दरभंगा की धरती पर गूंजा विजय का घोष : ननौरा में 60 फीट और केवटी में 50 फीट रावण का हुआ दहन, हजारों की भीड़ के जयकारों से कांपा आसमान, बुराई पर अच्छाई की विजय के ऐतिहासिक पर्व में प्रशासन ने रखा सुरक्षा का पूरा पहरा

विजयादशमी का पर्व एक बार फिर मिथिला की धरती पर आस्था, उल्लास और सांस्कृतिक धरोहर का साक्षी बना। दरभंगा प्रखंड के ननौरा और केवटी में रावण वध के भव्य आयोजन ने हजारों लोगों को आकर्षित किया। चारों ओर “जय श्रीराम”, “जय हनुमान” और “जय मां दुर्गा” के गगनभेदी नारे गूंजते रहे। मानो पूरा वातावरण देवत्वमय हो उठा हो. पढ़े पूरी खबर......

दरभंगा की धरती पर गूंजा विजय का घोष : ननौरा में 60 फीट और केवटी में 50 फीट रावण का हुआ दहन, हजारों की भीड़ के जयकारों से कांपा आसमान, बुराई पर अच्छाई की विजय के ऐतिहासिक पर्व में प्रशासन ने रखा सुरक्षा का पूरा पहरा
दरभंगा की धरती पर गूंजा विजय का घोष : ननौरा में 60 फीट और केवटी में 50 फीट रावण का हुआ दहन, हजारों की भीड़ के जयकारों से कांपा आसमान, बुराई पर अच्छाई की विजय के ऐतिहासिक पर्व में प्रशासन ने रखा सुरक्षा का पूरा पहरा

दरभंगा। विजयादशमी का पर्व एक बार फिर मिथिला की धरती पर आस्था, उल्लास और सांस्कृतिक धरोहर का साक्षी बना। दरभंगा प्रखंड के ननौरा और केवटी में रावण वध के भव्य आयोजन ने हजारों लोगों को आकर्षित किया। चारों ओर “जय श्रीराम”, “जय हनुमान” और “जय मां दुर्गा” के गगनभेदी नारे गूंजते रहे। मानो पूरा वातावरण देवत्वमय हो उठा हो।

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ननौरा में 60 फीट ऊँचे रावण का वध: ननौरा में श्री-श्री 108 सार्वजनिक दुर्गा पूजा समिति के तत्वावधान में केशरवा पोखर भिंडा पर यह कार्यक्रम आयोजित किया गया। सैकड़ों वर्षों से चली आ रही इस परंपरा को देखने हजारों लोग उमड़ पड़े। पूरा पोखर किनारा, मंदिर परिसर और आस-पास का इलाका जनसैलाब में तब्दील हो गया।राम और रावण के बीच करीब एक घंटे तक चली वाकयुद्ध ने लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया। मंच पर हुए इस संवाद ने रामायण काल की स्मृतियों को सजीव कर दिया। राम की भूमिका अवकाश प्राप्त शिक्षक रामउदार यादव एवं मॉडर्न इंग्लिश एकेडमी, ननौरा के निदेशक रमेश कुमार साहु ने संयुक्त रूप से निभाई। वहीं रावण की भूमिका में विसुनदेव यादव के प्रभावी अभिनय ने दर्शकों का ध्यान खींचा। जैसे ही अग्निबाण रावण के पुतले से टकराया, 60 फीट ऊँचा वह विशालकाय रावण धधक उठा। अग्निशिखाओं से लिपटे रावण के गिरते ही पूरा मैदान “जय श्रीराम” के उद्घोष से गूंज उठा।

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उमड़ा जनसैलाब: कार्यक्रम में इतनी भीड़ उमड़ी कि मंदिर परिसर और पोखर भिंडा तो पूरी तरह भर गया, शेष हजारों लोग बाहर से ही रावण वध का नजारा देखने को विवश रहे। लेकिन भीड़ में अनुशासन और श्रद्धा का दृश्य देखने लायक था। बच्चे, बुजुर्ग, महिलाएँ और नौजवान सबकी आँखों में उल्लास और चेहरे पर विजय का भाव साफ झलक रहा था।

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सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम: इस मौके पर प्रशासन ने सुरक्षा व्यवस्था में कोई कमी नहीं छोड़ी। दंडाधिकारी सह बीपीआरओ जयप्रकाश मंडल और केवटी थाने के पुलिस अवर निरीक्षक संजय कुमार सिंह के नेतृत्व में पर्याप्त संख्या में पुलिस बल की तैनाती की गई। भीड़ को नियंत्रित रखने और किसी अप्रिय घटना से बचाव के लिए पूरा आयोजन सीसीटीवी कैमरे की निगरानी में रखा गया।

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केवटी में भी हुआ भव्य आयोजन: उधर, केवटी में भी दुर्गा पूजा समिति के तत्वावधान में रावण वध का कार्यक्रम धूमधाम से मनाया गया। यहाँ 50 फीट ऊँचे रावण का पुतला दहन किया गया। जैसे ही पुतला जला, रात का अंधकार अग्निशिखाओं से आलोकित हो उठा और हजारों लोगों के जयघोष से पूरा क्षेत्र गूंज उठा।

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सांस्कृतिक धरोहर और सामाजिक संदेश: विजयादशमी का यह आयोजन न सिर्फ़ धार्मिक परंपरा का प्रतीक है, बल्कि सामाजिक और नैतिक संदेश भी देता है कि चाहे बुराई कितनी भी ताकतवर क्यों न हो, अंत में विजय सदैव अच्छाई की ही होती है। ननौरा और केवटी की धरती पर रावण दहन ने यही संदेश एक बार फिर जनमानस के हृदय में अंकित कर दिया।

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श्रद्धा और उल्लास का संगम: आयोजन में आए श्रद्धालु न केवल धार्मिक उत्साह से भरे थे, बल्कि सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण का संकल्प भी उनके मन में झलक रहा था। आसमान में आतिशबाजी, चारों ओर गूंजते जयघोष और जलते रावण के दृश्य ने विजयादशमी की रात को अविस्मरणीय बना दिया। इस प्रकार दरभंगा की पावन धरा पर ननौरा और केवटी में रावण वध का यह भव्य आयोजन एक बार फिर साबित कर गया कि आस्था और परंपरा का यह उत्सव आज भी उतनी ही श्रद्धा और जोश के साथ जीवित है जितना सदियों पहले था।