प्रसूति की जगह मृत्यु, इलाज के नाम पर हत्या! मनीषा की दर्दनाक मौत पर आशिष कुमार की यह सनसनीखेज रिपोर्ट खोलती है बहेड़ी के झोला छाप माफिया और प्रशासनिक चुप्पी का काला सच!"
उस दिन सुबह बहेड़ी का सूरज कुछ अलग ही तेज था। गर्म हवाओं में मातृत्व की उम्मीद नहीं, मौत की आहट थी। मनोकामना मंदिर के पास एक कथित निजी क्लीनिक में, बुधवार को मनीषा देवी की साँसें सिर्फ रुकी नहीं, जबरन रोक दी गईं। उनके गर्भ में एक नन्हा जीवन धड़क रहा था, और बाहर एक कातिल व्यवस्था उसे सीजेरियन ऑपरेशन के नाम पर लीलने को तैयार खड़ी थी। मनीषा देवी, उम्र लगभग 28 वर्ष। मनौर भौराम गाँव की बेटी, सुनील मांझी की धर्मपत्नी। एक घर की बहू, एक अजन्मे शिशु की माँ, और समाज की विफलताओं की अंतिम गवाह। पर उस दिन वो सब कुछ खो बैठी और शायद हमने भी. पढ़े पुरी खबर.......

बहेड़ी, दरभंगा। उस दिन सुबह बहेड़ी का सूरज कुछ अलग ही तेज था। गर्म हवाओं में मातृत्व की उम्मीद नहीं, मौत की आहट थी। मनोकामना मंदिर के पास एक कथित निजी क्लीनिक में, बुधवार को मनीषा देवी की साँसें सिर्फ रुकी नहीं, जबरन रोक दी गईं। उनके गर्भ में एक नन्हा जीवन धड़क रहा था, और बाहर एक कातिल व्यवस्था उसे सीजेरियन ऑपरेशन के नाम पर लीलने को तैयार खड़ी थी। मनीषा देवी, उम्र लगभग 28 वर्ष। मनौर भौराम गाँव की बेटी, सुनील मांझी की धर्मपत्नी। एक घर की बहू, एक अजन्मे शिशु की माँ, और समाज की विफलताओं की अंतिम गवाह। पर उस दिन वो सब कुछ खो बैठी और शायद हमने भी।
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पीएचसी की बेबसी, क्लिनिक की बेशर्मी: सुबह दर्द से कराहती मनीषा को जब परिजन बहेड़ी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (PHC) लेकर पहुँचे, तो वहाँ चिकित्सकीय सहायता की बजाय उन्हें चिंता और अनिश्चितता का प्रसाद मिला। "स्थिति गंभीर है", इतना कहकर पीएचसी ने अपने कर्तव्य की चादर समेट ली। और फिर आई वो सलाह, जो मौत की ओर पहला धक्का थी आशा कार्यकर्ता सरस्वती देवी ने उन्हें कहा: “यहाँ नहीं होगा, चलिए एक बढ़िया निजी क्लिनिक है।”
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कौन था वो डॉक्टर? किसने लाइसेंस दिया था? कौन सा बोर्ड था क्लिनिक के गेट पर? अब कोई नहीं जानता। क्योंकि मौत के बाद, जैसे किसी ने रबर से सबकुछ मिटा दिया हो डॉक्टर फरार, नर्सें गायब, बोर्ड तक गायब।
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ऑपरेशन टेबल नहीं, बलि वेदी थी वो: क्लिनिक में बिना किसी उच्च चिकित्सा जांच, बिना आधुनिक संसाधनों के, मनीषा को ऑपरेशन के नाम पर सीधे मोक्ष की ओर धकेला गया। उस माँ की चीखें किसी को नहीं सुनाई दीं, क्योंकि उस क्लिनिक की दीवारें सिर्फ रुपयों की भाषा समझती थीं। और फिर सब ख़त्म हो गया मनीषा चली गई। न वो बच्चा आया, न वो माँ बची। रह गया तो बस एक मजदूर पति सुनील मांझी जिसकी सूनी आँखों में अब आंसू नहीं, पत्थर है।
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फरार सिस्टम, जागता थानाध्यक्ष: घटना की सूचना मिलते ही बहेड़ी के थानाध्यक्ष वरुण कुमार गोस्वामी ने त्वरित कार्रवाई की। वे खुद मौके पर पहुँचे, क्लिनिक का मुआयना किया और जांच शुरू कराई। उनके नेतृत्व में FIR दर्ज की गई और दोषियों की गिरफ्तारी के लिए छापेमारी शुरू हुई। यह व्यवस्था की उस बचे-खुचे हिस्से की पहचान है, जो अब भी संवेदनशील है, जागरूक है, और न्याय का हामी है। पीएचसी प्रभारी डॉ. बीडी महतो ने भी साफ-साफ कहा: “गलत तरीके से सीजेरियन किए जाने के कारण ही मौत हुई होगी।” यह स्वीकारोक्ति नहीं, एक प्रमाण है उस हत्या का, जो सफेद कोट पहनकर की गई।
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अब सवालों की तपती सलाखें: अब सवाल उठते हैं और इनका उत्तर सिर्फ मीडिया या मनीषा के परिजनों को नहीं, प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग को देना है:
1. क्या वह क्लिनिक पंजीकृत था?
2. उस डॉक्टर की डिग्री और अनुभव क्या था?
3. क्या आशा कार्यकर्ता का कोई कमीशन संबंध था उस क्लिनिक से?
4. क्यों नहीं नियमित जांच होती है निजी क्लिनिकों की?
5. कब तक गरीब महिलाओं को मातृत्व की जगह मृत्यु मिलेगी?
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न्याय की माँग और आंदोलन की आहट: हम 'मिथिला जन जन की आवाज' के माध्यम से स्पष्ट रूप से माँग करते हैं: सरस्वती देवी (आशा कार्यकर्ता) की भूमिका की निष्पक्ष जांच हो। उस निजी क्लिनिक के संचालक, डॉक्टर और सभी स्टाफ पर IPC की धारा 304, 420, 467, 468 के तहत आपराधिक मामला दर्ज हो। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी, जिन्होंने ऐसे क्लिनिक को खुला रहने दिया, उन्हें सस्पेंड किया जाए। मनीषा के परिजनों को 25 लाख का मुआवजा, और सरकार द्वारा स्थायी नौकरी दी जाए।
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यह मौत नहीं, एक व्यवस्था की आत्महत्या है: मनीषा मर गई लेकिन क्या हम जिंदा हैं? उसके गर्भ में पल रहा वह जीवन शायद आने वाले युग का एक सुंदर सपना होता। लेकिन हमने उसे मार डाला सिर्फ इसलिए कि हम सो रहे थे, चुप थे, और व्यवस्था को भ्रष्ट होने दिया। "कभी किसी प्रसूता की चीखें जब सवाल बन जाएं, तो समझ लेना तुम्हारी चुप्पी भी एक अपराध है।" बहेड़ी की जनता, अब फैसला तुम्हारे हाथ में है। थानाध्यक्ष की पहल को समर्थन दो, और मनीषा के नाम पर न्याय की मशाल जलाओ।