ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति का 3 साल का कार्यकाल पूरा: कुलपति ने कहा- भले ही आज मेरा फेस चेंज हो रहा है, पर मेरे जीवन में छात्रों का अत्यधिक महत्व बना रहेगा
मिथिला में मेधा की कोई कमी नहीं है। मेरी प्रारंभिक शिक्षा यहीं से हुई है और मुझे प्रसन्नता है कि अन्त में प्रति कुलपति के रूप में मैं यहीं से अपना कार्यकाल पूरा कर रही हूं। आपलोगों से जो मुझे सहयोग, स्नेह एवं सम्मान मिला है, उसके लिए मैं आभार व्यक्त करती हूं। मुझे विश्वास है कि आपलोग आगे भी गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा के लिए समर्पित भाव से काम करेंगे. पढ़ें पूरी खबर......
दरभंगा: मिथिला में मेधा की कोई कमी नहीं है। मेरी प्रारंभिक शिक्षा यहीं से हुई है और मुझे प्रसन्नता है कि अन्त में प्रति कुलपति के रूप में मैं यहीं से अपना कार्यकाल पूरा कर रही हूं। आपलोगों से जो मुझे सहयोग, स्नेह एवं सम्मान मिला है, उसके लिए मैं आभार व्यक्त करती हूं। मुझे विश्वास है कि आपलोग आगे भी गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा के लिए समर्पित भाव से काम करेंगे। संस्था में लोगों का आना- जाना लगा रहता है। सबको एक न एक दिन जाना होता है, तभी तो नए लोग आते भी हैं।
उक्त बातें ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा की प्रति कुलपति प्रोफ़ेसर डॉली सिन्हा अपने 3 वर्ष के कार्यकाल को ससम्मान पूरा करने के अवसर पर विश्वविद्यालय के सभाकक्ष में आयोजित आभार सह सम्मान समारोह को संबोधित करते हुए कही। प्रोफ़ेसर सिन्हा ने कहा कि भले ही आज मेरा फेस चेंज हो रहा है, पर मेरे जीवन में छात्र- छात्राओं का अत्यधिक महत्त्व बना रहेगा। मेरे जीवन में छात्रों का काफी महत्त्व रहा है और मुझे उन्हें पढ़ाना सबसे अच्छा लगता है। मैं आगे भी यहां ऑनलाइन अथवा ऑफलाइन वर्ग लेती रहूंगी। मैं अपने 3 वर्षों के कार्यकाल में कुछ काम नहीं कर पायी, जिसका मुझे दुःख भी है।
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उन्होंने कहा कि काम न करने से हमारी ऊर्जा का क्षय होता है। अतः आप सभी हमेशा अधिक काम करते रहें, तभी उर्जावान बने रहगे। उन्होंने भावुक होते हुए कहा कि आपलोगों के स्नेह और सम्मान को याद कर मैं जा रही हूं। वित्तीय परामर्शी डा दिलीप कुमार ने कहा कि व्यक्ति अपने कार्यों से ही अपना छाप छोड़ता है और उनके जाने के बाद उनके कार्य ही याद रहते हैं। इस रूप में प्रति कुलपति काफी महत्वपूर्ण एवं यादगार रहेंगी। मुझे अफसोस है कि मुझे बहुत कम दिन ही इनके साथ काम करने का मौका मिला।
शिक्षकों की ओर से प्रो चंद्रभानु प्रसाद सिंह ने कहा कि विदुषी प्रति कुलपति ने अपने कार्यों से इस पद की गरिमा को बढ़ायी हैं। ये प्रशासनिक पदों पर रहते हुए भी अकादमिक कार्यों को बहुत प्राथमिकता दी हैं। प्रायः कुलपति और प्रति कुलपति में द्वन्द्व रहता है, पर प्रोफ़ेसर सिन्हा ने इसे दूर किया। इन्होंने विश्वविद्यालय में सत्ता का दूसरा केन्द्र नहीं बनाया। इनके द्वारा कई अच्छे शैक्षणिक प्रयास हुए, जिनसे छात्र- छात्राओं को काफी प्रसन्नता हुई। ये मिथिला की बेटी हैं और हमेशा यहां के लिए संवेदनशील बनी रही हैं। अध्यक्षीय संबोधन में मानवीकी संकायाध्यक्ष प्रो ए के बचन ने प्रति कुलपति के तीन वर्षों के कार्यकाल को याद करते हुए गौरवान्वित महसूस किया।
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विशेष रूप से कोरोना काल में ऑनलाइन एवं केन्द्रीयकृत वर्ग संचालन, राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय वेबीनार, सेमिनार तथा कार्यशाला के आयोजन आदि शैक्षणिक कार्यों का संपादन उल्लेखनीय है। ये कुशल प्रशासक के साथ ही स्पष्ट वक्ता भी हैं। स्वागत संबोधन में कुलसचिव डा अजय कुमार पंडित ने कहा कि मैं पटना विश्वविद्यालय से ही इन्हें जानता हूं। प्रति कुलपति शालीन, शान्त तथा नियमबद्ध रूप से कार्य करती रही हैं। उन्होंने प्रति कुलपति से संबद्ध अनेक स्मृतियों को सुनते हुए कहा कि इनके कार्य हमलोगों के लिए हमेशा यादगार बने रहेंगे।
इस अवसर पर शिक्षक संघ की ओर से प्रो पुष्पम नारायण, पदाधिकारियों की ओर से डा आनंद मोहन मिश्र तथा डा मनोज कुमार, कर्मचारियों की ओर से दशरथ यादव तथा प्रति कुलपति के पी ए प्रणय कुमार आदि ने अपने विचार व्यक्त किये। विश्वविद्यालय की ओर से कुलसचिव ने पाग, शॉल एवं पुष्पगुच्छ से, वित्तीय परामर्श ने मिथिला चित्रकला से, कुलानुशासक ने मखान- माला से, शिक्षकसंघ के अध्यक्ष ने माला, चादर एवं उपहार से तथा पदाधिकारी एवं कर्मचारियों ने बुके तथा माला आदि प्रदान कर प्रति कुलपति का सम्मान किया। प्रो अशोक कुमार मेहता द्वारा मैथिली में स्वरचित प्रशस्ति पत्र प्रस्तुत कर प्रति कुलपति को समर्पित किया गया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के संकायाध्यक्ष, विभागाध्यक्ष, शिक्षक, कर्मचारी, पदाधिकारी तथा छात्र- छात्राएं काफी संख्या में उपस्थित थे। प्रो अशोक कुमार मेहता के संचालन में आयोजित समारोह में धन्यवाद ज्ञापन प्रो अजयनाथ झा ने किया।