दरभंगा का एक मात्र कॉलेज जहां पूरे परिसर में धोबियों का कब्जा, महाविद्यालय प्रशासन कई बार जिले के आलाधिकारी को लगा चुके है गुहार, आखिर दरभंगा में कहा है यह कॉलेज, पढ़ें पूरी खबर......

ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय से 2-3 सौ गज की दूरी पर नारी शिक्षा को बढ़ावा देने के उद्देश्य से 1958 में महारानी रामेश्वरी महिला महाविद्यालय का स्थापना किया गया था। लेकिन प्रशासनिक लापरवाही के चलते एमआरएम कॉलेज कैंपस में सालों से चल रहे धोबी घाट ने शैक्षणिक माहौल को बर्बाद कर रखा है। कॉलेज परिसर को देखकर यह पता नहीं चलता है, कि कॉलेज धोबी घाट में है या धोबी घाट कॉलेज में है. पढ़ें पूरी खबर.......

दरभंगा का एक मात्र कॉलेज जहां पूरे परिसर में धोबियों का कब्जा, महाविद्यालय प्रशासन कई बार जिले के आलाधिकारी को लगा चुके है गुहार, आखिर दरभंगा में कहा है यह कॉलेज, पढ़ें पूरी खबर......
दरभंगा का एक मात्र कॉलेज जहां पूरे परिसर में धोबियों का कब्जा, महाविद्यालय प्रशासन कई बार जिले के आलाधिकारी को लगा चुके है गुहार, आखिर दरभंगा में कहा है यह कॉलेज, पढ़ें पूरी खबर......

दरभंगा: ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय से 2-3 सौ गज की दूरी पर नारी शिक्षा को बढ़ावा देने के उद्देश्य से 1958 में महारानी रामेश्वरी महिला महाविद्यालय का स्थापना किया गया था। लेकिन प्रशासनिक लापरवाही के चलते एमआरएम कॉलेज कैंपस में सालों से चल रहे धोबी घाट ने शैक्षणिक माहौल को बर्बाद कर रखा है। कॉलेज परिसर को देखकर यह पता नहीं चलता है, कि कॉलेज धोबी घाट में है या धोबी घाट कॉलेज में है। कॉलेज प्रशासन के द्वारा कई बार इसकी शिकायत वरीय अधिकारियों से की गई। लेकिन आजतक इसका कोई समाधान नहीं निकला। कॉलेज परिसर में धोबी घाट होने के कारण छात्राओं की परेशानी दिनों-दिन बढ़ती जा रही हैं। लेकिन इसे देखने वाला कोई नहीं है।

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स्पोर्ट्स व अन्य गतिविधियों के दौरान होती है काफी परेशानी:  दरअसल, कॉलेज और विश्वविद्यालय प्रशासन की पहल पर शैक्षणिक माहौल में परिवर्तन लाने का लगातार प्रयास चल रहा है। लेकिन कॉलेज परिसर स्थित तालाब में आसपास के धोबियो के द्वारा दबंगता पूर्वक कपड़े साफ किए जाते हैं और उसी परिसर में सुखाया जाता है। जिस कॉलेज में स्पोर्ट्स मीट और बाकी की चीजों में कठिनाई का सामना करना पड़ता है। वही कॉलेज छात्रा प्रियंका ने बताया कि पूरे परिसर में कपड़े फैले रहते हैं। जिससे कॉलेज अच्छा नहीं लगता है। उन्होंने बताया कि स्पोर्ट्स के दौरान काफी परेशानी होती है। हमने कभी परिकल्पना नहीं की थी कि हमारे कॉलेज में ऐसी स्थिति होगी। इसको लेकर हमलोगो ने कई बार मैनेजमेंट से बात कर चुके हैं। वहां से हमे आश्वासन मिल रहा है, कि इसे जल्द ठीक किया जाएगा।

