दरभंगा नृत्य उत्सव के लिए नृत्य परीक्षक ने अपनी विधा में कलाकारों की भाव- भंगिता को दिया रूप
आगामी 02 अप्रैल को कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय प्रांगण में आयोजित दरभंगा नृत्य उत्सव -2023 के लिए सृष्टि फाउंडेशन के सभागार में विगत 26 मार्च से चले आ रहे कार्यशाला में आज नृत्योत्स्व में प्रस्तुत होने वाले विभिन्न नृत्यों के निमित्त शरीर के विभिन्न अंगों के संचालन के क्रम एवं रूप के भाव भंगिमा को अंतिम रूप दिया गया है. पढ़े पूरी खबर....
दरभंगा:- आगामी 02 अप्रैल को कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय प्रांगण में आयोजित दरभंगा नृत्य उत्सव -2023 के लिए सृष्टि फाउंडेशन के सभागार में विगत 26 मार्च से चले आ रहे कार्यशाला में आज नृत्योत्स्व में प्रस्तुत होने वाले विभिन्न नृत्यों के निमित्त शरीर के विभिन्न अंगों के संचालन के क्रम एवं रूप के भाव भंगिमा को अंतिम रूप दिया गया है।
ओडिशी नृत्य के प्रशिक्षण गुरु साचिकान्त प्रधान एवं उनके टीम द्वारा मुक्ताकाश मंच को ध्यान में रखा गया है। छोटे-छोटे बच्चों द्वारा किया जाने वाला नृत्य नागेंद्र हाराय, तत्पश्चात बटु नृत्य जिसमें चौक और त्रिभंगी को दर्शाया गया है। उसके बाद संगीतात्मक संयोजन आधारित नृत्य पल्लवी को अंतिम रूप दिया गया। वही दूसरी ओर कथक नृत्य और वेस्टर्न नृत्य के शिक्षक गुरु मोनू राय ने बताया कि कथक के तीन ताल और भगवान श्री गणेश की स्तुति को पूरा किया जा रहा है, साथ ही ऐतिहासिक बनाने के लिए बार बार नृत्यों को दोहराया जा रहा है।
गायन के गुरु दिव्यांशु शेखर झा ने कहा कि इस कार्यशाला में बच्चों को स्वागत गीत और सरस्वती वंदना की अभ्यास किया जा रहा है। जिस तरह का माहौल सृष्टि फाउंडेशन का है, उस से सब कलाकार इतने उत्साहित हैं कि इन्हें प्रैक्टिस से भी थकान नहीं हो रहा है, इसलिए गायन की तैयारी लगभग पूरी हो चुकी है, पर अभी दो दिन और निरंतर अभ्यास चलता रहेगा। इस महोत्सव में लगभग 5 दर्जन संस्थान के बच्चे भाग लेंगे। साथ ही ज्ञात हो की संस्कृत विश्व विद्यालय के दरबार हॉल में सुबह के दस बजे से ही मिथिलांचल के नव अंकुरित बच्चे अपने अपने विधाओं का प्रदर्शन करेंगे । इस में प्रतिभाग लेने वाले मिथिलांचल के कलाकारों का रजिस्ट्रेशन 26 मार्च से चल रहा है, तथा 31 मार्च तक होना है।