मनोकामना मंदिर की पवित्र घंटियों से लेकर सुभाष चौक के गगनभेदी नारों तक गूंज उठा पूरा दरभंगा हजारों समर्थकों के सैलाब में डूबा नगर जब जनता ने देखा अपने जनसेवक संजय सरावगी को ‘शुभ नामांकन यात्रा’ के रथ पर, तब मिथिला की धरती ने एक स्वर में कहा विकास का दूसरा नाम है सरावगी!

दरभंगा की सड़कों ने बुधवार को जो दृश्य देखा, वह सिर्फ़ एक राजनीतिक नामांकन नहीं था वह था जनता और जनप्रतिनिधि के रिश्ते का उत्सव। मनोकामना मंदिर से निकली भाजपा प्रत्याशी संजय सरावगी की “शुभ नामांकन यात्रा” ने मिथिला के आकाश में भगवा झंडों और नारों की ऐसी लहर दौड़ा दी, मानो पूरा नगर एक स्वर में कह रहा हो “फिर एक बार संजय सरावगी सरकार!”..... पढ़े पूरी खबर......

मनोकामना मंदिर की पवित्र घंटियों से लेकर सुभाष चौक के गगनभेदी नारों तक गूंज उठा पूरा दरभंगा हजारों समर्थकों के सैलाब में डूबा नगर जब जनता ने देखा अपने जनसेवक संजय सरावगी को ‘शुभ नामांकन यात्रा’ के रथ पर, तब मिथिला की धरती ने एक स्वर में कहा विकास का दूसरा नाम है सरावगी!
मनोकामना मंदिर की पवित्र घंटियों से लेकर सुभाष चौक के गगनभेदी नारों तक गूंज उठा पूरा दरभंगा हजारों समर्थकों के सैलाब में डूबा नगर जब जनता ने देखा अपने जनसेवक संजय सरावगी को ‘शुभ नामांकन यात्रा’ के रथ पर, तब मिथिला की धरती ने एक स्वर में कहा विकास का दूसरा नाम है सरावगी!

दरभंगा: दरभंगा की सड़कों ने बुधवार को जो दृश्य देखा, वह सिर्फ़ एक राजनीतिक नामांकन नहीं था वह था जनता और जनप्रतिनिधि के रिश्ते का उत्सव। मनोकामना मंदिर से निकली भाजपा प्रत्याशी संजय सरावगी की “शुभ नामांकन यात्रा” ने मिथिला के आकाश में भगवा झंडों और नारों की ऐसी लहर दौड़ा दी, मानो पूरा नगर एक स्वर में कह रहा हो “फिर एक बार संजय सरावगी सरकार!”

मनोकामना मंदिर से आरंभ हुई जनयात्रा, जनता बनी सारथी: नामांकन जुलूस का शुभारंभ ऐतिहासिक मनोकामना मंदिर से हुआ। मंदिर प्रांगण में पूजा-अर्चना कर सरावगी ने जनता के बीच हाथ जोड़कर कहा मेरे लिए राजनीति पद नहीं, सेवा का संकल्प है। दरभंगा मेरा परिवार है, और मैं इस परिवार का एक जिम्मेदार सदस्य।फिर जैसे ही जुलूस आगे बढ़ा आयकर चौक, स्टेशन रोड, दोनार चौक, अललपट्टी, नाका छह, नाका पाँच, मिर्जापुर, दरभंगा टावर और सुभाष चौक पर सड़कों पर जनसैलाब उमड़ पड़ा। मोटरसाइकिलों का काफ़िला, फूलों की वर्षा, ढोल-नगाड़ों की थाप और “भारत माता की जय” के जयघोष से पूरा शहर गूंज उठा।

विकास की पगडंडियों से निकली सियासत की राह: संजय सरावगी का राजनीतिक जीवन दरभंगा नगर की जनता के दिलों से जुड़ा है। उनके नेतृत्व में पिछले वर्षों में सड़क चौड़ीकरण, नगर सौंदर्यीकरण, स्ट्रीट लाइट व्यवस्था, स्वच्छता मिशन और शिक्षा-संरचना के क्षेत्र में कई उल्लेखनीय कार्य हुए। दरभंगा स्टेशन रोड की चमक, नगर निगम क्षेत्र में जल निकासी व्यवस्था का सुधार, और नगर की ट्रैफिक व्यवस्था को लेकर उनका निरंतर प्रयास जनता ने देखा और महसूस किया। जनता कहती है “संजय बाबू जनता के बीच रहते हैं। कोई कार्यक्रम, कोई दुख-सुख हो सबसे पहले उन्हीं का नाम आता है।”

