूरे परिसर में उपलब्ध कराया जाएगा।
गंदगी प्रबंधन, हरियाली, पार्क और सार्वजनिक शौचालय के निर्माण पर बल दिया गया।
परिसर में मांगलिक कार्यों के लिए भव्य विवाह भवन का आधुनिकीकरण किया जाएगा।
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कर्मियों और पंडितों की नियुक्ति में पारदर्शिता: चार विशिष्ट पंडितों की नियुक्ति की स्वीकृति दी गई। यह भी तय किया गया कि उनकी न्यूनतम योग्यता आचार्य या कर्मकांड में शास्त्रीय शिक्षा होगी। सभी कर्मियों से उनके मूल पद के अनुरूप कार्य लिया जाएगा। साथ ही यह निर्देश भी दिया गया कि कोई भी कर्मचारी भक्तों से मांगलिक कार्यों हेतु अतिरिक्त राशि नहीं लेगा ऐसा पाए जाने पर कठोर कार्रवाई की जाएगी।
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जिलाधिकारी कौशल कुमार: प्रशासन और आस्था का समर्पण: नव नियुक्त सचिव सह जिलाधिकारी कौशल कुमार ने कहा, “माँ श्यामा मंदिर सिर्फ ईंट-पत्थर का नहीं, भावनाओं का मंदिर है। मैं वर्षों से इसे देखता आ रहा हूँ और यथासंभव इसका विकास मेरी प्राथमिकता है।” उन्होंने भक्तों की सुविधा, कर्मियों की जवाबदेही और मंदिर की गरिमा बढ़ाने पर बल दिया।
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मधुबाला सिन्हा: संयोजन और सेवा का समर्पित उदाहरण: बैठक का संचालन करते हुए प्रभारी सह-सचिव मधुबाला सिन्हा ने सभी न्यासियों से अपील की कि वे समय निकालें और माँ के काम में अपना योगदान दें। उन्होंने परिसर में साफ-सफाई, कचरा प्रबंधन और विकास कार्यों की निगरानी का संकल्प भी दोहराया।
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श्रद्धांजलि और सम्मान: परंपरा के प्रति आभार: बैठक की शुरुआत प्रो. संतोष पासवान के वैदिक मंगलाचरण से हुई। अंत में महाराजा रमेश्वर सिंह को उनकी पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि दी गई वे ही थे जिन्होंने माँ श्यामा मंदिर की नींव रखी थी। मंत्री संजय सरावगी और सचिव कौशल कुमार का माँ की चुनरी और पुष्पवर्षा से अभिनंदन किया गया। दरभंगा का माँ श्यामा मंदिर न सिर्फ श्रद्धा का केंद्र है, बल्कि सांस्कृतिक चेतना, सामाजिक सेवा और प्रशासनिक सक्रियता का अनोखा संगम बन चुका है। इस बैठक में लिए गए निर्णय सिर्फ कागज़ के नहीं, ये वो दीपक हैं जो आने वाले वर्षों में हज़ारों भक्तों के जीवन को आलोकित करेंगे।