अचार संहिता की सख़्ती, पुलिस की चौकसी और सीआरपीएफ की मौजूदगी सब बेअसर दरभंगा के हृदय शास्त्री चौक पर बुजुर्ग महिला से हीरा जड़ित चूड़ी लूटी; शहर में डर और अविश्वास की लहर पढ़िए ‘मिथिला जन जन की आवाज’ की ज़मीनी रिपोर्ट!
कभी दरभंगा की पहचान “शांति और सादगी” से होती थी, मगर अब इस शहर में डर खुलकर सांस लेने लगा है। रविवार की सुबह, जब लोग रोज़ की तरह सब्ज़ी और जरूरत की चीज़ें खरीदने निकले थे उसी वक़्त शास्त्री चौक के पास एक वृद्ध महिला से तीन युवकों ने हीरा जड़ित सोने की चूड़ियाँ छीन लीं और भाग निकले। और हैरानी की बात यह कि यह वही शास्त्री चौक है जो न केवल शहर का हृदय है बल्कि नगर विधायक सह भूमि सुधार मंत्री संजय सरावगी का आवास भी यहीं स्थित है. पढ़े पूरी खबर......

दरभंगा / विशेष संवाददाता। कभी दरभंगा की पहचान “शांति और सादगी” से होती थी, मगर अब इस शहर में डर खुलकर सांस लेने लगा है। रविवार की सुबह, जब लोग रोज़ की तरह सब्ज़ी और जरूरत की चीज़ें खरीदने निकले थे उसी वक़्त शास्त्री चौक के पास एक वृद्ध महिला से तीन युवकों ने हीरा जड़ित सोने की चूड़ियाँ छीन लीं और भाग निकले। और हैरानी की बात यह कि यह वही शास्त्री चौक है जो न केवल शहर का हृदय है बल्कि नगर विधायक सह भूमि सुधार मंत्री संजय सरावगी का आवास भी यहीं स्थित है। जहाँ हर वक्त पुलिस गश्त और सुरक्षा बलों की मौजूदगी रहती है, वहीं ऐसी वारदात का घट जाना दरभंगा पुलिस पर एक बड़ा प्रश्नचिह्न छोड़ जाता है।
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अचार संहिता के बीच चौक-चौराहे पर तैनात बल, फिर भी अपराधियों का निडर तांडव: दरभंगा में इस वक्त आचार संहिता लागू है। हर मुख्य चौक-चौराहे पर विशेष पुलिस वाहन चेकिंग अभियान जारी है। सीआरपीएफ की बटालियनें सड़क पर हैं। कथित तौर पर जिले में “कड़ी सुरक्षा व्यवस्था” का दावा किया जा रहा है। लेकिन इसी सुरक्षा घेरे के बीच, एक असहाय वृद्ध महिला से लाखों की संपत्ति लूट ली जाती है। यह सवाल सिर्फ पुलिस की लापरवाही का नहीं, बल्कि शासन के मौन की भी गवाही देता है।
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राजो देवी की व्यथा “डर के मारे आवाज़ तक नहीं निकली”: घटना की शिकार राजो देवी, शास्त्री चौक निवासी बजरंग लाल की पत्नी हैं। उनकी उम्र साठ के पार है। वह हर रोज़ की तरह सुबह करीब साढ़े नौ बजे सब्ज़ी खरीदने निकली थीं। उन्हें क्या पता था कि आज की सुबह उनके जीवन की सबसे बड़ी लूट बन जाएगी। राजो देवी की कांपती आवाज़ में दर्द झलकता है "तीन लड़कों ने मुझे घेर लिया। बोले आवाज़ की तो जान ले लेंगे। उन्होंने मेरे दोनों हाथ पकड़कर चूड़ी उतार ली। मैं डर से जड़ हो गई… मेरे पति बीमार रहते हैं, घर में कोई सहारा नहीं…” कहते-कहते उनकी आँखें भर आईं। दोनों चूड़ियों में सफेद हीरे जड़े थे, जो उनके जीवनभर की पूंजी थी। वो चूड़ी केवल गहना नहीं, बल्कि एक गृहिणी के आत्मसम्मान और यादों की पहचान थी।
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चेकिंग और गश्ती व्यवस्था के बावजूद बेखौफ अपराध: पुलिस दावा करती है कि शहर में दिन-रात गश्त हो रही है। मुख्य मार्गों पर सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। लेकिन सच यह है कि अपराधी अब कैमरों से नहीं डरते, बल्कि पुलिस से भी नहीं। अचार संहिता की आड़ में चुनावी सुरक्षा का जाल तो बिछा है, मगर उस जाल के छेद से अपराधी जनसुरक्षा की आत्मा को छलनी कर रहे हैं।
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कोतवाली थानाध्यक्ष नीतीश कुमार ने बताया की “महिला का आवेदन प्राप्त हुआ है। आसपास के सीसीटीवी फुटेज खंगाले जा रहे हैं। आरोपियों की पहचान कर शीघ्र गिरफ्तारी होगी।” पर सवाल यह है जब मंत्री आवास के पास, पुलिस की मौजूदगी में, शहर के दिल शास्त्री चौक पर वृद्धा से लूट हो सकती है, तो आम नागरिक की सुरक्षा का भरोसा आखिर किस पर टिका रहेगा?
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जनभावना में उबाल कहाँ है वो पुलिस चौकसी?: स्थानीय लोगों ने इसे दरभंगा पुलिस की सबसे बड़ी असफलता बताया। लोगों का कहना है की जहाँ गाड़ियों की जांच हो रही है, वहाँ अपराधी बिना जांच के निकल जा रहे हैं। पुलिस अगर जनता की रक्षा नहीं कर पा रही, तो यह तंत्र किसलिए? अक्सर देखा गया है कि ऐसी घटनाएँ थोड़ी चर्चा के बाद ठंडी पड़ जाती हैं। लेकिन इस बार लोगों की जुबान पर एक ही सवाल है “क्या अब शास्त्री चौक भी सुरक्षित नहीं रहा?” अचार संहिता हो या गश्ती दावे, दरभंगा की सड़कों पर डर का राज लौट आया है। औरतें असुरक्षित हैं, बुजुर्ग डरे हुए हैं। यह घटना सिर्फ एक लूट नहीं शहर की सुरक्षा व्यवस्था की आत्मा पर एक करारा तमाचा है।