प्रेम किया था, पाप नहीं... फिर क्यों झूलना पड़ा दुपट्टे से? दरभंगा के कंसी गांव में प्रेमी की संदिग्ध हत्या ने उठाए कई सवाल क्या अब प्यार की सज़ा मौत है? क्या इज़्ज़त के नाम पर हर संवेदना कुर्बान होगी? और सबसे बड़ा सवाल... आख़िर किसने दरभंगा को नजर लगा दी?

यह वही धरती है जहाँ विद्यापति के गीतों में प्रेम देवता हुआ करता था... जहाँ सीता जन्मभूमि कहे जाने की आस्था बहती थी... मगर अब उसी धरती पर प्रेमियों की लाशें लटकाई जा रही हैं। यह प्रेम नहीं मरा है दरभंगा में, यह दरभंगा की आत्मा की हत्या है। सिंहवाड़ा प्रखंड के कंसी गांव में आकाश सहनी की रहस्यमयी मौत कोई मामूली घटना नहीं, यह सवाल है कि क्या अब प्यार करना गुनाह है? क्या प्रेमिका की शादी के मंडप तक पहुंच जाना मौत का न्यौता बन चुका है?..... पढ़े पुरी खबर.......

प्रेम किया था, पाप नहीं... फिर क्यों झूलना पड़ा दुपट्टे से? दरभंगा के कंसी गांव में प्रेमी की संदिग्ध हत्या ने उठाए कई सवाल क्या अब प्यार की सज़ा मौत है? क्या इज़्ज़त के नाम पर हर संवेदना कुर्बान होगी? और सबसे बड़ा सवाल... आख़िर किसने दरभंगा को नजर लगा दी?
प्रेम किया था, पाप नहीं... फिर क्यों झूलना पड़ा दुपट्टे से? दरभंगा के कंसी गांव में प्रेमी की संदिग्ध हत्या ने उठाए कई सवाल क्या अब प्यार की सज़ा मौत है? क्या इज़्ज़त के नाम पर हर संवेदना कुर्बान होगी? और सबसे बड़ा सवाल... आख़िर किसने दरभंगा को नजर लगा दी?

दरभंगा। यह वही धरती है जहाँ विद्यापति के गीतों में प्रेम देवता हुआ करता था... जहाँ सीता जन्मभूमि कहे जाने की आस्था बहती थी... मगर अब उसी धरती पर प्रेमियों की लाशें लटकाई जा रही हैं। यह प्रेम नहीं मरा है दरभंगा में, यह दरभंगा की आत्मा की हत्या है। सिंहवाड़ा प्रखंड के कंसी गांव में आकाश सहनी की रहस्यमयी मौत कोई मामूली घटना नहीं, यह सवाल है कि क्या अब प्यार करना गुनाह है? क्या प्रेमिका की शादी के मंडप तक पहुंच जाना मौत का न्यौता बन चुका है?

                                 ADVERTISEMENT

आकाश सहनी: एक नाम, जो अब सिर्फ़ तस्वीरों में मुस्कुराएगा: मुंबई में मेहनत-मजदूरी कर अपना भविष्य बनाने वाला आकाश सहनी जब दरभंगा लौटा, तो उसकी आँखों में न तो नींद थी, न आराम... बस एक तड़प थी उस लड़की के लिए जिससे वह दिलोजान से प्यार करता था। लेकिन अफ़सोस! जिस गांव में उसने पहली बार दिल लगाया, उसी गांव में उसकी लाश झूलती मिली।

                                  ADVERTISEMENT

जयमाला की रात तक वह शादी समारोह में देखा गया। कोई शोर-गुल नहीं, कोई हंगामा नहीं। वह सिर्फ़ खड़ा था अपनी प्रेमिका को किसी और के गले में माला डालते देखता हुआ। और फिर सुबह उसकी लाश मिली... घर के बाहर वाले कमरे में दुपट्टे से लटकी हुई।

