दरभंगा पुलिस की रैतिक परेड में अनुशासन की लय, नेतृत्व की गरिमा और वर्दी की विश्वसनीयता SSP-SP की संयुक्त उपस्थिति बनी प्रेरणा, ‘मिथिला जन जन की आवाज़’ पर आशिष कुमार की विशेष विश्लेषणात्मक रिपोर्ट, सोशल मीडिया कार्यालय से प्राप्त आधिकारिक जानकारी पर आधारित

सुबह की हल्की धूप, जून की नमी भरी हवा, और समय से पूर्व पसीने से तर-बतर उन सैकड़ों कदमों की पदचाप जिनमें न सिर्फ़ अनुशासन की ध्वनि थी, बल्कि एक प्रतिबद्धता की प्रतिध्वनि भी। दिनांक 13 जून 2025, शुक्रवार को लहेरियासराय स्थित पुलिस केंद्र में आयोजित साप्ताहिक रैतिक परेड का दृश्य कुछ ऐसा ही था, जहां कंधे सिर्फ वर्दी नहीं, बल्कि संकल्प ढो रहे थे. पढ़े पुरी खबर.......

दरभंगा पुलिस की रैतिक परेड में अनुशासन की लय, नेतृत्व की गरिमा और वर्दी की विश्वसनीयता SSP-SP की संयुक्त उपस्थिति बनी प्रेरणा, ‘मिथिला जन जन की आवाज़’ पर आशिष कुमार की विशेष विश्लेषणात्मक रिपोर्ट, सोशल मीडिया कार्यालय से प्राप्त आधिकारिक जानकारी पर आधारित
दरभंगा पुलिस की रैतिक परेड में अनुशासन की लय, नेतृत्व की गरिमा और वर्दी की विश्वसनीयता SSP-SP की संयुक्त उपस्थिति बनी प्रेरणा, ‘मिथिला जन जन की आवाज़’ पर आशिष कुमार की विशेष विश्लेषणात्मक रिपोर्ट, सोशल मीडिया कार्यालय से प्राप्त आधिकारिक जानकारी पर आधारित
दरभंगा पुलिस की रैतिक परेड में अनुशासन की लय, नेतृत्व की गरिमा और वर्दी की विश्वसनीयता SSP-SP की संयुक्त उपस्थिति बनी प्रेरणा, ‘मिथिला जन जन की आवाज़’ पर आशिष कुमार की विशेष विश्लेषणात्मक रिपोर्ट, सोशल मीडिया कार्यालय से प्राप्त आधिकारिक जानकारी पर आधारित

दरभंगा: सुबह की हल्की धूप, जून की नमी भरी हवा, और समय से पूर्व पसीने से तर-बतर उन सैकड़ों कदमों की पदचाप जिनमें न सिर्फ़ अनुशासन की ध्वनि थी, बल्कि एक प्रतिबद्धता की प्रतिध्वनि भी। दिनांक 13 जून 2025, शुक्रवार को लहेरियासराय स्थित पुलिस केंद्र में आयोजित साप्ताहिक रैतिक परेड का दृश्य कुछ ऐसा ही था, जहां कंधे सिर्फ वर्दी नहीं, बल्कि संकल्प ढो रहे थे।

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परेड का औपचारिक नेतृत्व : अनुशासन की साझी कमान: इस बार की परेड को विशेष बनाती है इसकी नेतृत्व व्यवस्था। सामान्यतः यह परेड सप्ताह में दो दिन मंगलवार और शुक्रवार आयोजित होती है, जहां कभी नगर पुलिस अधीक्षक तो कभी वरीय पुलिस अधीक्षक अपने-अपने स्तर से इसका निरीक्षण करते हैं। परंतु आज का दृश्य उस 'सामान्य' से हटकर था। आज न केवल SP अशोक कुमार चौधरी बल्कि उनके साथ SSP दरभंगा (जगुनाथ रेड्डी जलारेड्डी) भी पूरी गंभीरता और सजगता से परेड ग्राउंड पर उपस्थित थे।

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उनकी यह संयुक्त उपस्थिति महज़ औपचारिकता नहीं थी। यह उस अंतर्निहित संदेश की उद्घोषणा थी कि नेतृत्व की असल गरिमा ज़मीन पर उतरकर तय होती है, फाइलों से नहीं।

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वर्दी की सलामी और पसीने की पुकार: सुबह 7:00 बजे जैसे ही परेड आरंभ हुई, हर कतार अपने-अपने चिन्हित स्थान पर खड़ी थी। पुलिस रक्षित बल, ट्रैफिक, डायल 112, महिला बल, होमगार्ड, और अन्य विभागीय इकाइयों के जवान अपनी वर्दी में सजे थे चमचमाते बूट, समानांतर टोपी की रेखा, और चेहरे पर दृढ़ता की स्याही।