मंच से मिली आशीर्वाद की गूंज संजय ने जो किया, वो दिखाई देता है: नामांकन के दौरान मंच पर मौजूद केंद्रीय राज्य मंत्री राजभूषण चौधरी निषाद ने कहा संजय सरावगी ने दरभंगा में जो विकास का मॉडल प्रस्तुत किया है, वह एनडीए की नीतियों का सच्चा प्रतिबिंब है। उन्होंने मिथिला की अस्मिता को सशक्त किया है। वहीं, सांसद गोपालजी ठाकुर ने कहा संजय सरावगी ने यह साबित किया है कि विधायक होने का मतलब जनता की सेवा करना है, न कि सिर्फ़ राजनीति करना। दरभंगा के हर घर में उनके प्रयासों की छाप है।

एनडीए की एकजुटता का प्रदर्शन नेताओं का जमावड़ा: नामांकन समारोह में एनडीए के तमाम वरिष्ठ नेताओं की उपस्थिति ने माहौल को ऐतिहासिक बना दिया। राज्यसभा सांसद विवेक ठाकुर, सांसद अशोक कुमार यादव, चितौड़गढ़ के सांसद सी.पी. जोशी, सांसद धर्मशीला गुप्ता, पूर्व मंत्री उपेंद्र तिवारी, पूर्व विधान पार्षद अर्जुन सहनी, भाजपा जिलाध्यक्ष आदित्य नारायण मन्ना, महामंत्री संतोष पौद्दार, और जदयू महानगर अध्यक्ष माधव झा सहित बड़ी संख्या में कार्यकर्ता मौजूद थे।

जनता की आंखों में भरोसा विकास नहीं, सरावगी चाहिए!

नामांकन यात्रा में जब सरावगी का काफ़िला सुभाष चौक पहुंचा, तब कुछ बुजुर्ग महिलाएं आरती थाल लेकर उनके स्वागत में खड़ी थीं। एक बुज़ुर्ग बोले संजय बाबू ने हमारे मोहल्ले की सड़क बनवाई, लाइट लगवाई, और हर काम में साथ दिया ऐसे लोग कम मिलते हैं। वहीं युवा वर्ग में उत्साह था। कॉलेज छात्रों से लेकर व्यापारी वर्ग तक, हर कोई नारे लगा रहा था “दरभंगा बोले इस बार फिर सरावगी बोले!”

नामांकन का दिन, जनआस्था का उत्सव: नामांकन के इस मौके पर दरभंगा प्रशासन ने सुरक्षा के कड़े इंतज़ाम किए थे, परंतु भीड़ इतनी भावनात्मक थी कि हर चेहरे पर “गर्व और आस्था” दोनों झलक रहे थे। मारवाड़ी स्कूल परिसर में जब सरावगी ने पर्चा दाखिल किया, तो कार्यकर्ताओं ने फूल बरसाकर उन्हें “विजय का आशीर्वाद” दिया।

जनता के मन में विकास की विरासत: दरभंगा के इतिहास में शायद ही कोई ऐसा समय रहा हो जब जनता और नेता के बीच इतना सीधा संवाद दिखा हो। संजय सरावगी ने अपने कार्यकाल में यह संदेश दिया “राजनीति तब पवित्र होती है, जब वह जनसेवा का माध्यम बने।” उनकी यही शैली उन्हें बाकी नेताओं से अलग बनाती है। न तो घमंड, न दिखावा सिर्फ़ काम और लोगों के बीच उपस्थिति।

क्या कहता है राजनीतिक विश्लेषण?

विशेषज्ञों का मानना है कि इस बार का चुनाव दरभंगा नगर में “विकास बनाम वादा” का होगा। सरावगी का जनाधार मज़बूत है और एनडीए का संगठन सक्रिय। हालांकि, अन्य दलों के प्रत्याशी भी मैदान में हैं, पर जनता के रुख़ से साफ़ है कि मुकाबला एकतरफ़ा होने की संभावना बढ़ रही है।

मनोकामना से विजय तक का सफर: दरभंगा की धरती पर मनोकामना मंदिर से शुरू हुई यह यात्रा सिर्फ़ नामांकन की नहीं, आस्था, विश्वास और जनसमर्थन की यात्रा बन चुकी है। लोगों की उम्मीदें संजय सरावगी से जुड़ी हैं, और उनके कार्यों की विरासत जनता के दिलों में अंकित हो चुकी है। आने वाले दिनों में यह तय करेगा कि दरभंगा की जनता किस दिशा में इतिहास लिखती है पर इतना तय है कि संजय सरावगी का नाम अब सिर्फ़ एक प्रत्याशी नहीं, बल्कि “दरभंगा के विकास” का पर्याय बन चुका है।