"दरभंगा पुलिस की दृढ़ता ने फिर रचा न्याय का अध्याय: महिला की गरिमा से खिलवाड़ करने वाले को सारण की तंग गलियों से खोज निकाला, साइबर थाना की टीम ने दिखाई मिसाल"
जब न्याय की डगर कठिन हो, जब पीड़िता की पुकार अंधेरे में खोने लगे, और जब समाज की मर्यादा को रौंदने वाले अपराधी खुले आम घूमते हों — तब कोई तो होता है जो उस सन्नाटे को तोड़ता है। और इस बार वो आवाज़ बनी है दरभंगा की साइबर थाना पुलिस, जिसने अपने संकल्प, सतर्कता और समर्पण से फिर यह साबित कर दिया कि कानून की लंबी बाँहें किसी भी गुनहगार को पकड़ने से चूकती नहीं. पढ़े पुरी खबर......

दरभंगा। मिथिला जन जन की आवाज प्रधान संपादक आशिष कुमार की विशेष रिपोर्ट: जब न्याय की डगर कठिन हो, जब पीड़िता की पुकार अंधेरे में खोने लगे, और जब समाज की मर्यादा को रौंदने वाले अपराधी खुले आम घूमते हों — तब कोई तो होता है जो उस सन्नाटे को तोड़ता है। और इस बार वो आवाज़ बनी है दरभंगा की साइबर थाना पुलिस, जिसने अपने संकल्प, सतर्कता और समर्पण से फिर यह साबित कर दिया कि कानून की लंबी बाँहें किसी भी गुनहगार को पकड़ने से चूकती नहीं।
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दरभंगा साइबर थाना कांड संख्या 20/25 में दर्ज एक संवेदनशील प्रकरण — जिसमें एक महिला की नग्न तस्वीर वायरल कर उसे मानसिक प्रताड़ना दी जा रही थी — को पुलिस ने न केवल गंभीरता से लिया, बल्कि तेजी से कार्रवाई करते हुए अभियुक्त कुंदन कुमार को सारण जिले के भगवानबाजार थाना अंतर्गत गुदरी राय रामजी गली से गिरफ्तार कर लिया।
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इस कार्रवाई की अगुवाई कर रहे थे पुलिस उपाधीक्षक राहुल कुमार — जिनके नेतृत्व में गठित एक विशेष टीम ने अभियुक्त के ठिकाने तक पहुँचने के लिए दिन-रात एक कर दिया। दरभंगा से सारण तक की दूरी भले ही भौगोलिक हो, लेकिन कानून के हाथ उसे पार करते देर नहीं लगी।
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अभियुक्त कुंदन कुमार, पिता राधेश्याम, ने जिस शर्मनाक हरकत को अंजाम दिया था, वह सिर्फ एक महिला पर नहीं, बल्कि पूरे समाज की मर्यादा पर प्रहार था। लेकिन पुलिस की तत्परता ने यह स्पष्ट कर दिया कि अब डिजिटल अपराध भी अछूता नहीं रहेगा। उसके पास से Redmi और Poco कम्पनी के दो एंड्रॉयड मोबाइल एवं दो सिम कार्ड बरामद किए गए हैं — जो इस अपराध में प्रयुक्त हुए थे।
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गिरफ्तारी टीम में शामिल रहे ये जाँबाज़ अधिकारी:
1. पु०नि० संतोष कुमार मंडल — जिनकी रणनीति और समझ ने अभियुक्त तक पहुँचने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
2. पु०अ०नि० आराधना कुमारी — जिन्होंने महिला अधिकारी के रूप में अपनी जिम्मेदारी का न केवल निर्वाह किया, बल्कि पीड़िता को न्याय दिलाने में एक भरोसे की कड़ी बनीं।
3. चालक सिपाही कमल किशोर एवं सिपाही रजनीश कुमार— जिनके सहयोग से यह पूरी कार्रवाई मुमकिन हो सकी।
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गिरफ्तार अभियुक्त को दरभंगा न्यायालय में प्रस्तुत कर न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। यह महज एक गिरफ्तारी नहीं, बल्कि यह संदेश है — उन तमाम साइबर अपराधियों के लिए जो सोचते हैं कि इंटरनेट की आड़ में वे अज्ञात रह सकते हैं। दरभंगा पुलिस की यह कार्रवाई न केवल प्रशंसनीय है, बल्कि अनुकरणीय भी।
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एक ज़रूरी सूचना आम जनता के लिए: यदि आप साइबर अपराध के शिकार हैं, तो चुप न रहें। अपने नजदीकी थाने में प्राथमिकी दर्ज कराएं या राष्ट्रीय साइबर हेल्पलाइन नंबर 1930 पर कॉल कर अपनी शिकायत दर्ज करवाएं। आपकी सुरक्षा, आपकी गरिमा की रक्षा — पुलिस की प्राथमिक जिम्मेदारी है, और दरभंगा पुलिस इसे निभा रही है। "जब पुलिस इंसाफ के लिए सिर्फ वर्दी नहीं, हिम्मत भी पहन लेती है — तब न्याय की उम्मीद नहीं, यक़ीन बन जाती है।"