जेईई एडवांस्ड 2025 में ओमेगा स्टडी सेंटर दरभंगा ने रचा इतिहास: 'मिथिला जन जन की आवाज़' की इस विशेष रिपोर्ट में पढ़िए कैसे गाँव-गली के विद्यार्थियों ने रैंक की दीवारें तोड़ीं और आईआईटी के शिखर पर लहराया दरभंगा का परचम
जब मेहनत, समर्पण और सही मार्गदर्शन एक साथ मिलते हैं, तो सफलता की नई इबारतें लिखी जाती हैं। दरभंगा के मिर्जापुर स्थित ओमेगा स्टडी सेंटर ने जेईई एडवांस्ड 2025 में अपने विद्यार्थियों की ऐतिहासिक सफलता के साथ मिथिला के शैक्षणिक परिदृश्य में एक नया अध्याय जोड़ा है. पढ़े पुरी खबर.......

दरभंगा: जब मेहनत, समर्पण और सही मार्गदर्शन एक साथ मिलते हैं, तो सफलता की नई इबारतें लिखी जाती हैं। दरभंगा के मिर्जापुर स्थित ओमेगा स्टडी सेंटर ने जेईई एडवांस्ड 2025 में अपने विद्यार्थियों की ऐतिहासिक सफलता के साथ मिथिला के शैक्षणिक परिदृश्य में एक नया अध्याय जोड़ा है।
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उत्कृष्ट प्रदर्शन: नितेश आनंद की उपलब्धि: संस्थान के छात्र नितेश आनंद ने जेईई एडवांस्ड 2025 में अपने वर्ग में ऑल इंडिया रैंक 179 प्राप्त कर राज्य स्तर पर उत्कृष्टता का परिचय दिया। इससे पहले, उन्होंने जेईई मेन्स 2025 में 99.94 पर्सेंटाइल हासिल कर बिहार का नाम रोशन किया था।
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अन्य विद्यार्थियों की उल्लेखनीय सफलता: ओमेगा स्टडी सेंटर के अन्य छात्रों ने भी शानदार प्रदर्शन किया:
उमंग कुमार – AIR 3620
भास्कर कुमार – AIR 3370
अभिनव आनंद – AIR 4496
आदित्य सिन्हा – AIR 5513
मोहम्मद सादिक – AIR 6008
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इसके अतिरिक्त, मानस, अंशु, मयंक, अर्पित सहित कई छात्रों ने उल्लेखनीय रैंक प्राप्त कर यह सिद्ध किया कि दृढ़ संकल्प और उचित मार्गदर्शन से कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं है।
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संस्थान की उपलब्धियाँ: ओमेगा स्टडी सेंटर ने अब तक 206 से अधिक छात्रों को आईआईटी और 691 से अधिक छात्रों को एनआईटी में प्रवेश दिलाया है। संस्थान के चेयरमैन सुमन कुमार ठाकुर और मैनेजिंग डायरेक्टर सुमित कुमार चौबे के नेतृत्व में, यह सफलता संभव हो पाई है।
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शिक्षकों और प्रबंधन की भूमिका: संस्थान की सफलता में शिक्षकों और प्रबंधन की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। विशेष रूप से आशीष ओझा, रौशन कुमार, ए.के.एम., रुपेश कुमार, डी.के.एस., एन.के.एस., जे.के., रोहित कुमार, विनोद कुमार, डी.के., पंकज कुमार जैसे अनुभवी शिक्षकों ने छात्रों का मार्गदर्शन किया। प्रबंधन टीम में प्रवीण कुमार (ब्रांच हेड), रौशन कुमार, आलोक कुमार, प्रभाकर कुमार, कमल, पूजा, अनुराग कुमार, नूतन, तनुजा, रौशन, मनीष और लड्डू जी का विशेष योगदान रहा है।
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संस्थान की विशेषताएँ: ओमेगा स्टडी सेंटर, दरभंगा के मिर्जापुर चौक में स्थित है और 16,000 वर्ग फुट के क्षेत्र में फैला हुआ है, जो उत्तर बिहार में सबसे बड़ा है। संस्थान में हाई-टेक कंप्यूटर लैब, पुस्तकालय, अध्ययन कक्ष और पर्याप्त पार्किंग सुविधा उपलब्ध है।
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संस्थान के चेयरमैन सुमन कुमार ठाकुर ने कहा कि ओमेगा स्टडी सेंटर का लक्ष्य है कि वह आने वाले वर्षों में भी आईआईटी और नीट में सर्वश्रेष्ठ परिणाम देकर मिथिला का गौरव बढ़ाए। उन्होंने अभिभावकों से आग्रह किया कि वे कोचिंग संस्थान का चयन करते समय उसके पिछले वर्षों के परिणाम और शैक्षणिक माहौल का सूक्ष्म अवलोकन करें। ओमेगा स्टडी सेंटर की यह सफलता न केवल दरभंगा बल्कि पूरे मिथिलांचल के लिए गर्व का विषय है। यह संस्थान न केवल शिक्षा प्रदान करता है, बल्कि छात्रों के सपनों को साकार करने का माध्यम भी बनता है।
