दरभंगा में भूमाफियाओं का दुस्साहस: कांकली मंदिर के पोखर में मकान, मिथिला की आत्मा पर प्रहार!
मिथिला की पावन धरती पर भूमाफियाओं का तांडव रुकने का नाम नहीं ले रहा। ऐतिहासिक राज किला के भीतर, कांकली मंदिर के उत्तरी पोखर में रात की चुप्पी को चीरते हुए मिट्टी डाली जा रही है। कमर भर जल में पिलर ठोंके जा रहे हैं, और मकान की नींव तैयार हो रही है। यह दृश्य मिथिला की उस कहावत "पग पग पोखर माछ माखन सरस बोल मुस्की मुख पान" को मुँह चिढ़ाता सा प्रतीत होता है, जो इस क्षेत्र की शान रही है. पढ़े पुरी खबर.........

दरभंगा: मिथिला की पावन धरती पर भूमाफियाओं का तांडव रुकने का नाम नहीं ले रहा। ऐतिहासिक राज किला के भीतर, कांकली मंदिर के उत्तरी पोखर में रात की चुप्पी को चीरते हुए मिट्टी डाली जा रही है। कमर भर जल में पिलर ठोंके जा रहे हैं, और मकान की नींव तैयार हो रही है। यह दृश्य मिथिला की उस कहावत "पग पग पोखर माछ माखन सरस बोल मुस्की मुख पान" को मुँह चिढ़ाता सा प्रतीत होता है, जो इस क्षेत्र की शान रही है। विश्वविद्यालय थाना से मात्र पाँच मिनट की दूरी पर यह खेल प्रशासन की नाक के नीचे चल रहा है, और सवाल उठता है—क्या कानून की आँखों पर पट्टी बंधी है?
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पहले भी हुआ था ऐसा कांड: यह कोई नई कहानी नहीं। कुछ माह पूर्व दरभंगा विश्वविद्यालय थाना क्षेत्र के वार्ड संख्या चार में नीम पोखर के सरकारी 36 डिस्मिल तालाब को रातों-रात मिट्टी से पाटकर समतल कर दिया गया था। तब भी प्रशासन की चुप्पी ने लोगों को हैरान किया था। अब कांकली मंदिर के समीप यह नया दुस्साहस न केवल पर्यावरण को नष्ट कर रहा है, बल्कि मिथिला की सांस्कृतिक धरोहर को भी लीलने की साजिश रच रहा है। स्थानीय लोगों का कहना है कि रात के अंधेरे में ट्रैक्टरों से मिट्टी डाली जा रही है, और सुबह तक निर्माण का काम इतना आगे बढ़ जाता है कि सच को झुठलाना मुश्किल हो जाता है।
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कौन हैं ये भूमाफिया? जनता के मन में एक ही सवाल गूँज रहा है—आखिर ये भूमाफिया कौन हैं, जो बिना किसी भय के पवित्र स्थलों को अपनी हवस का शिकार बना रहे हैं? क्या इनके सिर पर किसी बलशाली का हाथ है? क्या धन और शक्ति ने प्रशासन को भी अपने जाल में उलझा लिया है? कांकली मंदिर और राज किला जैसे प्राचीन स्थल मिथिला की पहचान हैं, पर यहाँ हो रहा अवैध निर्माण उस पहचान को मिटाने की कोशिश सा लगता है। कमर भर पानी में पिलर डालकर मकान बनाना न सिर्फ पर्यावरण नियमों का उल्लंघन है, बल्कि यह निर्माण तकनीकी रूप से भी असुरक्षित है। फिर भी, यह काम निर्बाध जारी है।
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प्रशासन की निष्क्रियता पर सवाल: दरभंगा के डीएम कार्यालय से यह घटनास्थल दूर नहीं। फिर भी, न तो पुलिस की गश्त इसे रोक पा रही है, न ही प्रशासन की कोई ठोस कार्रवाई दिख रही है। लोगों का कहना है कि अगर समय रहते कदम नहीं उठाया गया, तो यह पोखर हमेशा के लिए खत्म हो जाएगा। एक बुजुर्ग ने आह भरते हुए कहा, "हमारे बच्चे पोखर क्या होता है, यह किताबों में ही पढ़ेंगे। मिथिला की शान को यूं लुटते देखना असहनीय है।"
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जनता की गुहार और उम्मीद: स्थानीय लोगों ने डीएम साहब से तत्काल हस्तक्षेप की माँग की है। वे चाहते हैं कि इस अवैध निर्माण को रोका जाए, दोषियों की पहचान हो, और उन पर सख्त कार्रवाई हो। कुछ युवाओं ने सोशल मीडिया पर इस मुद्दे को उठाने की ठानी है, ताकि सबूतों के साथ यह खबर दूर-दूर तक पहुँचे। एक नागरिक ने कहा, "हम RTI दाखिल करेंगे। हमें जानना है कि आखिर इसकी इजाजत किसने दी, या फिर यह लापरवाही क्यों बरती जा रही है।"
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मिथिला की विरासत खतरे में: कांकली मंदिर और राज किला न सिर्फ धार्मिक स्थल हैं, बल्कि मिथिला के गौरवशाली इतिहास के प्रतीक भी हैं। अगर यहाँ के पोखर और जमीन को यूं ही हड़प लिया गया, तो आने वाली पीढ़ियाँ अपनी जड़ों से कट जाएँगी। यह खबर प्रशासन के लिए एक चेतावनी है—अब चुप्पी तोड़ें, वरना जनता का आक्रोश सड़कों पर उतरेगा। मिथिला की धरती अपनी शान वापस माँग रही है। क्या उसकी पुकार सुनी जाएगी?