दरभंगा:- दो मिनट का मौन धारण कर राष्ट्रपिता बापू को दी गई श्रद्धांजलि
राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी जी की पुण्यतिथि (शहादत दिवस) के अवसर पर समाहरणालय अवस्थित बाबा साहेब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर सभागार में जिलाधिकारी दरभंगा श्री राजीव रौशन की अध्यक्षता में आयोजित श्रद्धांजलि सभा में सर्वप्रथम जिलाधिकारी, उप विकास आयुक्त श्रीमती अमृषा बैंस, अपर समाहर्ता-सह-अपर जिला दंडाधिकारी राजेश झा राजा एवं सहायक समाहर्ता सूर्य प्रताप सिंह द्वारा बापू के तैलचित्र पर माल्यार्पण कर श्रद्धा सुमन अर्पित की गई. पढ़े पूरी खबर....
दरभंगा :- राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी जी की पुण्यतिथि (शहादत दिवस) के अवसर पर समाहरणालय अवस्थित बाबा साहेब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर सभागार में जिलाधिकारी दरभंगा श्री राजीव रौशन की अध्यक्षता में आयोजित श्रद्धांजलि सभा में सर्वप्रथम जिलाधिकारी, उप विकास आयुक्त श्रीमती अमृषा बैंस, अपर समाहर्ता-सह-अपर जिला दंडाधिकारी राजेश झा राजा एवं सहायक समाहर्ता सूर्य प्रताप सिंह द्वारा बापू के तैलचित्र पर माल्यार्पण कर श्रद्धा सुमन अर्पित की गई। तदोपरान्त जिलाधिकारी ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि गाँधीजी का जीवन एक आदर्श रहा है। उन्होंने राष्ट्र के लिए जीवन प्रयत्न संघर्ष किया, उनका जीवन एवं आचरण अनुकरणीय है, उन्होंने राष्ट्र को एक सूत्र में पिरोने का काम किया।
उन्होंने समाज के हर वर्ग के प्रति अपनी संवेदनशीलता दिखलाई, हमें उनके आदर्श पर चलकर अपने देश को आगे बढ़ाने की दिशा में कार्य करना चाहिए। गाँधी व्यक्ति नहीं एक विचार है, गाँधीजी कुष्ठ रोगियों के प्रति विशेष संवेदनशीलता रखते थे। वे कुष्ठ रोगियों के प्रति सेवाभाव रखते थे, उन्होंने स्वयं कुष्ठ रोगियों की सेवा करके समाज को एक संदेश दिया था। उन्होंने कहा हमें सत्य और अहिंसा के लिए आगे बढ़ना चाहिए, यदि किसी को कोई बीमारी है तो उसका इलाज करना चाहिए,, हमें बुराई से घृणा करनी चाहिए, न कि व्यक्ति से, यदि किसी इंसान में बुराई है तो उसे बुराई को मिटाने का प्रयास करना चाहिए, न कि उस इंसान से घृणा करनी चाहिए। इसलिए यदि किसी को कुष्ठ रोग की बीमारी है तो उसे ठीक करने का प्रयास किया जाए। गाँधीजी का जीवन कुष्ठ रोगियों के प्रति समर्पित था, इसलिए आज का दिन कुष्ठ दिवस के रूप में भी मनाया जाता है।
इसके उपरांत उन्होंने कुष्ठ दिवस के अवसर पर कुष्ठ रोगियों के प्रति स्नेह एवं सेवाभाव रखने का संदेश पढ़कर सुनाया। तथा सभी के साथ संकल्प लिया कि- "मैं कुष्ठ रोग के प्रारंभिक लक्षण वाले व्यक्ति जिनके शरीर के किसी भाग पर दाग,धब्बे हो तथा जिसमें दर्द तथा खुजली नहीं होती हो और जो जन्म से नहीं हो, को कुष्ठ रोग के संदेहास्पद व्यक्ति मानते हुए नजदीकी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर जाने के लिए प्रेरित करूँगा ताकि जिन्हें कुष्ठ रोग है, उनका पूरा इलाज हो सके। मैं यह भी शपथ लेता हूं कि मेरी नजर में मेरे परिवार, पड़ोस और उस और समाज में कोई व्यक्ति यदि कुष्ठ रोग से प्रभावित हैं, और उनका ईलाज एवं एमडीटी से हो चुका है, तो मैं उनके साथ बैठने, खाने, घूमने-फिरने पर किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं करूँगा।
मैं यह भी शपथ लेता हूँ कि विकलांगता युक्त कुष्ठ प्रभावित व्यक्ति को किसी भेद-भाव से नहीं देखूंगा तथा उन्हें निःशुल्क चिकित्सा सेवा उपलब्ध कराने में उनकी भरपूर मदद करूँगा। सरकार द्वारा उनको मिलने वाली विकलांगता प्रमाण पत्र तथा पेंशन राशि इत्यादि दिलवाने में भी उनकी पूरी मदद करूँगा। मैं यह भी शपथ लेता हूँ कि मैं कुष्ठ रोग से पीड़ित व्यक्ति के साथ सामाजिक भेद-भाव के रोकथाम के लिए सदा प्रयत्नशील रहूंगा। मैं यह भी शपथ लेता हूँ कि मैं राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी के कुष्ठ मुक्त भारत के सपने को पूरा करने हेतु सदा प्रयत्नशील रहूंगा।
इसके उपरांत दो मिनट का मौन धारण कर उपस्थित सभी पदाधिकारियों एवं कर्मियों द्वारा गाँधी जी को श्रद्धांजलि दी। इस अवसर पर स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग, बिहार सरकार द्वारा कुष्ठ मुक्त बिहार की घोषणा पत्र पर जिलाधिकारी, उप विकास आयुक्त, सहायक समाहर्ता, अपर समाहर्ता-सह- अपर जिला दंडाधिकारी एवं सभी पदाधिकारियों ने बारी-बारी से हस्ताक्षर कर कुष्ठ मुक्त बिहार की घोषणा को सफल बनाने का संकल्प लिया।