दरभंगा में माँ भगवती मंदिर के गर्भगृह में घुसकर सात पिंड तोड़े गए, रक्त के छींटे और टूटी आस्था के बीच दहशत में मदारपुर: मंदिर में घुसा चंडाल, CCTV से खुला राज, आरोपी किशोर मानसिक बीमार शहर में तनाव, छह थानों की पुलिस तैनात!

वह नगरी, जिसे मिथिला की आत्मा कहा जाता है। वह भूमि, जहाँ सुबहें मंत्रों की गूंज से और शामें शंखध्वनि से जगती हैं। जहाँ माँ भगवती केवल एक मूर्ति नहीं, बल्कि जन-जन की जीवित चेतना हैं। और इसी नगरी में, शनिवार की रात कुछ ऐसा घटा जिसने आस्था के आंगन को अश्रुओं में डुबो दिया. पढ़े पुरी खबर........

दरभंगा में माँ भगवती मंदिर के गर्भगृह में घुसकर सात पिंड तोड़े गए, रक्त के छींटे और टूटी आस्था के बीच दहशत में मदारपुर: मंदिर में घुसा चंडाल, CCTV से खुला राज, आरोपी किशोर मानसिक बीमार शहर में तनाव, छह थानों की पुलिस तैनात!
दरभंगा में माँ भगवती मंदिर के गर्भगृह में घुसकर सात पिंड तोड़े गए, रक्त के छींटे और टूटी आस्था के बीच दहशत में मदारपुर: मंदिर में घुसा चंडाल, CCTV से खुला राज, आरोपी किशोर मानसिक बीमार शहर में तनाव, छह थानों की पुलिस तैनात!

दरभंगा: वह नगरी, जिसे मिथिला की आत्मा कहा जाता है। वह भूमि, जहाँ सुबहें मंत्रों की गूंज से और शामें शंखध्वनि से जगती हैं। जहाँ माँ भगवती केवल एक मूर्ति नहीं, बल्कि जन-जन की जीवित चेतना हैं। और इसी नगरी में, शनिवार की रात कुछ ऐसा घटा जिसने आस्था के आंगन को अश्रुओं में डुबो दिया।

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लहेरियासराय थाना क्षेत्र के मदारपुर स्थित माँ भगवती मंदिर में रात्रि के अंधकार में वह हुआ, जिसे शब्दों में पिरोना भी अपवित्रता की अनुभूति देता है। मंदिर के गर्भगृह में घुसकर अज्ञात असामाजिक तत्वों ने सात पिंडों को तोड़ दिया। मिट्टी से बनी श्रद्धा की प्रतिमाएं खंडित पड़ी थीं। भगवती की शिलाखंड टूटी हुई, और उनके चरणों के पास फैला हुआ रक्त जैसा कुछ यह केवल एक मंदिर में तोड़फोड़ नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक नास्तिकता की ललकार थी।

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सुबह जब मंदिर के पुजारी वहां पहुँचे, तो मंदिर का दृश्य देख उनके होंठों से मंत्र नहीं, बल्कि रुद्ध श्वास निकली। “माँ टूट गई हैं” इतना कहकर वे वहीं बैठ गए। उनके आँसू मंदिर के फर्श को भिगो रहे थे, और साथ ही सैकड़ों लोगों के मन को भी। शहर में खबर फैली और देखते ही देखते पूरा मदारपुर जनशोक और आक्रोश का केन्द्र बन गया।

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आस्था का अपमान या साजिश? स्थानीय नागरिक अंकुर गुप्ता ने बताया कि मंदिर में सातों पिंड टूटे पाए गए। “यह हमारे शहर की शांति पर हमला है,” उन्होंने कांपते स्वर में कहा। “माँ के पवित्र स्थान को अपवित्र किया गया, और वहाँ खून के छींटे भी देखे गए। यह केवल विक्षिप्तता नहीं हो सकती। यह कुछ बड़ा है।” वहीं, एक वृद्धा विमला देवी, जो रोज उस मंदिर में दीप जलाती थीं, बेसुध सी चिल्लाई “जिसने माँ को तोड़ा है, उसे धरती निगल ले। ऐसा अपराध क्षमा नहीं हो सकता, उसे फांसी दी जानी चाहिए।”

