पढ़ें....आरती के साथ हुई उस दिल दहला देने वाली घटना की पूरी दास्तान… जहाँ दहेज के हैवानों ने तीन साल की शादी, एक माँ की ममता और दो मासूमों की हँसी छीन ली… बुआरी गाँव की आरती अब नहीं रही, पर उसकी खामोशी पूरे समाज के गले पर पड़ा हुआ एक कसता फंदा बन गई है….

कभी किसी माँ की गोद में मुस्कराते दो नन्हे बच्चे… एक डेढ़ साल का बेटा और तीन महीने की दुधमुंही बिटिया… क्या जानते थे कि उनकी माँ आरती देवी (23) अब कभी उन्हें सीने से नहीं लगाएगी। कि वे जिस घर में जन्मे, उसी घर की दीवारों में उनकी माँ की चीखें कैद रह जाएँगी। बिरौल थाना क्षेत्र के बुआरी गाँव की हवा मंगलवार भोर में अचानक भारी हो गई। एक पिता की असहायता, एक भाई की पीड़ा और दहेज की आग में बुझती एक बेटी की अंतिम सांसों की खबर जब पूरे क्षेत्र में फैली, तो कई आँखों का सब्र छलक पड़ा। तीन साल पहले ब्याही गई थी आरती… सोने-चाँदी, साज-समान और पाँच लाख 51 हज़ार देकर पिता ने दी थी बेटी. पढ़े पूरी खबर........

पढ़ें....आरती के साथ हुई उस दिल दहला देने वाली घटना की पूरी दास्तान… जहाँ दहेज के हैवानों ने तीन साल की शादी, एक माँ की ममता और दो मासूमों की हँसी छीन ली… बुआरी गाँव की आरती अब नहीं रही, पर उसकी खामोशी पूरे समाज के गले पर पड़ा हुआ एक कसता फंदा बन गई है….
पढ़ें....आरती के साथ हुई उस दिल दहला देने वाली घटना की पूरी दास्तान… जहाँ दहेज के हैवानों ने तीन साल की शादी, एक माँ की ममता और दो मासूमों की हँसी छीन ली… बुआरी गाँव की आरती अब नहीं रही, पर उसकी खामोशी पूरे समाज के गले पर पड़ा हुआ एक कसता फंदा बन गई है….

दरभंगा। कभी किसी माँ की गोद में मुस्कराते दो नन्हे बच्चे… एक डेढ़ साल का बेटा और तीन महीने की दुधमुंही बिटिया… क्या जानते थे कि उनकी माँ आरती देवी (23) अब कभी उन्हें सीने से नहीं लगाएगी। कि वे जिस घर में जन्मे, उसी घर की दीवारों में उनकी माँ की चीखें कैद रह जाएँगी। बिरौल थाना क्षेत्र के बुआरी गाँव की हवा मंगलवार भोर में अचानक भारी हो गई। एक पिता की असहायता, एक भाई की पीड़ा और दहेज की आग में बुझती एक बेटी की अंतिम सांसों की खबर जब पूरे क्षेत्र में फैली, तो कई आँखों का सब्र छलक पड़ा। तीन साल पहले ब्याही गई थी आरती… सोने-चाँदी, साज-समान और पाँच लाख 51 हज़ार देकर पिता ने दी थी बेटी।

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समस्तीपुर जिले के सिंघिया थाना क्षेत्र के लील हौल निवासी राम जतन साहू ने अपनी सामर्थ्य से बढ़कर अपनी बेटी आरती को विदा किया था। दस भर सोना… चाँदी… सारा गृह-सामान… और गाड़ी के लिए पाँच लाख इक्यावन हज़ार रुपये… एक पिता ने अपनी खुशियों को बेच दिया, बस इसलिए कि उसकी बेटी के जीवन में कोई कमी न रहे। परंतु दहेज की भूख जो कभी नहीं भरती फिर भी ख़ामोश न हुई।

