विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर एसपी सिंह ने सत्य नारायण प्रसाद यादव लिखित 'मिथिलाक मार्गदर्शक' पुस्तक का किया विमोचन
दरभंगा:- मैथिली साहित्य के शोधार्थी सत्यनारायण प्रसाद यादव द्वारा "मिथिलाक मार्गदर्शक" नामक पुस्तक लिखा जाना गंभीर संदेश देता है। दूसरे विषय पर पुस्तक लेखन सराहनीय व अनुकरणीय कार्य है। अपने विषय से जोड़कर दूसरे विषयों पर शोध कार्य अथवा पुस्तक लेखन समय की मांग भी है। उक्त बातें ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा के कुलपति प्रोफेसर सुरेन्द्र प्रताप सिंह ने मैथिली के शोधार्थी सत्यनारायण प्रसाद यादव द्वारा लिखित "मिथिलाक मार्गदर्शक" पुस्तक का विश्वविद्यालय के सभागार में विमोचन करते हुए कही।
कुलपति ने कहा कि पुस्तक में उद्धृत सभी व्यक्तित्व मिथिला के गौरव एवं धरोहर हैं, जिनपर पुस्तक लेखन करना उनके सम्मान स्वरूप है। नई पीढ़ी को भी इन व्यक्तित्व से अवगत होना आवश्यक है। यह हम पर निर्भर है कि ऐसे महापुरुषों के संदेशों का हम किस रूप में उपयोग करते हैं। उन्होंने पुस्तक के लेखक शोधार्थी सत्यनारायण प्रसाद यादव तथा उनके शोध पर्यवेक्षक प्रो अशोक कुमार मेहता के प्रयास की सराहना करते हुए उन्हें बधाई एवं शुभकामनाएं दी। प्रति कुलपति प्रोफेसर डॉली सिन्हा ने लेखक के इस प्रथम प्रयास हेतु बधाई देते हुए कहा कि छात्र जीवन में पुस्तक लेखन आसान नहीं होता है। इस पुस्तक में साहित्य के अलावे राजनीतिक, सामाजिक, पत्रकारिता के साथ ही चित्रकला आदि से संबंधित व्यक्तित्व का वर्णन प्रशंसनीय कदम है।
उन्होंने आगे भी लेखक द्वारा और अधिक बेहतर ढंग से पुस्तक लिखे जाने की शुभकामनाएं दी। वित्तीय परामर्शी कैलाश राम ने पुस्तक लेखन हेतु लेखक को बधाई देते हुए कहा कि किसी भी भाषा की पहचान उसकी स्क्रिप्ट से होती है। मैथिली भाषा के लेखक मिथिलाक्षर में भी पुस्तक लेखन करें। कुलसचिव प्रोफ़ेसर मुश्ताक अहमद ने कहा कि साहित्य समाज का दर्पण होता है। इस पुस्तक में जिन 10 महापुरुषों की जीवनी है, वे मिथिला के ही नहीं राष्ट्रीय स्तर पर भी प्रसिद्ध एवं महत्वपूर्ण रहे हैं। उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त की कि इन 10 महानुभावों में शहीद सूरज बाबू, गुलाम सरवर साहब तथा कर्पूरी ठाकुर आदि मेरे परिवार से संबंधित रहे हैं। कुलसचिव ने कहा कि जब मैं छोटा था, तब शहीद सूरज बाबू सकरी में मेरे यहां भी आते थे। उन्होंने कहा कि मैथिली साहित्य के छात्र द्वारा राजनीतिज्ञों के बारे में लिखना श्रमसाध्य कार्य है। 'मिथिलाक मार्गदर्शक' पुस्तक के लेखक सत्य नारायण प्रसाद यादव ने धन्यवाद ज्ञापन करते हुए कहा कि इस पुस्तक में कुल 10 अध्याय हैं।
प्रथम अध्याय में विस्मृत समाजवादी योद्धा : भूपेन्द्र नारायण मंडल, द्वितीय अध्याय में मिथिलामे पुनर्जागरणक अग्रदूत : पंडित रामनंदन मिश्र, तृतीय अध्याय में निर्भीक सेनानी ओ मजदूरक पक्षधर : सूरज नारायण सिंह, चतुर्थ अध्याय में शिक्षाक अलख जगौनिमहार : कीर्ति नारायण मंडल, पंचम अध्याय में भारतीय राजनीति केर विदेह : भोला पासवान 'शास्त्री', षष्ठ अध्याय में मिथिलाक वंचित वर्गक पहिल सांसद : किराइ मुसहर, सप्तम अध्याय में मिथिला चित्रकलाक महान साधिका : महासुंदरी देवी, अष्टम अध्याय में मार्क्सवाद मैथिल ध्वजावाहक : भोगेन्द्र झा, नवम अध्याय में जन गण केर नायक : कर्पूरी ठाकुर तथा दशम अध्याय में पत्रकारिता किंकर का राजनीतिक प्रवर : गुलाम सरवर हैं। पुस्तक लेखक के शोध पर्यवेक्षक प्रो अशोक कुमार मेहता ने कार्यक्रम का संचालन करते हुए कहा कि पुस्तक का विमोचन सारस्वत अनुष्ठान है।
यह पुस्तक संदर्भ ग्रंथ है जो शोध कार्य के लिए भी उपयोगी सिद्ध होगा। उन्होंने कहा कि लेखक भौर (राजग्राम), प्रखंड- पंडौल, मधुबनी के निवासी हैं। मुझे प्रसन्नता हो रही है कि मेरे शोधार्थी एवं लेखक की रूचि कविता लेखन में भी हो रही है। ये सुलझे हुए शोधार्थी एवं सामाजिक व्यक्ति भी हैं। इस अवसर पर पुस्तक के आमुख लेखक प्रोफेसर मुनेश्वर यादव, डा अवनि रंजन सिंह, प्रो रमेश झा, प्रो दमन कुमार झा, डा दिवाकर झा, डा मो ज्या हैदर, प्रो अरुण कुमार सिंह, प्रो सुरेन्द्र प्रसाद, विभूति आनंद, डा आर एन चौरसिया, डा कामेश्वर पासवान, डा विनोद बैठा, संदीप कुमार, राम नरेश यादव, राम कुमार झा, चंदेश्वर सिंह, डा सुरेन्द्र भारद्वाज, दीपेश कुमार, योगेन्द्र प्रसाद सिंह, शालिनी कुमारी, राजश्री कुमारी वंदना कुमारी एवं दीपक कुमार आदि उपस्थित थे।