फुलवारी शरीफ से आये थे दो नकाबपोश दरभंगा को बनाना था अपराध का अड्डा, पर विश्वविद्यालय थाना के तेज़ कमान ने कर दिया उनका खात्मा!
रात की स्याही में जब शहर अपने ख्वाबों में खोया था, तब दरभंगा के विश्वविद्यालय थाना क्षेत्र में कुछ और ही लिखा जा रहा था एक साजिश... एक छुपी हुई तैयारी... और एक ऐसी दस्तक जो अपराध के दस्तावेज़ पर दरभंगा का नाम फिर से दर्ज करवा देती. पढ़े पुरी खबर......

दरभंगा: रात की स्याही में जब शहर अपने ख्वाबों में खोया था, तब दरभंगा के विश्वविद्यालय थाना क्षेत्र में कुछ और ही लिखा जा रहा था एक साजिश... एक छुपी हुई तैयारी... और एक ऐसी दस्तक जो अपराध के दस्तावेज़ पर दरभंगा का नाम फिर से दर्ज करवा देती।
ADVERTISEMENT
रात के सन्नाटे में... 28 जून की रात। दिल्ली मोड़ के पास स्थित डायमंड कॉम्प्लेक्स, जो आम दिनों में प्रॉपर्टी डीलिंग का केंद्र होता है, उस रात एक रहस्यमयी अड्डा बन चुका था। बैंक ऑफ बड़ौदा की छांव में बसे आर्यन डेवलपर्स प्रा. लि. के बंद दरवाजों के पीछे कोई खेल खेला जा रहा था। खबर आई दो अजनबी, संदिग्ध चाल-ढाल वाले लोग वहाँ डेरा जमाए हुए हैं। और ये सिर्फ मुसाफिर नहीं थे... ये थे अपराध की पगडंडी से आये भटकते राही, जिनकी राह में अब दरभंगा पुलिस दीवार बन कर खड़ी थी।
ADVERTISEMENT
थाना प्रभारी सुधीर कुमार की अगुवाई में... जैसे ही खबर मिली, विश्वविद्यालय थाना के तेजतर्रार थानाध्यक्ष सुधीर कुमार ने एक क्षण की भी देरी किए बिना टीम को अलर्ट किया। पुलिस का काफिला डायमंड कॉम्प्लेक्स की ओर बढ़ चला। नक्से की तरह हर कोने को घेरे, हर आवाज़ को पढ़ते हुए, टीम ने चौतरफा घेराबंदी कर दी। और फिर अचानक हुआ छापा!
ADVERTISEMENT
अंदर जो मिला, वो चौकाने वाला था... तिजोरी नहीं, लेकिन अपराध की लाशें बिखरी थीं सामने
एक पिस्टल, लोडेड!
एक मैगजीन, तैयार!
छः जिंदा कारतूस, शांत दिखते लेकिन खतरनाक इरादों के गवाह।
चार एंड्रॉयड मोबाइल फोन, जिनमें दर्ज हैं राज और शायद आगे की साजिशें।
₹2.5 लाख की नगदी, जो किसी सौदे का हिस्सा हो सकती थी, या किसी अपराध की कीमत।
और फिर हुआ पर्दाफाश: जिन दो लोगों को हिरासत में लिया गया, उनके चेहरे को कपड़ों से ढंका गया था लेकिन अपराध की बू उनके शरीर से टपक रही थी। नाम पूछने पर जो सामने आया, वो पटना की फुलवारी शरीफ से जुड़ा था।
1.मो० नूर उर्फ लाल बाबू, पिता स्व. मो० कलीम, लहियारचक, गनपुरा, थाना फुलवारी शरीफ, जिला पटना।
2.मो० फरहान, पिता मो० इरफान, इशोपुर पुरानी मस्जिद, थाना फुलवारी शरीफ, जिला पटना।
दोनों वही थे, जिन्हें पुलिस वर्षों से तलाश रही थी। पूछताछ के दौरान दोनों की आंखों में न चालाकी थी, न पछतावा जैसे वो जानते थे कि एक दिन ये होना ही था।
ADVERTISEMENT
पटना से दरभंगा क्यों?
यह अब जांच का सबसे बड़ा प्रश्न बन गया है। क्या ये महज़ एक रुकने की जगह थी? या दरभंगा अब अपराधियों के लिए नया आश्रय बनता जा रहा है? क्या कोई बड़ी योजना आकार ले रही थी? पुलिस ने फुलवारी शरीफ थाने से संपर्क साध लिया है। हो सकता है दोनों किसी गिरोह के सदस्य हों, जो दिल्ली, लखनऊ या नेपाल के रास्ते मिथिला को एक नया ठिकाना बनाना चाहते हों।
ADVERTISEMENT
छापेमारी दल: जिन्हें सलाम किया जाना चाहिए इस ऑपरेशन में शामिल हर पुलिसकर्मी अपने कर्तव्य की मिसाल बन गया।
1. सुधीर कुमार, पु.नि. सह थानाध्यक्ष
2. धीरेन्द्र कुमार गुप्ता, प्र.पु.अ.नि.
3. नौशाद अंसारी, प्र.पु.अ.नि.
4. अभिषेक कुमार मांझी, प्र.पु.अ.नि.
5. सिपाही मनीष कुमार (C-691)
6. सिपाही धर्मेन्द्र कुमार पन्ना (C-1451)
इनकी सतर्कता और साहस से आज एक बड़ा अनहोनी टल गया।
ADVERTISEMENT
थानाध्यक्ष सुधीर कुमार का बयान: हम लगातार अपराधियों की हरकतों पर नजर बनाए हुए हैं। ये गिरफ्तारी दरभंगा पुलिस की प्रतिबद्धता को दर्शाती है। यह सिर्फ दो अपराधियों की गिरफ्तारी नहीं, बल्कि उन तमाम मंसूबों की विफलता है जो दरभंगा की शांति भंग करना चाहते हैं। पूछताछ जारी है। हम इनके नेटवर्क को तोड़ने की दिशा में आगे बढ़ चुके हैं।
ADVERTISEMENT
कानूनी कार्रवाई: गिरफ्तार अभियुक्तों पर विश्वविद्यालय थाना कांड सं. 155/25, दिनांक 28.06.2025, अंतर्गत धारा 25 (1-बी) ए/26/35 आर्म्स एक्ट के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है। अपराधियों को न्यायिक हिरासत में भेजा गया है और अनुसंधान तेज़ी से चल रहा है।
ADVERTISEMENT
क्या कहता है शहर?
इस गिरफ्तारी से शहर में एक तरफ पुलिस की सक्रियता की सराहना हो रही है, वहीं दूसरी ओर चिंता भी है कि आखिर इन अपराधियों को दरभंगा में ठिकाना क्यों और कैसे मिला? क्या प्रॉपर्टी डीलिंग की आड़ में अपराधी नेटवर्क फल-फूल रहा है?
ADVERTISEMENT
दरभंगा की मिट्टी विद्वानों की भूमि रही है लेकिन अब अपराधियों की आंखें भी इसी धरती पर टिकी हैं। ये घटना चेतावनी है कि अपराध अपने रंग बदलकर दस्तक दे रहा है। पुलिस को और चौकस होना होगा, समाज को और सजग। क्योंकि ये सिर्फ गिरफ्तारियाँ नहीं हैं... ये उस बड़ी लड़ाई का हिस्सा हैं, जो अपराध और कानून के बीच वर्षों से चल रही है और दरभंगा अब उसका नया मैदान बनता जा रहा है।