वो सिर्फ नेता नहीं थे, एक विचार थे... और बेटा-बेटी ने उन्हें अमर कर दिया: तीसरी पुण्यतिथि पर पंचोभ में श्रद्धा, सेवा और सम्मान का अद्भुत संगम

कभी-कभी एक दिन, एक आयोजन, एक श्रद्धांजलि – एक पिता के संपूर्ण जीवन और उसके आदर्शों को जी लेने का माध्यम बन जाता है। कुछ ऐसा ही दृश्य था पंचोभ में, जब भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के वरिष्ठ और सिद्धांतनिष्ठ नेता कॉ. विमलकांत चौधरी की तीसरी पुण्यतिथि पर उनके सपनों को हकीकत का रूप देते हुए उनके सुपुत्र राजीव कुमार चौधरी और सुपुत्री डॉ. उषा झा ने ऐसा आयोजन किया, जो केवल श्रद्धांजलि नहीं, बल्कि समाज के प्रति एक जिम्मेदार वसीयत जैसी थी. पढ़े पुरी खबर........

वो सिर्फ नेता नहीं थे, एक विचार थे... और बेटा-बेटी ने उन्हें अमर कर दिया: तीसरी पुण्यतिथि पर पंचोभ में श्रद्धा, सेवा और सम्मान का अद्भुत संगम
वो सिर्फ नेता नहीं थे, एक विचार थे... और बेटा-बेटी ने उन्हें अमर कर दिया: तीसरी पुण्यतिथि पर पंचोभ में श्रद्धा, सेवा और सम्मान का अद्भुत संगम; फोटो: मिथिला जन जन की आवाज़

हनुमाननगर, पंचोभ: कभी-कभी एक दिन, एक आयोजन, एक श्रद्धांजलि – एक पिता के संपूर्ण जीवन और उसके आदर्शों को जी लेने का माध्यम बन जाता है। कुछ ऐसा ही दृश्य था पंचोभ में, जब भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के वरिष्ठ और सिद्धांतनिष्ठ नेता कॉ. विमलकांत चौधरी की तीसरी पुण्यतिथि पर उनके सपनों को हकीकत का रूप देते हुए उनके सुपुत्र राजीव कुमार चौधरी और सुपुत्री डॉ. उषा झा ने ऐसा आयोजन किया, जो केवल श्रद्धांजलि नहीं, बल्कि समाज के प्रति एक जिम्मेदार वसीयत जैसी थी।

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जहाँ श्रद्धा, वहाँ सेवा बन जाती है। जहाँ पुत्र धर्म जाग जाए, वहाँ पिता अमर हो जाते हैं: राजीव चौधरी, जो पंचोभ पंचायत के मुखिया ही नहीं बल्कि जिले की राजनीति और सामाजिक चेतना के मजबूत स्तंभ हैं – ने न केवल पिता की पुण्यतिथि मनाई, बल्कि उसे शिक्षा और सेवा का महापर्व बना डाला। शैल-विमल स्वास्थ्य एवं समाजसेवा संस्थान के बैनर तले, डॉ. संजीव कुमार चौधरी के नेतृत्व में हुए इस आयोजन में डीएन हाई स्कूल के 400+ अंक लाने वाले तीन दर्जन से अधिक होनहार छात्र-छात्राओं को मंच पर बुलाकर सम्मानित किया गया।

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वहीं, राज्य के चौथे टॉपर रत्नेश कुमार और जिले की दूसरी टॉपर आफरीन परवीन को विशेष रूप से प्रशस्ति पत्र और सम्मान चिह्न भेंट कर उनके संघर्ष और सफलता की कहानी को सलाम किया गया।

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राजीव चौधरी ने इस आयोजन को केवल कार्यक्रम नहीं रहने दिया। उन्होंने इसे पिता के मूल्यों और विचारों का जीवंत चित्र बना दिया। उनकी आँखों में आँसू थे – मगर वह दुःख के नहीं, गौरव और कृतज्ञता के आँसू थे। उन्होंने कहा, "बाबूजी ने हमेशा कहा – बेटा, किसी का भला करके लौटना, तब राजनीति करना। आज अगर वो होते तो छात्रों के इस सम्मान को देख सबसे पहले ताली वही बजाते।"

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और डॉ. उषा झा...एक बेटी की आँखों में छलकती श्रद्धांजलि थी। एक साहित्यकार, एक समाजसेवी और एक बेटी – इन तीनों रूपों में उन्होंने अपने पिता को याद किया। उनके शब्दों में एक कवि की पीड़ा थी, एक पुत्री की श्रद्धा थी – “बाबूजी आज होते, तो बच्चों की मुस्कान देखकर कहते – अब मेरा सपना पूरा हुआ। आज उनके शब्द हवाओं में हैं, और उनकी आत्मा इस आयोजन में जीवित।”

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जहाँ आदर्श पिता हों, वहाँ बेटे राजीव और बेटी उषा जैसे संतान होते हैं – जो मृत्यु के पार जाकर भी पिता को जीवित रखते हैं।

इस पुण्य तिथि पर न केवल छात्रों को सम्मान मिला, बल्कि शिक्षकगण भी आदर के पात्र बने। डीएन हाई स्कूल के प्रधानाध्यापक मो. मसूद अख्तर सहित सभी शिक्षकों को उनके समर्पण के लिए मंच से सार्वजनिक सम्मान मिला।

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समाज के कई स्तंभ इस आयोजन में उपस्थित रहे – पंचायत समिति सदस्य रोहित चौधरी, पैक्स अध्यक्ष पंकज चौधरी, एआईएफएफ के राज्य सह सचिव शरद कुमार सिंह, जिला अध्यक्ष अरशद सिद्दीकी, साहित्यकार सरोज मिश्र, रामबाबू चौधरी, परिपूर्णानन्द चौधरी – सभी ने छात्रों को प्रेरणादायक शब्दों से नवाजा।

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यह पुण्यतिथि नहीं थी – यह एक विचार की पुनर्जन्म था।

जहाँ एक पिता के आदर्शों को बेटे और बेटी ने सेवा, शिक्षा और सम्मान के माध्यम से पुनर्जीवित किया। आज के युग में जहाँ संबंध टूटते हैं, वहां राजीव चौधरी और उषा झा जैसे संतान भगवान के उस उपहार जैसे लगते हैं, जो किसी विरले को ही मिलते हैं। अगर बेटा देना हो तो भगवान ऐसा दे... और बेटी हो तो उषा जैसी... जो पिता की परछाईं बन, समाज को आलोकित करें।