टनटुनिया टोला की तंग गलियों से टेकरीटी की ठंडी साँसों तक—जब अपराध की गर्दिश में घिरे दरभंगा में कानून की मशाल जल उठी: प्लाट लूट, नशे की खेती और हत्या के साये में पलते दो चेहरों का अंत, दरभंगा पुलिस ने दिखाई जमीनी सख्ती और नैतिक ऊंचाई

शहर वही है... गंध वही... गलियों में उठते धुएं भी वही... पर इस बार फिज़ा में एक सख्त आहट थी। यह आहट थी—दरभंगा पुलिस की। जब अपराध ने टनटुनिया टोला में पैर पसारे, तब कानून ने भी अपनी आंखों पर से धूल झाड़ी और कसम खाई कि अब हर गुनाह की चूड़ी टूटेगी, हर बदनामी की दीवार ढहेगी। 11 अप्रैल 2025 को लहेरियासराय थाना कांड संख्या 242/25 के अंतर्गत एक ऐसा मामला उजागर हुआ जिसने न सिर्फ कानून को झकझोरा, बल्कि समाज को भी सोचने पर मजबूर कर दिया. पढ़े पुरी खबर........

टनटुनिया टोला की तंग गलियों से टेकरीटी की ठंडी साँसों तक—जब अपराध की गर्दिश में घिरे दरभंगा में कानून की मशाल जल उठी: प्लाट लूट, नशे की खेती और हत्या के साये में पलते दो चेहरों का अंत, दरभंगा पुलिस ने दिखाई जमीनी सख्ती और नैतिक ऊंचाई
टनटुनिया टोला की तंग गलियों से टेकरीटी की ठंडी साँसों तक—जब अपराध की गर्दिश में घिरे दरभंगा में कानून की मशाल जल उठी: प्लाट लूट, नशे की खेती और हत्या के साये में पलते दो चेहरों का अंत, दरभंगा पुलिस ने दिखाई जमीनी सख्ती और नैतिक ऊंचाई

दरभंगा: शहर वही है... गंध वही... गलियों में उठते धुएं भी वही... पर इस बार फिज़ा में एक सख्त आहट थी। यह आहट थी—दरभंगा पुलिस की। जब अपराध ने टनटुनिया टोला में पैर पसारे, तब कानून ने भी अपनी आंखों पर से धूल झाड़ी और कसम खाई कि अब हर गुनाह की चूड़ी टूटेगी, हर बदनामी की दीवार ढहेगी। 11 अप्रैल 2025 को लहेरियासराय थाना कांड संख्या 242/25 के अंतर्गत एक ऐसा मामला उजागर हुआ जिसने न सिर्फ कानून को झकझोरा, बल्कि समाज को भी सोचने पर मजबूर कर दिया।

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यह कोई साधारण मामला नहीं था—बल्कि एक षड्यंत्र था, जिसमें अपराध, लालच, नशा और झूठ की परतें एक-दूसरे में इस कदर उलझी थीं कि उन्हें सुलझाना ही सबसे बड़ा युद्ध था। इस केस की तह तक पहुँचते हुए पुलिस ने जो दो नाम पकड़े—वे थे जालालुद्दीन अंसारी (उम्र 37) और रमेश उर्फ़ जुल्फ़ी। दोनों पर हत्या के प्रयास, एनडीपीएस एक्ट, चोरी, और प्लाट लूट के गंभीर आरोप पहले से दर्ज थे। पर इस बार अपराध ने अपना चरम छू लिया था।

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जालालुद्दीन अंसारी: एक ऐसा नाम जो सिरसी, दरभंगा में अपराध की पाठशाला का अध्यापक माना जाता है। टेकरीटी थाना क्षेत्र का यह अपराधी वर्षों से फरार था, और अब दरभंगा के सिरसी थानान्तर्गत अपने मकड़जाल को चला रहा था। दूसरी ओर रमेश उर्फ़ जुल्फ़ी, भायरी गाँव का, चोरी के मामलों में दक्ष, पेशेवर अपराधी। दोनों मिलकर नशे के धंधे से लेकर मोबाइल चोरी और सोने की तस्करी तक, हर उस धंधे में लिप्त थे जहाँ समाज का सबसे कमजोर तबका बर्बादी की ओर फिसलता है।