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चार चक्का गाड़ी चाहिए… नहीं दोगे तो आरती को मार देंगे ससुराल में रोज का आतंक: शादी के कुछ ही महीने बाद आरती पर दबाव शुरू हो गया पति रवींद्र कुमार साहू उर्फ रवि राज ससुर नागेश्वर साहू सास शुभकला देवी ननद सोनी देवी और परिवार के अन्य सदस्य… सबकी एक ही माँग थी चार पहिया गाड़ी का पैसा दो। आरती ने रोते हुए कई बार अपने पिता और भाई को बताया “बाबूजी, नहीं दिए तो ये लोग मुझे मार देंगे…” एक पिता ने समझाया बिटिया, जो था सब दे दिया… अब कुछ नहीं बचा। पर पिता की असहाय आवाज़ दहेज के भूखे कानों तक कभी पहुँची ही नहीं।

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एक महीना पहले पिता ने ज़मीन बेचकर तीन लाख रुपये और दिए… पर लालच का कुआँ अंतहीन था: दिल पर पत्थर रखकर, आँसू छिपाकर, अपनी ज़मीन का टुकड़ा बेचकर आरती के पिता ने तीन लाख रुपये और दे दिए। बेटी की खुशी की कीमत जब पिता अपनी मिट्टी तक बेचकर चुका दे तो समझ लीजिए उस पिता के दर्द का आकार शब्दों में नहीं मापा जा सकता। परंतु दहेज लोभियों को इससे भी संतोष न हुआ… लालच ने उनकी आँखों की रोशनी और दिल की इंसानियत दोनों छीन ली थीं।

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1 दिसंबर की रात मौत की ख़ामोशी, एक लड़की की अंतिम चीखें… और अगले दिन सुबह 3:25 बजे एक ठंडा फोन कॉल: राहुल साहू आरती का भाई ने बताया कि सोमवार की रात उसकी बहन को मिलकर मार दिया गया। उसने FIR में लिखा एक दिसंबर की रात बहनोई रवींद्र कुमार, गोविंद साहू, विनोद साहू, सोनी देवी, सास शुभकला देवी और छह अन्य लोगों ने मेरी बहन की हत्या कर दी। मंगलवार सुबह 3:25 बजे रवींद्र ने फोन किया आपकी बहन की मौत हो गई है… और इसके बाद फोन स्विच ऑफ़। एक भाई की दुनिया उसी क्षण टूट गई।

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जब पुलिस पहुँची पलंग पर पड़ी थी आरती की निर्जीव देह… गले पर गहरे घाव के निशान… और घर में भयानक सन्नाटा: थानाध्यक्ष चंद्रमणि पुलिस बल के साथ पहुँचे।FSL की टीम आई। घर से कई महत्वपूर्ण साक्ष्य उठाए गए। जो लोग दावा करते थे कि “मौत अचानक हुई” उनकी कहानी गले के जख्म के निशान के सामने दम तोड़ती दिखी। बच्चे घर में नहीं मिले। वे ननिहाल पहुँचाए जा चुके थे क्योंकि शायद घरवालों को भी पता था कि उनका कृत्य अब छिपने वाला नहीं।

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सास गिरफ्तार बाकी आरोपी फरार… पति बैंक का सीएसपी चलाता है और बच्चों को ट्यूशन पढ़ाता था: आज वही पति जो बच्चों को ज्ञान देता था कानून से भाग रहा है। वही परिवार जो समाज में सम्मान का मुखौटा पहनता था अब दहेज हत्या का आरोपी है। थानाध्यक्ष ने बताया FIR दर्ज कर ली गई है। हत्या है या आत्महत्या पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद स्पष्ट होगा। पर हम हर बिंदु पर जांच कर रहे हैं।

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पर सवाल यह है किसकी जांच पहले होगी? आरती की मौत की या समाज के मर चुके विवेक की: हर बार बेटी ही क्यों जलाई जाती है? हर बार माँ की कोख में पलते सपनों को ही क्यों कुचल दिया जाता है? एक पिता की मेहनत, उसकी इज़्ज़त, उसकी सबसे प्यारी संपत्ति सब कुछ लुट जाने के बाद भी क्या दहेजखोरों की भूख कभी खत्म होती है? आरती चली गई… पर पीछे छोड़ गई दो मासूमों की सूनी किस्मत, एक बूढ़े बाप की टूटी कमर, और एक भाई की आँखों में हमेशा के लिए जम गई नमी।यह एक बेटी की अंत्येष्टि है, जिसे दहेजलोभी समाज ने मिलकर जला दिया। जब तक इस आग पर पानी न डाला जाए, तब तक किसी भी आरती की चिता बुझने वाली नहीं।