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SSP द्वारा परेड ग्राउंड का निरीक्षण एक अनुशासन का पुनर्पाठ था। उन्होंने वर्दी की सजीव समीक्षा की बेल्ट की कसावट से लेकर बूट की सफाई तक, हर बारीकी पर दृष्टि डाली। जवानों की चाल में लय, आँखों में दृढ़ता, और हर ‘बाएँ घूम’ या ‘सलामी’ की आज्ञा में समर्पण की एक झलक थी।

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न केवल परेड, बल्कि पुलिस जीवन का 'रिव्यू मीट': परेड समाप्ति के पश्चात एसएसपी दरभंगा द्वारा बैरकों, पुलिस लाइनों, हथियार गृह, मैस और स्नानागार आदि का भी निरीक्षण किया गया। उन्होंने प्रत्येक व्यवस्था का बारीकी से अवलोकन किया और अधिकारियों को सुधार हेतु आवश्यक निर्देश दिए। मैस की सफाई, भोजन की गुणवत्ता, बैरकों की स्वच्छता और पीने के पानी की उपलब्धता इन सभी पहलुओं पर ईमानदार समीक्षा की गई। यह स्पष्ट था कि अधिकारीगण केवल निर्देश देने नहीं, बल्कि अपने अधीनस्थों की मूलभूत सुविधाओं को सुधारने का संकल्प लेकर आए हैं।

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दिशा निर्देश और आंतरिक ऊर्जा का संचार: निरीक्षण के उपरांत अपराध नियंत्रण, कानून व्यवस्था की मजबूती, और आगामी त्योहारों की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर विशेष बिंदुओं पर अधिकारियों को दिशा निर्देश दिए गए। मानसिक स्वास्थ्य, फिटनेस, कर्मठता, और टीम भावना पर बल देते हुए SSP ने कहा: “एक संगठित परेड जितनी आवश्यक है, उससे अधिक जरूरी है मन की एकजुटता। जब जवान मन से अनुशासित होंगे, तभी समाज सुरक्षित होगा।”

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नगर पुलिस अधीक्षक ने भी अपने संक्षिप्त लेकिन प्रेरक संबोधन में कहा: “हमारा उद्देश्य सिर्फ अपराधियों को पकड़ना नहीं, बल्कि आमजन के भीतर विश्वास का संचार करना है। वह विश्वास हर दिन की हमारी ड्यूटी से उपजता है, और हर शुक्रवार की परेड से पुष्ट होता है।”

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संगठित कदमों से सामाजिक सुरक्षा की ओर: रैतिक परेड केवल शरीर की जाँच नहीं, आत्मा की तैयारी है। यह एक प्रकार का 'ध्यान' है, जिसमें हर जवान न केवल अपनी वर्दी, बल्कि अपने ‘कर्तव्यबोध’ को मांजता है। यह वह क्षण होता है, जब व्यक्तिगत थकानें सामूहिक ऊर्जा में परिवर्तित हो जाती हैं। आज की परेड विशेष इसलिए भी रही क्योंकि इसमें नेतृत्व की एकता, निरीक्षण की ईमानदारी और ज़मीनी जुड़ाव तीनों एक साथ परिलक्षित हुए।

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अनुशासन की बुनियाद पर खड़ी पुलिस व्यवस्था: दरभंगा की यह रैतिक परेड केवल एक अनुष्ठान नहीं, बल्कि उस सामाजिक सुरक्षा का दर्पण है, जिसकी नींव वर्दीधारी हर दिन अपने खून और पसीने से रखते हैं। जब SSP और SP जैसे वरिष्ठ अधिकारी स्वयं मैदान में उतरकर जवानों के साथ खड़े होते हैं, तो वह दृश्य सिर्फ़ पुलिस ग्राउंड की सीमा में नहीं रहता वह दरभंगा के नागरिक मन में यह भाव भरता है कि कानून अभी भी सजग है, सुरक्षा अभी भी सक्रिय है, और नेतृत्व अभी भी संवेदनशील है।

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एक सलामी उस अनुशासन को, जो समाज की शांति की पहली सीढ़ी है: इस भागदौड़ भरे समय में, जब आम नागरिक की आँखें अक्सर प्रशासनिक उदासीनता से निराश हो जाती हैं, ऐसे में लहेरियासराय की यह रैतिक परेड एक भरोसे की किरण बनकर उभरती है। यह परेड केवल एक वर्दीधारी आयोजन नहीं, बल्कि नागरिक और शासन के बीच विश्वास की डोर है जो हर कदम के साथ मज़बूत होती जाती है। दरभंगा की जनता को यह जानकर सुकून मिल सकता है कि उनके रक्षक केवल आदेशों के पीछे नहीं, बल्कि ज़मीन पर, धूल और पसीने में, अनुशासन और समर्पण के साथ खड़े हैं।

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जब SSP और SP स्वयं साथ कदमताल करते हैं, तो जवानों का मनोबल नहीं, पूरे जिले की आत्मा उठ खड़ी होती है। यह परेड दरभंगा की आत्मा का चित्र थी अनुशासन से सिंचित, नेतृत्व से पोषित, और जनसुरक्षा की भावना से प्रेरित।