यह कैसा स्थापन दिवस समारोह हुआ मान्यवर... छात्र के लिए स्थापित विश्वविद्यालय के स्वर्ण जयंती स्थापना दिवस समारोह में छात्रों की भूमिका दुर्लभ: उत्सव पाराशर
छात्र के लिए स्थापित विश्वविद्यालय के स्वर्ण जयंती स्थापना दिवस समारोह में छात्रों की भूमिका नदारद..
दरभंगा:- विश्वविद्यालय की स्थापना छात्र हित के लिए हीं होता है परंतु विश्वविद्यालय प्रशासन अपने छात्रों को स्थापना दिवस समारोह में आने की सूचना तक नहीं दिया। और विश्वविद्यालय प्रशासन अपने निहित स्वार्थ की पूर्ति के लिए माननीयों को आमंत्रित कर अभिनंदित करते हुए अपने स्वकार्य सिद्ध करने में सफल हुए जिसमें लाखों की राशि खर्च हुई। इतनी बड़ी लोक धन की राशि खर्च करने के बाद भी विश्वविद्यालय स्थापना दिवस समारोह हम छात्रों के बीच किसी भी प्रकार का सार्थक संदेश न दे पाया।
विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा छात्र हित की इतनी बड़ी धन राशि का खर्च करना दुरुपयोग माना जाएगा । हम मांग करते हैं कि विश्वविद्यालय प्रशासन इस स्थापना दिवस समारोह में किन मदों की राशि कितना-कितना किन किन मदों में खर्च की है उसे सार्वजनिक करे। जिससे हम छात्र भी संतुष्ट हों कि हमारे हित की राशि का विश्वविद्यालय द्वारा सदुपयोग किया जा रहा है।
बगैर छात्र के विश्वविद्यालय की स्थापना दिवस समारोह उपस्थित होना अकल्पनीय है।
चिंतनीय ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय स्वर्ण जयंती स्थापना दिवस समारोह में छात्रों की भूमिका नदारद। क्या विश्वविद्यालय अपने क्षेत्र के महाविद्यालय एवं विभागों से 5–10 छात्रों का चयन कर आमंत्रण नहीं कर सकता था ???
स्थापना दिवस समारोह में छात्रों को बुलाना उचित है या नहीं????
विश्वविद्यालय प्रशासन स्वर्ण जयंती स्थापना दिवस समारोह जैसे महत्वपूर्ण कार्यक्रम की विशिष्टता को महत्व न देकर इतने बड़े आयोजन को एक सीमित हॉल आयोजित कर इसे संकीर्ण कर दिया। जबकि ऐसे कार्यक्रम का आयोजन विश्वविद्यालय के खुले मैदान में होनी चाहिए जिसमें पूर्ववर्ती एवं वर्तमान छात्रों की सहभागिता का भी समायोजन हो सकता था। जिससे छात्र समाज में संदेश जाता और पढ रहे छात्रों के बीच हौसला अफजाई भी होता।
विश्वविद्यालय के स्थापना के लिए बहुत सारे पूर्ववर्ती छात्र संघर्ष किए थे उनको इस कार्यक्रम में आमंत्रित नहीं करना अव्यावहारिक। विश्वविद्यालय क्षेत्र में विभिन्न छात्र संगठन छात्र के लिए कार्यरत है उनके भी प्रतिनिधि को आमंत्रित करना उचित था। विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र संघों को भी आमंत्रित नहीं करना सर्वथा अनुचित प्रतीत होता है।
विवि के नाम पूर्व छात्र संघ महासचिव उत्सव पराशर का खुला पत्र