14 दिन बाद कालू खान का शव कुवैत से पहुंचा दरभंगा, ग्रामीणों ने पीड़ित परिवार को एक सरकारी नौकरी और 20 लाख रुपया मुआवजा की मांग

कुवैत में एक रिहायशी इमारत में आग लगने से 40 भारतीय कामगार की मौत हो गई थी। जिसमे से एक दरभंगा जिला के नैनाघाट गांव निवासी मदीना खातून के बड़ा बेटा कालू खान भी इस अग्निकांड का शिकार हो गया था। जिसका शव 14 दिन बाद घर पंहुचा। शव पहुंचते ही घर मे एक बार फिर कोहराम मच गया. पढ़े पूरी खबर.........

14 दिन बाद कालू खान का शव कुवैत से पहुंचा दरभंगा, ग्रामीणों ने पीड़ित परिवार को एक सरकारी नौकरी और 20 लाख रुपया मुआवजा की मांग
14 दिन बाद कालू खान का शव कुवैत से पहुंचा दरभंगा, ग्रामीणों ने पीड़ित परिवार को एक सरकारी नौकरी और 20 लाख रुपया मुआवजा की मांग; फोटो: मिथिला जन जन की आवाज

दरभंगा - कुवैत में एक रिहायशी इमारत में आग लगने से 40 भारतीय कामगार की मौत हो गई थी। जिसमे से एक दरभंगा जिला के नैनाघाट गांव निवासी मदीना खातून के बड़ा बेटा कालू खान भी इस अग्निकांड का शिकार हो गया था। जिसका शव 14 दिन बाद घर पंहुचा। शव पहुंचते ही घर मे एक बार फिर कोहराम मच गया। कालू खान की जुलाई में शादी होनी थी और वो निकाह के लिए भारत आने वाला था। उससे पहले कालू का जनाजा आ गया।

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वही ग्रामीण पप्पू खान ने कहा कि मोदी सरकार की एंबेसी पूरी तरीके से फेल दिख रही है। इतनी बड़ी घटना होती है और 14 दिन के बाद मृतक का शव उसके पैतृक गांव नैनाघाट पहुंचता है। यह काफी अफसोस की बात है। हमलोग सरकार से मांग करते हैं कि पीड़ित परिवार को एक सरकारी नौकरी और 20 लाख रुपया मुआवजा मिले। ताकि परिवार का भरण पोषण हो सके। वही उन्होंने कहा कि जिस वक्त कालू का शव पहुंचा उस वक्त लोकल थाना के एक अधिकारी और श्रम अधिकारी मौजूद थे।

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बताते चले कि कालू अपने तीन भाई में मझला भाई था। उसकी तीन बहन थी। जिसमें से एक बहन की पहले ही मौत हो गई थी, जिसके बेटे की भी देखभाल वही करता था। घर में कालू इकलौता कमाने वाला था, जिससे घर का भरण पोषण होता था। अगस्त 2022 में वह आखरी बार गांव आया था। उसके पिता इस्लाम की भी मृत्यु 2011 में हो चुकी है। कालू लंबे समय से कुवैत में रहकर काम कर रहा था। वहां पर सुपर मार्केट में सेल्समैन का काम करता था, जिसके कंपनी का नाम एनबीटीसी था।