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लहेरियासराय थाना द्वारा 19 अप्रैल की रात गुप्त सूचना के आधार पर की गई छापेमारी ने इस पूरे प्रकरण का पर्दाफाश कर दिया। शहर के उस हिस्से में जहां लोग अब तक डर के साये में जी रहे थे, वहां पुलिस की गूंजती हुई सायरन ने एक नई सुबह का संकेत दिया।

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बरामद सामग्री की सूची ही उनके गिरोह की गहराई बताने के लिए पर्याप्त थी:

17 पीस Kores eraz-ex diluter pen जिसे नशे के तौर पर उपयोग में लाया जाता था।

दो पुड़िया 10-10 ग्राम का गांजा युवाओं को गुमराह करने का औज़ार।

Infinix कंपनी का मोबाइल जिसमें चोरी की सीम और फर्जी दस्तावेज लगे पाए गए।

टूटा हुआ पीला चेन और नकली सोने का बुरादा प्रतीक था उस झूठ की जो हर चोरी के बाद सच बनकर बेचा जाता था।

नकद 9500/- रुपए जो अवैध लेन-देन का हिस्सा था। मोटरसाइकिल की मास्टर चाभी कई गाड़ियों की चोरियों में प्रयुक्त।

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रेजर सेट और अन्य संदिग्ध उपकरण जो आगे की चोरी की तैयारी दर्शाते हैं।

लेकिन मामला सिर्फ बरामदगी तक सीमित नहीं था: इस गिरोह के तार, दरभंगा के उन क्षेत्रों से भी जुड़े थे जहां प्लाट कब्जा, दबंगई, और ज़मीन विवादों की आग में न्याय बार-बार हार जाता है। कई निर्दोष परिवारों की ज़मीन इन जैसे शातिरों की चालों में लूट ली गई। ये लोग न केवल अपराध करते थे, बल्कि गरीबों और कमजोरों का विश्वास भी छीन लेते थे।

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जालालुद्दीन पर पहले से दर्ज हैं तीन बड़े आपराधिक मामले:

लहेरियासराय थाना कांड सं. 232/24

लहेरियासराय थाना कांड सं. 234/24

नगर थाना कांड सं. 95/24

इन सभी मामलों में धारा 379/356 की गंभीरता स्पष्ट करती है कि ये कोई तात्कालिक अपराधी नहीं, बल्कि वर्षों से कानून की आँखों में धूल झोंकने वाला नाम था।

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इस बड़ी सफलता का श्रेय जाता है: अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी दीपक कुमार, थाना प्रभारी प्रशांत कुमार, पुलिसकर्मी राजनंदन, रंजन कुमार और राजेश कुमार को, जिन्होंने पूरी ईमानदारी से टीम बनाकर, न सिर्फ अपराधियों को पकड़ा, बल्कि दरभंगा की जनता को फिर से यह विश्वास दिलाया कि "पुलिस है, तो सुरक्षा है।" यह कार्रवाई सिर्फ गिरफ्तारी नहीं थी, यह समाज को उस दिशा में मोड़ने की कोशिश थी जहां अंधेरे की नहीं, बल्कि कानून की रोशनी हो। जब एक अफ़सर अपराधी को पकड़ते समय जनता की उम्मीद को हथियार बनाता है, तब उसकी टोपी सिर्फ वर्दी नहीं होती, वो समाज की रक्षा का प्रतीक बन जाती है। दरभंगा पुलिस ने यह जता दिया है "गुनाह चाहे जितना भी गहरा हो, कानून की रोशनी में हर चेहरा बेनकाब होता है।"