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यह सिर्फ़ सफलता नहीं, मिथिला की माटी में उपजे स्वप्नों की वह फसल है जो अब परिपक्व हो चुकी है। यह केवल रैंक और नंबरों की घोषणा नहीं, बल्कि उन हजारों परिवारों की उम्मीदों की दस्तक है जो सालों से अपने बच्चों को देश की सर्वोच्च संस्थाओं में देखकर अपना अधूरा सपना पूरा करना चाहते थे। ओमेगा स्टडी सेंटर के बच्चों की यह उड़ान आईआईटी की सीमाओं तक नहीं रुकेगी, बल्कि उन तमाम छोटे कस्बों, गांवों और उपेक्षित इलाकों तक पहुंचेगी जहां आज भी शिक्षा एक संघर्ष है और सपना एक विलासिता मानी जाती है।
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ओमेगा की यह सफलता उस विश्वास की जीत है जो दरभंगा जैसे ऐतिहासिक शहर को फिर से शैक्षणिक महाशक्ति बनाने की दिशा में आगे बढ़ रही है। जब छात्र आत्मबल से भरे हों, शिक्षक समर्पण से लबरेज़ हों, और नेतृत्व संकल्प से प्रेरित हो तब संस्थाएं केवल शिक्षण संस्थान नहीं रह जातीं, वे एक विचार बन जाती हैं, एक क्रांति बन जाती हैं। ओमेगा अब केवल एक कोचिंग संस्थान नहीं, मिथिला के हर सपने देखने वाले विद्यार्थी के दिल की धड़कन बन चुका है।
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इन बच्चों की यह यात्रा एक प्रेरणा है उन लाखों युवाओं के लिए, जो अब भी झुग्गियों से निकलकर ज्ञान के मंदिरों में जगह बनाना चाहते हैं। यह सिद्ध करता है कि प्रतिभा किसी क्षेत्र विशेष की बपौती नहीं, बल्कि जहां समर्पित शिक्षकों की छांव मिले, वहां किसी भी मिट्टी से हीरा जन्म ले सकता है। यह उन मां-बाप की आंखों की नमी का जवाब है, जिन्होंने अपनी थाली से निवाला कम कर बच्चों की किताबें खरीदीं, यह उन शिक्षकों के पसीने की पहचान है जिन्होंने अपने दिन-रात विद्यार्थियों की नींव मजबूत करने में लगा दिए।
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मिथिला अब एक नई करवट ले रही है। अब यहाँ शिक्षा केवल पाठ्यक्रम नहीं, आत्मसम्मान बन रही है। ओमेगा की ये सफलताएं हमें यह बताने आई हैं कि दरभंगा की गलियों से भी आईआईटी की राह निकलती है शर्त बस यह है कि राह दिखाने वाला ईमानदार हो, और चलने वाला समर्पित। अब वह समय दूर नहीं जब मिथिला के युवा न केवल आईआईटी में जगह बनाएंगे, बल्कि वहाँ की नीतियों और तकनीकी विकास की दिशा भी तय करेंगे।
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ओमेगा ने यह दिखा दिया है कि अगर प्रयास सच्चा हो, दृष्टि स्पष्ट हो, और मार्गदर्शन निःस्वार्थ हो तो कोई भी बच्चा पीछे नहीं रहता, चाहे वह शहर के कोने से हो या गांव की पगडंडी से। संस्थान की यह कामयाबी केवल एक साल की नहीं, बल्कि उन वर्षों की तपस्या का फल है जो शिक्षा के महायज्ञ में आहुति बन चुकी है। ओमेगा के ये दीपक अब अंधेरे कोनों में रौशनी बाँटेंगे, और यह कहानी साल दर साल, पीढ़ी दर पीढ़ी, प्रेरणा बनकर दोहराई जाती रहेगी।
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इसलिए, आइए इस कामयाबी पर गर्व करें, ओमेगा के प्रयासों को सराहें, और अपने बच्चों को भी यह यक़ीन दिलाएं कि अगर सपना बड़ा हो, तो दरभंगा की मिट्टी भी स्टैनफोर्ड तक की राह दिखा सकती है। क्योंकि अब मिथिला चुप नहीं है वह बोल रही है, गा रही है, और अपने बच्चों के जरिए देश-दुनिया को यह कह रही है: हम सिर्फ़ अतीत के गौरव से नहीं, वर्तमान की मेहनत और भविष्य की ऊँचाइयों से भी पहचाने जाएंगे।