"स्वाद की थाली में सजी थी ममता की परछाईं — जब माताओं ने रसोई से मंच तक रचा सौंदर्य का स्वादगीत" दैनिक जागरण की "मोहल्ला स्टार शेफ प्रतियोगिता" में The Foundation Academy की माताओं ने रचा परंपरा, रचनात्मकता और प्रेम का त्रिवेणी संगम
शाम की हवा में जब गुलाब की पंखुड़ियाँ महकीं और रसोई से उठती सौंधी महक ने आकाश को भी भावुक कर दिया, तब The Foundation Academy के आँगन में एक अद्वितीय दृश्य उपस्थित था। यह कोई साधारण प्रतियोगिता नहीं थी—यह मातृत्व, संस्कृति और रचनात्मकता का अद्भुत संगम था। दैनिक जागरण द्वारा आयोजित "मोहल्ला स्टार शेफ प्रतियोगिता" में विद्यालय की माताओं ने अपने हाथों से न केवल व्यंजन बनाए, बल्कि हर थाली में भावनाओं की ऐसी सजीव प्रस्तुति दी कि वह स्वाद नहीं, आत्मा का प्रसाद लगने लगे. पढ़े पुरी खबर.......

दरभंगा : शाम की हवा में जब गुलाब की पंखुड़ियाँ महकीं और रसोई से उठती सौंधी महक ने आकाश को भी भावुक कर दिया, तब The Foundation Academy के आँगन में एक अद्वितीय दृश्य उपस्थित था। यह कोई साधारण प्रतियोगिता नहीं थी—यह मातृत्व, संस्कृति और रचनात्मकता का अद्भुत संगम था। दैनिक जागरण द्वारा आयोजित "मोहल्ला स्टार शेफ प्रतियोगिता" में विद्यालय की माताओं ने अपने हाथों से न केवल व्यंजन बनाए, बल्कि हर थाली में भावनाओं की ऐसी सजीव प्रस्तुति दी कि वह स्वाद नहीं, आत्मा का प्रसाद लगने लगे।
हर एक थाली एक कविता थी—कहीं पास्ता में गुलाब की पंखुड़ियाँ बिखरी थीं, तो कहीं काजू, किशमिश और साज-सज्जा के संग सौंदर्य की परिभाषा गढ़ी जा रही थी। कहीं ढोकले, हलवे और तीन रंगों की चटनियाँ भारत की आत्मा को थाल में परोस रही थीं, तो कहीं दही भल्ले और आलू टिक्की में दादी-नानी की रसोई की यादें तैर रही थीं।
यह शाम केवल स्वाद की नहीं थी, यह उन उंगलियों का सम्मान था जिन्होंने कभी बच्चों के दूध में हल्दी घोली थी और आज मंच पर रचना परोस रही थीं।
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कार्यक्रम के दौरान जब सम्मान का फूलगुच्छ हाथों में आया, तो वह केवल फूल नहीं थे—वह आभार थे, उन हर माँ के लिए जो घर के चूल्हे से उठकर आज समाज की सराहना बन गई।
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इस सफल आयोजन की आत्मा रहे The Foundation Academy के निदेशक श्री विशाल गौरव—जिनकी दूरदर्शिता, संवेदनशील सोच और शिक्षा को जीवन से जोड़ने की गहरी दृष्टि ने यह संभव बनाया। उनका मानना है कि “शिक्षा केवल किताबों में नहीं, वह संस्कृति, आत्मीयता और आत्म-प्रकाश की यात्रा है।” उनकी प्रेरणा से ही यह प्रतियोगिता केवल आयोजन नहीं रही, बल्कि एक संस्कृति उत्सव बन गई—जहाँ हर थाली एक कहानी थी, हर स्वाद एक स्मृति, और हर माँ एक कलाकार।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथियों और निर्णायकों ने भी माताओं के प्रयासों को सराहा और उन्हें ससम्मान मंच पर आमंत्रित कर फूलों, प्रशंसाओं और आत्मीय शब्दों से नवाज़ा।
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इस संध्या ने एक संदेश दिया माँ केवल रसोई में नहीं, वह संस्कृति की संरक्षिका है, जो जब चाहे कला, कविता और कड़ी में ढलकर मंच पर अपना स्थान सुनिश्चित कर सकती है।
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"मोहल्ला स्टार शेफ प्रतियोगिता" एक उदाहरण बन गया कि जब शिक्षा, संस्कृति और संवेदना हाथ मिलाते हैं, तब रसोई की आँच से भी रोशनी फूटती है... और जब माँ मंच पर आती है, तो वह स्वाद से आगे बढ़कर इतिहास रच देती है।