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प्रशासन की तात्कालिकता और ताला बंद मंदिर: सुचना मिलते ही एसडीपीओ अमित कुमार भारी पुलिस बल के साथ मौके पर पहुँचे। प्रभारी एसडीएम संजीत कुमार ने हालात को नियंत्रित करने हेतु मंदिर में ताला जड़वा दिया। पवित्रता की पुनर्स्थापना से पहले अब भीतर कोई नहीं जा सकता। लेकिन लोगों का रोष बढ़ता ही गया दोषी की गिरफ्तारी पहले हो, पुनर्निर्माण बाद में। दरभंगा पुलिस ने घटना को गंभीरता से लिया। सदर, बेनीपुर, बिरौल सहित छह थानों की पुलिस मंदिर के चारों ओर तैनात की गई। गली-गली में लगे सीसीटीवी कैमरे खंगाले गए। रात 11 बजे के बाद की फुटेजों की जांच की गई।

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और फिर आया प्रशासनिक निष्कर्ष मानसिक रोगी: सीसीटीवी की मदद से पुलिस एक 17 वर्षीय लड़के के घर पहुँची। एसडीपीओ अमित कुमार ने कहा कि लड़का मानसिक रूप से विक्षिप्त है। वह गेट फांद कर भीतर गया और पिंडों को नुकसान पहुँचाया। यह सुनते ही लोग हतप्रभ रह गए। क्या इतनी सहजता से इस भयावह घटना को केवल “मानसिक विक्षिप्तता” कह देना पर्याप्त है? क्या यह प्रशासन की तात्कालिक राहत है या एक गहरी साजिश पर पर्दा डालने की कोशिश?

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सवाल उठते हैं… गूंजते हैं… और झकझोरते हैं: क्या एक विक्षिप्त किशोर इतनी चतुराई से मंदिर में घुस सकता है, बिना किसी को खबर हुए? अगर वह मानसिक रूप से अस्वस्थ था, तो उसके परिजन कहाँ थे? क्या मंदिर जैसे संरक्षित स्थल की सुरक्षा इतनी लचर थी कि कोई भी रात में आकर तोड़फोड़ कर जाए? और सबसे बड़ा सवाल क्या यह पहली घटना है, या ऐसी और भी घटनाओं की नींव रखी जा रही है?

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संवेदनशीलता बनाम प्रशासनिक त्वरित समाधान: दरभंगा जैसे शहर में, जहाँ धर्म केवल आस्था नहीं, जीवनशैली है ऐसी घटनाएँ केवल कानून व्यवस्था की दृष्टि से नहीं, सांस्कृतिक अस्तित्व की दृष्टि से देखी जानी चाहिए। जब मां भगवती की मूर्ति टूटती है, तो वह केवल एक मूर्तिशिल्प का खंडन नहीं होता, वह मिथिला की अस्मिता का क्षरण होता है। प्रभारी एसडीएम संजीत कुमार ने अपील की “कोई अफवाह न फैलाए, माहौल न बिगाड़े।” यह आवश्यक भी है, परंतु क्या प्रशासन की सबसे बड़ी जिम्मेदारी यही नहीं कि वह सत्य को सामने लाए?

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जनता की माँग पुनः प्रतिष्ठा से पहले न्याय: स्थानीय जन अब यह माँग कर रहे हैं कि माँ भगवती की पुनः स्थापना तभी हो, जब दोषी स्पष्ट रूप से चिन्हित हो जाए और उसे सज़ा मिले। “माँ की मूर्ति तो फिर बन जाएगी,” एक बुजुर्ग ने कहा, “पर हम अपनी आत्मा को कैसे समझाएँगे कि दोषी अब भी आज़ाद घूम रहा है?”

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अंतिम प्रश्न क्या हमारी आस्थाएँ अब असुरक्षित हैं? यह खबर आज दरभंगा की है, कल किसी और नगर की हो सकती है। यदि ऐसे कृत्यों को मानसिक रोग, विक्षिप्तता, या एकाकी घटना कहकर छोड़ दिया गया, तो यह परंपरा नहीं बचेगी, यह संस्कृति नष्ट हो जाएगी। माँ भगवती की टूटी मूर्ति इस समय केवल मंदिर के फर्श पर नहीं पड़ी, वह हर उस दिल के भीतर टूट रही है जो मिथिला से प्रेम करता है। जो धर्म को, परंपरा को, और माँ को माँ मानता है।

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(यह रिपोर्ट किसी प्रकार की अफवाह या सांप्रदायिक भावना को भड़काने के लिए नहीं, बल्कि घटना के गहन विश्लेषण हेतु प्रस्तुत की गई है। सभी जानकारी तथ्य और प्रत्यक्षदर्शियों के बयानों पर आधारित है।)