                                  ADVERTISEMENT

यह हत्या थी या हत्या का जाल? परिवार रो-रोकर कह रहा है कि यह आत्महत्या नहीं थी। यह सुनियोजित हत्या थी, जिसमें लड़की के पिता, भाई और उसके ससुराल वालों की मिलीभगत थी। लेकिन सवाल यह भी है क्या पुलिस यह मानेगी? एफआईआर दर्ज हो चुकी है, नामजद आरोपी हैं विनोद भगत, जितेंद्र भगत और फलिंदर भगत। लेकिन अब तक एक भी गिरफ्तारी नहीं! क्या प्रेमी होना इतना बड़ा अपराध हो गया है कि उसकी मौत पर भी समाज चुप है, और प्रशासन कुंभकरण की नींद सो रहा है?

                                  ADVERTISEMENT

विवाह मंडप से मातम: विदा हुई दुल्हन, लेकिन शर्मिंदा नहीं हुआ समाज: जिस घर से दुल्हन की डोली उठनी थी, वहां से अर्थी उठी प्रेमी की। जिस छत के नीचे रात भर शहनाइयाँ गूंजी थीं, उसी छत के नीचे किसी की आख़िरी सांसें भी गूंज रही थीं। सुबह जब आकाश की मौत की खबर गांव में फैली, तो बारातियों ने चुपचाप अपना रास्ता ले लिया। विदाई के समय मंगल गीतों की जगह पुलिस की जीप गूंज रही थी। शर्म की बात यह है कि पुलिस ने खुद दूल्हा-दुल्हन को विदा कर उनके गांव तक पहुंचाया जैसे कुछ हुआ ही नहीं। क्या यही न्याय है दरभंगा में? क्या यही संवेदनशीलता है मिथिला पुलिस की?

                                   ADVERTISEMENT

प्रशासन को कौन जगाएगा? अब दरभंगा को झाड़-भूंक की जरूरत है! एक के बाद एक घटनाएँ... एक के बाद एक हत्याएँ... एक के बाद एक आत्माएं दरभंगा की धरती पर मिट रही हैं। कभी खेत में लाश मिलती है, कभी बहेड़ा पोखर में धर्म के नाम पर खून बहता है, कभी लड़की के इलाज में लापरवाही से मौत होती है, और अब प्रेम में डूबे युवक को मारकर टांग दिया जाता है।

                                 ADVERTISEMENT

आख़िर कब तक? कौन बचाएगा दरभंगा को इस सामाजिक दरिंदगी से? शायद अब दरभंगा को सिर्फ़ विकास योजनाओं की नहीं, बल्कि झाड़-भूंक की जरूरत है! क्योंकि यह जिला अब सामाजिक पतन, पाखंडी परंपराओं और प्रशासनिक लापरवाही से ग्रसित हो गया है।

                                 ADVERTISEMENT

यह एक प्रेमी की नहीं, एक पीढ़ी की हार है: आकाश सहनी की मौत कोई इकलौता मामला नहीं है। यह उस मानसिकता की उपज है जहाँ प्यार को पाप समझा जाता है, और झूठी 'इज़्ज़त' को इंसानियत से ऊपर रखा जाता है। जो लड़का अपने प्रेम को सिर्फ़ देखना चाहता था, उसने अपने प्रेमिका की शादी में उपस्थिति दी, लेकिन अपनी मौत के साथ पूरे गांव को आईना दिखा गया।

                               ADVERTISEMENT

एक सवाल पुलिस से, समाज से, और हर उस पिता से जो बेटी को वस्तु समझता है: क्या अब इस देश में बेटी के प्रेम को बचाने के लिए लड़के को मरना ही पड़ेगा? क्या अब हर आकाश को लटककर ही साबित करना होगा कि वह सिर्फ़ प्रेम करता था, हत्या नहीं?

                                 ADVERTISEMENT

और क्या अब हर दरभंगा प्रेमियों का कब्रिस्तान बनेगा? यह रिपोर्ट पोस्टमार्टम रिपोर्ट और मोबाइल कॉल डिटेल्स के सार्वजनिक होने के बाद अपडेट की जाएगी। हमारे पास एक सवाल अभी भी बाकी है: “आख़िर किसने दरभंगा को नजर लगा दी?”