बिहार के दरभंगा में गायब हुए तालाब को पुराने स्वरूप में लाने का कवायत हुआ शुरू, DCLR के समक्ष कब्जाधारी के सामान को जप्त कर JCB मशीन से तालाब के पुराने स्वरूप लाने की कवायत हुई शुरू

दरभंगा जिला में रातों रात गायब हुए तालाब पर जिला दंडाधिकारी के आदेश के बाद गुरुवार को बड़ी कारवाई हुई है। सदर अंचलाधिकारी इन्द्रासन साह और DCLR संजीत कुमार के समक्ष में भाड़ी संख्या में पुलिस बल के साथ विश्वविद्यालय थाना क्षेत्र के वार्ड संख्या चार में गायब हुए पोखर पर पहुंचे और तालाब वाले जमीन पर से कब्जाधारी के सामान को जप्त कर, बांस के बने चारदीवारी तथा झोपड़ी को तोड़कर जमीन को JCB मशीन से खोद तालाब के पुराने स्वरूप लाने की कवायत शुरू कर दी है. पढ़े पूरी खबर.......

बिहार के दरभंगा में गायब हुए तालाब को पुराने स्वरूप में लाने का कवायत हुआ शुरू, DCLR के समक्ष कब्जाधारी के सामान को जप्त कर JCB मशीन से तालाब के पुराने स्वरूप लाने की कवायत हुई शुरू
बिहार के दरभंगा में गायब हुए तालाब को पुराने स्वरूप में लाने का कवायत हुआ शुरू, DCLR के समक्ष कब्जाधारी के सामान को जप्त कर JCB मशीन से तालाब के पुराने स्वरूप लाने की कवायत हुई शुरू

दरभंगा - बिहार के दरभंगा जिला में रातों रात गायब हुए तालाब पर जिला दंडाधिकारी के आदेश के बाद गुरुवार को बड़ी कारवाई हुई है। सदर अंचलाधिकारी इन्द्रासन साह और DCLR संजीत कुमार के समक्ष में भाड़ी संख्या में पुलिस बल के साथ विश्वविद्यालय थाना क्षेत्र के वार्ड संख्या चार में गायब हुए पोखर पर पहुंचे और तालाब वाले जमीन पर से कब्जाधारी के सामान को जप्त कर, बांस के बने चारदीवारी तथा झोपड़ी को तोड़कर जमीन को JCB मशीन से खोद तालाब के पुराने स्वरूप लाने की कवायत शुरू कर दी है। जिससे स्थानीय लोगो में काफी खुशी है।

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वही DCLR संजीत कुमार ने कहा कि मीडिया के माध्यम से पता चला कि विश्वविद्यालय थाना क्षेत्र के वार्ड नं चार में नीम पोखर के पास एक तालाब की चोरी कर ली गई है। अनुसंधान के क्रम में पता चला कि तालाब की चोरी नहीं बल्कि तालाब का स्वरूप को बदल दिया गया था। इसके बाद समाहर्ता महोदय के न्यालय से हमलोगों को अंतरिम आदेश मिला है कि 19 दिसंबर 22 से पूर्व में जो स्थिति थी। उसे उसी स्वरूप में लाना है। उस आदेश के अनुपालन हेतु हम लोग स्थल पर आए हैं और जलाशय को पुराने स्वरूप में ला रहे हैं।

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वही जमीन पर मालिकाना हक जताने वाले मुरारी मंडल ने कहा कि हम लोगों को 1945 ई में दरभंगा राज से जमीन बंदोबस्त है। उसमें दो खेसरा अंकित किया गया है। 131 और 132 एक खेसरा है। एक खेसरा बकास तथा दूसरा गौरमजरुआ खास है। वहीं उन्होंने कहा कि प्रशासन के द्वारा उक्त खेसरा के जमीन को जलाशय कहा जा रहा है। जो वास्तव में कभी जलाशय था ही नहीं। वहीं उन्होंने कहा कि अभी जहां भी नई कॉलोनी बस रहे हैं। ऊंचे ऊंचे मकान बन रहे हैं और उस मकान का पानी खाली पड़े जगह पर लग रहा है। जिसके कारण डबरा जैसा देखने को लगता है। जबकि खतियान में आम का पेड़ लीची का पेड़ कटहल का पेड़ आदि तो नहीं लिखा रहता। यह सारा चीज पोखर में तो नहीं होता है। जिला प्रशासन के इस आदेश के विरुद्ध मैं न्यायालय का शरण लूंगा।