दरभंगा : डॉ. जाकिर हुसैन टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेज ने ‘बालिका शिक्षा पर पितृ पक्ष का प्रभाव’ विषय पर किया वाद-विवाद प्रतियोगिता का आयोजन
सह-शैक्षिक गतिविधियों से होता है तार्किक व बौद्धिक क्षमता का विकास : डॉ. शारिक हुसैन देश के विकास में योगदान करने के लिए पुरुष और महिला, दोनों को समान अवसर की आवश्यकता : डॉ. कल्याणी कुमारी सिर्फ पुरुषों के विकास से राष्ट्र का सम्पूर्ण विकास संभव नहीं : डॉ. अबसारूल हक
दरभंगा : डॉ. जाकिर हुसैन टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेज में आंतरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ द्वारा ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के स्वर्ण जयंती समारोह के अंतर्गत ‘बालिका शिक्षा पर पितृ पक्ष का प्रभाव’ विषय पर वाद -विवाद का आयोजन किया गया. छात्र-शिक्षकों एवं शिक्षिकाओं ने विषय के समर्थन व विरोध में अपना पक्ष प्रस्तुत कर विषय का अपने तर्क-वितर्क से मंथन किया.
इस अवसर पर मुख्य अतिथि महाविद्यालय प्रबंधन समिति के सचिव डॉ. शारिक हुसैन ने कहा कि महाविद्यालय पाठ्यक्रम कुछ इस तरह से तैयार किया गया है कि छात्र-शिक्षक एवं शिक्षिकाओं के व्यक्तित्व का शारीरिक, मानसिक व सांवेगिक विकास करने के लिए महाविद्यालय द्वारा समय-समय पर सह-शैक्षिक गतिविधियां आयोजित की जाती हैं. इससे छात्र-शिक्षक एवं शिक्षिकाओं की तार्किक व बौद्धिक क्षमता का विकास होता है. वाद-विवाद प्रतियोगिता की अध्यक्षता डॉ. कल्याणी कुमारी ने की और उन्होंने कहा कि पुरुष और महिला एक ही सिक्के के दो पहलु होते हैं और उन्हें देश के विकास में योगदान करने के समान अवसर की आवश्यकता होती है. एक शिक्षित लड़की विभिन्न क्षेत्रों में पुरुषों के काम और बोझ को साझा कर सकती है.
एक शिक्षित लड़की को अगर बेहतर शिक्षा और परिवार का समर्थन मिले तो वह लेखक, शिक्षक, वकील, डॉक्टर और वैज्ञानिक बनकर देश एवं समाज के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है. इसके अलावा वह अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों में भी बहुत अच्छी तरह से प्रदर्शन कर सकती है. कार्यक्रम के विशिष्ठ अतिथि महाविद्यालय प्रशासनिक पदाधिकारी डॉ. अबसारूल हक ने कहा कि किसी भी राष्ट्र का विकास तभी संभव है, जब उस राष्ट्र के सभी नागरिकों का विकास हो. लेकिन, अगर किसी राष्ट्र के सिर्फ पुरुषों का ही विकास हो, तो उस राष्ट्र का सम्पूर्ण विकास संभव नहीं है, इसलिए लड़कियों की शिक्षा को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए, ताकि राष्ट्र एवं समाज का सम्पूर्ण विकास हो सके.
पुरुष और महिला, दोनों समाज में दो समान पहियों की तरह समानांतर चलते हैं. दोनों देश के विकास और प्रगति के महत्वपूर्ण घटक हैं. ऐसे में लड़के-लड़कियों के बीच अंतर करना इंसान की संकीर्ण सोच को दिखाता है. डॉ. एम जैफी, प्रतियोगिता के मुख्य वक्ता ने कहा कि एक शिक्षित गृहिणी अपने बच्चों को शिक्षित कर सकती है और अपने बच्चों को उनके अधिकारों और नैतिक मूल्यों के बारे में सिखा सकती है. वह अच्छी और बुरी चीज़ों के बीच अंतर पहचानने के लिए उनका मार्गदर्शन भी कर सकती है.
लड़कियां समाज में अपना अधिकार और सम्मान हासिल कर रही हैं और हमारा समाज इसके लिए कड़ी मेहनत कर रहा है. लड़कियों के पास प्रत्येक क्षेत्र में अपने देश का नेतृत्व करने की क्षमता है. कार्यक्रम का संचालन संयुक्त रूप से इरतीजा अहमद एवं मोहम्मद कलाम ने किया. निर्णायक मंडल में डॉ. शाहिद हसन, डॉ. कुमुद कुमारी, सबीहा परवीन, डॉ. मनोज कुमार सिंह, एवं डॉ. सीएन झा शरीक थे. वाद-विवाद प्रतियोगिता में सैकड़ों छात्र-छात्राओं ने प्रतिभाग किया. धन्यवाद ज्ञापन महाविद्यालय में स्वर्ण जयंती समारोह के संयोजक डॉ. इम्बेसातुल हक ने किया.