नशे में चूर गुंडे ने की पत्रकार की हत्या की कोशिश मुहर्रम कवरेज बना निशाना, दरभंगा पुलिस से सीधा सवाल: क्या अब खबर नहीं बनाएंगे हम?
शब्द थरथरा रहे हैं, आत्मा काँप रही है, और लोकतंत्र का चौथा स्तंभ आज लहूलुहान है... दरभंगा की धरती पर पत्रकार मो. एख्तेगार उर्फ लालबाबू पर हुआ हमला, सिर्फ़ एक व्यक्ति पर नहीं सच पर हमला था, कैमरे की आँख पर हथौड़ा चलाने की बेशर्म कोशिश थी. पढ़े पुरी खबर.......

दरभंगा: शब्द थरथरा रहे हैं, आत्मा काँप रही है, और लोकतंत्र का चौथा स्तंभ आज लहूलुहान है... दरभंगा की धरती पर पत्रकार मो. एख्तेगार उर्फ लालबाबू पर हुआ हमला, सिर्फ़ एक व्यक्ति पर नहीं सच पर हमला था, कैमरे की आँख पर हथौड़ा चलाने की बेशर्म कोशिश थी। सवाल यह है: क्या अब पत्रकार खबर नहीं बना सकते? क्या पत्रकार अब मीडिया कवरेज नहीं कर सकता? क्या अब हर कैमरे के आगे हथौड़ा चलेगा और हर सवाल पूछने वाले को चुप करा दिया जाएगा?
रविवार, 6 जुलाई की शाम। मो. एख्तेगार, एक निर्भीक पत्रकार, अपनी ड्यूटी निभाते हुए करमगंज मोहल्ले में मुहर्रम जुलूस की शांति और श्रद्धा भरी तस्वीरें कैमरे में कैद कर रहे थे। मगर लोकतंत्र के इस काम में सबसे बड़ा रोड़ा बना मोहल्ले का ही एक व्यक्ति मो. सुफियान। बताया जा रहा है कि वह व्यक्ति उस वक्त नशे की हालत में था और उसने एख्तेगार को कवरेज से रोकने की कोशिश की। जब पत्रकार ने मना किया तो गालियों की झड़ी, धक्का-मुक्की और खुलेआम मारपीट शुरू हो गई।लेकिन बात यहीं नहीं रुकी...
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अगली शाम कैमरा नहीं, जान बचाने की कवायद: सोमवार, 7 जुलाई की रात लगभग 8 बजे, जब मो. एख्तेगार बाजार से लौट रहे थे करमगंज बड़ी मस्जिद के पास वही सुफियान हथौड़ा लिए घात लगाए बैठा था। एक पत्रकार की हत्या की साजिश रच चुका था। गाली देते हुए, हाथ में हथौड़ा लेकर उसने एख्तेगार पर जानलेवा हमला कर दिया। पत्रकार ने जैसे-तैसे हथौड़े को पकड़ा, खुद को गिराकर बचाया और चिल्लाया "मैं पत्रकार हूँ, मुझे क्यों मार रहे हो?" लेकिन सुफियान ने दो-तीन घूंसे मारे और जान से मारने की धमकी देता हुआ फरार हो गया।
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प्रश्नों के हथौड़े क्या पत्रकार अब निशाना बनेंगे?
यह सवाल आज हर ईमानदार पत्रकार के सीने में गूंज रहा है: क्या अब सच्चाई दिखाना जुर्म हो गया है? क्या अब रिपोर्टिंग करने वालों को पहले अपने लिए सुरक्षा दस्ते की ज़रूरत होगी? क्या "हथौड़ा युग" आ गया है जहां सवाल करने वालों के सिर पर हथियार चलाए जाएंगे?
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SSP दरभंगा से खुला प्रश्न क्या अब आप एक्शन लेंगे या हमले की अगली बारी किसी और पत्रकार की होगी?
एसएसपी दरभंगा जगुनाथ रेड्डी, आपके शहर में एक पत्रकार की जान लेने की कोशिश हुई है। एक पत्रकार को कवरेज से रोका गया है। एक पत्रकार को गाली दी गई है। और सबूतों के साथ उसने प्राथमिकी दर्ज कर दी है। अब क्या आप भी चुप रहेंगे? या फिर कार्रवाई करके पत्रकारिता के सम्मान को सुरक्षा देंगे?
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मो. सुफियान जैसे असामाजिक तत्व सिर्फ पत्रकारों के नहीं, समाज की समूची चेतना के दुश्मन हैं। ऐसे लोगों पर कड़ी और त्वरित कार्रवाई होनी चाहिए। पुलिस अगर अब भी सुस्त रही, तो आने वाले समय में पत्रकारों की जगह सिर्फ मौन और डर लिया करेगा। हम "मिथिला जन जन की आवाज" परिवार की ओर से SSP दरभंगा से मांग करते हैं: आरोपी मो. सुफियान को अविलंब गिरफ्तार किया जाए। उस पर हत्या की कोशिश की संगीन धाराएं लगाई जाएं। पत्रकार सुरक्षा अधिनियम के तहत केस दर्ज हो, करमगंज में पत्रकारों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए, मुहर्रम कमेटी से पूछताछ कर सच्चाई सामने लाई जाए
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कलम अगर डर गई, तो लोकतंत्र मर जाएगा: आज हमला एख्तेगार पर हुआ है, कल किसी और पर हो सकता है। लेकिन अगर समाज, पुलिस और प्रशासन एकजुट नहीं हुआ, तो सच बोलना बंद हो जाएगा और झूठ, नशा और गुंडागर्दी हर मोहल्ले, हर जुलूस और हर गली की पहचान बन जाएगी।