दरभंगा: ज्योतिषाचार्य डॉ. कालीकांत मिश्र 'विमल' के निधन पर कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति ने जताया दुख, कहा- एक युग का हुआ अंत
मिथिला ही नहीं बल्कि पूरे प्रदेश से बाहर तक ज्योतिष के क्षेत्र में अपनी अलग पहचान व स्थान रखने वाले प्रख्यात ज्योतिर्विद डॉ कालीकान्त मिश्र ' विमल ' अब इस दुनिया मे नहीं रहे। स्थानीय बेलशंकर मुहल्ला में अपने आवास पर 16 अप्रैल की रात करीब 10.35 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली. पढ़े पूरी खबर....
दरभंगा: मिथिला ही नहीं बल्कि पूरे प्रदेश से बाहर तक ज्योतिष के क्षेत्र में अपनी अलग पहचान व स्थान रखने वाले प्रख्यात ज्योतिर्विद डॉ कालीकान्त मिश्र ' विमल ' अब इस दुनिया मे नहीं रहे। स्थानीय बेलशंकर मुहल्ला में अपने आवास पर 16 अप्रैल की रात करीब 10.35 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली।
बहेड़ा के तूमौल गॉव में उनका जन्म दो जनवरी 1944 को हुआ था। वे अपने पीछे भरा पूरा परिवार छोड़ गए हैं। उक्त जानकारी देते हुए संस्कृत विश्वविद्यालय के पीआरओ निशिकांत ने बताया कि डॉ मिश्र वैसे तो बड़े ज्योतिषाचार्य के रूप में जाने जाते थे लेकिन संस्कृत साहित्य समेत अन्य विषयों पर भी उनकी खासी पकड़ थी। विश्वविद्यालय के अधीन करीब आधा दर्जन से अधिक संस्कृत कालेजों में बतौर प्रध्यापक उन्होंने अक्टूबर 1962 से कार्य किया था। 2004 में ज्योतिष संकायाध्यक्ष के रूपमें संस्कृत विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर विभाग से सेवानिवृत हुए थे। उन्होंने काव्य संग्रह विषपान एवं गीत संग्रह की रचनाभी की थी। उन्हें कई संगठनों से पुरस्कृत व सम्मानित किया गया था।
इधर उनके निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कुलपति डॉ शशिनाथ झा ने कहा कि डॉ मिश्र के चले जाने से एक युग का अंत हो गया। वहीं, विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर विभाग में शोक संवेदना व्यक्त की गई जिसमें डॉ श्रीपति त्रिपाठी, डॉ दयानाथ झा, डॉ कुणाल झा, डॉ दिलीप कुमार झा, डॉ पूरेन्द्र वरिक, डॉ वरुण झा समेत सभी कर्मी शामिल रहे।