आंख पर काला चश्मा, तेवर आप खुद देख लीजिए... LNMU के प्रोफेसर साहब ने कुछ इस तरह छात्रों को धमकाया!

ललित नारायण मिथिला विवि के 50वें स्थापना दिवस समारोह का उद्घाटन करने बिहार के शिक्षा मंत्री आए थे। जुबली हॉल के भीतर कार्यक्रम चल रहा था। इस दौरान गेट पर एनएसयूआई, आइसा और सातवें चरण के शिक्षक अभ्यर्थी प्रदर्शन कर रहे थे। इसी दौरान संस्कृत विवि के प्रोफेसर अनिल बिहारी अपनी कार में बैठकर अंदर आ रहे थे। प्रदर्शनकारी छात्रों ने प्रोफेसर अनिल बिहारी को गेट पर रोक दिया। पढें यह रिपोर्ट

आंख पर काला चश्मा, तेवर आप खुद देख लीजिए... LNMU के प्रोफेसर साहब ने कुछ इस तरह छात्रों को धमकाया!

दरभंगा: बिहार की शिक्षा व्यवस्था को लेकर सवाल यूं ही नहीं उठते हैं। राज्य में कहने को तो कड़ी परीक्षा और इंटरव्यू के बाद कॉलेज शिक्षकों की नियुक्ति होती है लेकिन इसके बावजूद ऐसे-ऐसे लोग शिक्षक बन जाते हैं जिनकी योग्यता को लेकर सवाल उठते हैं। शुक्रवार को दरभंगा में ऐसे ही एक शिक्षक की कारगुजारी देखकर छात्रों ने ही उन पर सवाल उठा दिए। पूरा माजरा क्या है, हम आपको बताते हैं।

दरभंगा में जदयू से ताल्लुक रखनेवाले एक प्रोफेसर की दादागिरी देखकर लोग दंग रह गए। ललित नारायण मिथिला विवि के 50वें स्थापना दिवस समारोह का उद्घाटन करने बिहार के शिक्षा मंत्री आए थे। जुबली हॉल के भीतर कार्यक्रम चल रहा था। इस दौरान गेट पर एनएसयूआई, आइसा और सातवें चरण के शिक्षक अभ्यर्थी प्रदर्शन कर रहे थे। इसी दौरान संस्कृत विवि के प्रोफेसर अनिल बिहारी अपनी कार में बैठकर अंदर आ रहे थे। प्रदर्शनकारी छात्रों ने प्रोफेसर अनिल बिहारी को गेट पर रोक दिया। गेट पर रोके जाने पर जदयू के पूर्व नगर उपाध्यक्ष और संस्कृत विवि के प्रोफेसर अनिल बिहारी आग बबूला हो गए। बांह चढ़ाकर प्रदर्शनकारी छात्रों को धमकी देने लगे।

पहले तो उन्होंने छात्रों से कहा कि तुम किसको रोक रहे हो, तुमको मालूम नहीं है। उसके बाद प्रोफेसर ने छात्रों को सीएम नीतीश कुमार और शिक्षा मंत्री विजय चौधरी के खिलाफ प्रदर्शन नहीं करने की चेतावनी दी। इस दौरान वे स्तरहीन भाषा का भी प्रयोग कर रहे थे। एनएसयूआई के विवि अध्यक्ष प्रहलाद कुमार सिन्हा ने कहा कि वे लोग शिक्षा मंत्री के सामने अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं। सातवें चरण की शिक्षक बहाली और ललित नारायण मिथिला विवि में शिक्षा विभाग की स्थापना की उनकी मांग है। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में विरोध करना स्वाभाविक रूप है। जब वे लोग शांतिपूर्व विरोध कर रहे थे तो जदयू के नेता, जो प्रोफेसर भी हैं। आदर्श शिक्षक अपने-आप को कहते हैं। सुशासन बाबू के कार्यकर्ता जो उनका झंडा लेकर चलते हैं।

उन्होंने कहा कि अनिल बाबू आए थे। जो हम लोगों को इस ढंग से धमकी देना शुरू किए जो कि लगता था कि सामने एक प्रोफेसर नहीं है बल्कि कोई सड़क छाप गुंडा हो। वो हमको हाथ तना तनी करके धमकी देना शुरू कर दिए। हम शिक्षा मंत्री के सामने अपना जो शांतिपूर्ण सातवें चरण की नियुक्ति को लेकर जो विरोध कर रहे हैं, वह नहीं करें। हम कहना चाहते हैं कि भाई आप कौन होते हैं। आम जनता, आम अभ्यर्थी, सातवें चरण वाले अभ्यर्थी से बड़े हैं कि हम डर जाएंगे। हम तो आपको पहचानते भी नहीं कि कौन हैं। अपने आपको कहते हैं कि हम नेता हैं, लेकिन हम उस नेता का कोई वैल्यू ही नहीं मानते हैं।