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समाधान के लिए विधायक से भी बात की, लेकिन नही निकला कोई समाधान: वही कॉलेज परिसर में कपड़ा धो रहे धोबी, सुरेंद्र ने बताया कि हम लोगों के पास तालाब का ऑप्शन मौजूद नहीं है। इसीलिए कॉलेज परिसर में घुसकर कपड़े धोने का तथा सुखाने का काम करते हैं। अगर हम लोग यह काम नहीं करेंगे तो हम लोग भूखे मरेंगे। मजबूर गरीब आदमी कहां जाएगा। सरकार अगर हमलोगों के लिए कहीं और व्यवस्था कर देगी तो हमलोग वही जाकर अपना काम करेंगे। इस समस्या के समाधान के लिए हम लोगों ने विधायक से भी बात की। लेकिन आजतक कोई समाधान नही निकला। वही उन्होंने कहा हम लोगों को भी कॉलेज परिसर में कपड़ा धोना तथा सुखना अच्छा नहीं लगता है। लेकिन क्या करें मजबूरी है।

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DM से शिकायत के वावजूद नही निकल रहा है समाधान: वही एमआरएम महिला कॉलेज की प्रिंसिपल रूपकला सिन्हा ने बताया की इस बात की शिकायत को लेकर मैं पिछले मार्च में डीएम से मिली थी। उन्होंने तुरंत डेवलपमेंट कमिश्नर को फॉरवर्ड कर दिया। जब किसी तरह का कारवाई नही हुआ तो 11 नवंबर को मैं नए आवेदन के साथ फोटो लेकर डिस्ट्रिक डेवलपमेंट कमिश्नर से मिली थी। उन्होंने कहा कि आपका शिकायत एसडीओ को भेज दी गई है और वहां सर्वे टीम जाएगी। लेकिन एक साल होने को चला है। आजतक कोई सर्वे टीम हमारे कॉलेज में नहीं आई है। वहीं उन्होंने कहा कि धोबी घाट होने के कारण हम लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

धोबियो के दबंगई के कारण छात्राओं को होती है परेशानी: वही महिला कॉलेज की प्रिंसिपल रूपकला सिन्हा ने बताया की अभी हमारे कॉलेज की छात्रा कबड्डी की तैयारी कर रही है। पूरे परिसर में धोबी के द्वारा कपड़ा फैला दिया जाता है। जिससे छात्राओं को प्रेक्टिस करने में काफी परेशानी हो रही है। वही उन्होंने कहा कि वर्तमान में BPSC TRE 2.0 की परीक्षा थी। जिसमें प्रशासन ने उन्हें एंट्री नहीं करनी दी। लेकिन परीक्षा समाप्त होते ही, आज फिर से जबरदस्ती कॉलेज परिसर में एंट्री कर कपड़े धोकर पूरे परिसर में फैला दिया है। अब हमारा कॉलेज धोबी घाट कॉलेज के नाम से जाना जाने लगा है। इससे कॉलेज की गरिमा खराब होती है। लाख शिकायत करने के बावजूद कोई इसका सूध लेने वाला नहीं है।

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ट्यूटोरियल कॉलेज के रूप में हुई थी कॉलेज की स्थापना: बताते चले कि 1958 में मात्र 5 छात्राओं के साथ इस कॉलेज की स्थापना ट्यूटोरियल कॉलेज के रूप में हुई। 1972 में कॉलेज को यूजीसी के से 2 एफ व 12 बी के तहत रजिस्ट्रेशन हुआ। प्रारंभ में यहां कला व विज्ञान की शिक्षा प्रदान की जाती थी। बाद में वाणिज्य की पढ़ाई भी प्रारंभ हो गई। 1985 में यहां कला विज्ञान के 10 विषयों में स्नातकोत्तर की पढ़ाई शुरू हुई। विज्ञान में बॉटनी, जूलॉजी, फिजिक्स, केमेस्ट्री व मैथमेटिक्स के साथ ही कला विषय में राजनीति विज्ञान, इतिहास, हिंदी, अंग्रेजी एवं अर्थशास्त्र में यहां पीजी की पढ़ाई हो रही है।