"दरभंगा की जर्जर गलियों में बजा तरक्की का शंखनाद: बंगाली टोला को मिली वर्षों बाद सड़क-नाला निर्माण की सौगात, मंत्री सरावगी की पहल से उम्मीदों को मिली नई ज़मीन"
जब किसी शहर के पुराने मोहल्ले की गलियाँ चीख-चीखकर अपनी बदहाली का बयान करने लगें, जब पानी से लबालब गड्ढे राहगीरों को रोज़ अपमानित करें, जब बारिश उम्मीदों को बहा ले जाए और नालियाँ दुर्गंध का स्थायी स्रोत बन जाएँ तब विकास एक स्वप्न बन जाता है। लेकिन दरभंगा के लहेरियासराय स्थित बंगाली टोला ने इन सबके बावजूद उम्मीद का दामन नहीं छोड़ा। और अब, वर्षों की प्रतीक्षा के बाद, इस मोहल्ले को वो सौगात मिली है, जिसकी वह सदी भर से हकदार था. पढ़े पुरी खबर.........

दरभंगा: जब किसी शहर के पुराने मोहल्ले की गलियाँ चीख-चीखकर अपनी बदहाली का बयान करने लगें, जब पानी से लबालब गड्ढे राहगीरों को रोज़ अपमानित करें, जब बारिश उम्मीदों को बहा ले जाए और नालियाँ दुर्गंध का स्थायी स्रोत बन जाएँ तब विकास एक स्वप्न बन जाता है। लेकिन दरभंगा के लहेरियासराय स्थित बंगाली टोला ने इन सबके बावजूद उम्मीद का दामन नहीं छोड़ा। और अब, वर्षों की प्रतीक्षा के बाद, इस मोहल्ले को वो सौगात मिली है, जिसकी वह सदी भर से हकदार था।
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यह सौगात है लगभग 2.49 करोड़ रुपये की लागत से सड़क एवं नाला निर्माण योजना, जिसे बिहार सरकार के नगर विकास एवं आवास विभाग ने स्वीकृति दे दी है। इस ऐतिहासिक पहल के सूत्रधार हैं बिहार सरकार के राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री एवं नगर विधायक श्री संजय सरावगी। उनके अथक प्रयासों से यह योजना स्वीकृत हुई है और शीघ्र ही इसका कार्यान्वयन भी आरंभ होने वाला है।
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सड़कों से बदलती है किस्मत: किसी शहर की असली पहचान उसके बाजारों, मंदिरों या ऐतिहासिक स्थलों से नहीं, बल्कि उसके रास्तों से होती है। एक अच्छी सड़क केवल आवागमन का साधन नहीं, बल्कि समाज की गति, सम्मान और संभावनाओं का प्रतीक होती है। बंगाली टोला, जो कभी व्यापार, शिक्षा और सांस्कृतिक गतिविधियों का केंद्र था, पिछले कई वर्षों से उपेक्षा का शिकार रहा। हर मानसून यहाँ जलजमाव, नाली ओवरफ्लो और सड़कों पर कीचड़ आम बात हो जाती थी।
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स्थानीय नागरिकों ने कई बार प्रशासन से गुहार लगाई, लेकिन योजनाओं की फाइलें वर्षों तक टेबलों पर धूल फांकती रहीं। बच्चे स्कूल जाने से डरते थे, वृद्ध घर से निकलने से हिचकते थे, और महिलाएं हर बार घर से बाहर निकलते हुए दोहरी चिंता से जूझती थीं कहीं पैर फिसल न जाए। लेकिन अब यह सब अतीत बनने जा रहा है। श्री सरावगी की पहल ने बंगाली टोला के भाग्य में एक नया अध्याय जोड़ दिया है।
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योजना का स्वरूप: इस योजना के अंतर्गत रोज पब्लिक स्कूल से लेकर डॉ. रेणुका मित्रा के आवास, फिर सुशील मिश्रा महाराणा प्रताप कॉलेज होते हुए डॉ. मोहन मिश्रा के घर तक और साथ ही नागेंद्र झा महिला कॉलेज से लेकर महारानी कॉलेज तक सड़क और नाले का निर्माण होगा। यह रास्ता केवल भौगोलिक दूरी नहीं पाटेगा, यह सामाजिक संवाद, शैक्षणिक सुविधा और व्यावसायिक गतिशीलता का मार्ग बनेगा।
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मंत्री श्री सरावगी ने स्वयं जानकारी दी कि दरभंगा नगर निगम को योजना की राशि हस्तांतरित कर दी गई है और कार्य को ई-टेंडरिंग के माध्यम से शीघ्र ही शुरू किया जाएगा।
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बदलाव की बुनियाद: श्री सरावगी का कहना है कि यह योजना केवल एक सड़क निर्माण की योजना नहीं है, यह एक सांस्कृतिक जिम्मेदारी, एक जनसरोकार की गूंज और विकास की दिशा में उठाया गया ठोस कदम है। उनके शब्दों में: "मेरे लिए यह सिर्फ एक योजना नहीं, मेरे नगरवासियों से किया गया वादा है। इस योजना से न केवल बंगाली टोला क्षेत्र में आवागमन सुगम होगा, बल्कि नागरिकों को जलजमाव और गंदगी की पुरानी पीड़ा से भी मुक्ति मिलेगी।"
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जिन गलियों ने देखा है इतिहास: बंगाली टोला महज एक मोहल्ला नहीं, दरभंगा की आत्मा है। यहाँ की गलियों ने स्वतंत्रता संग्राम के नारों से लेकर महिला शिक्षा के पहले प्रयासों तक सब कुछ देखा है। यही वह इलाका है जहाँ शिक्षा संस्थान, सांस्कृतिक केंद्र और मध्यम वर्गीय परिवारों की जड़ों में आज भी संवेदनशीलता, परिश्रम और संस्कार बसते हैं।
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लेकिन जब ऐसी ऐतिहासिक और सामाजिक दृष्टि से समृद्ध गलियाँ प्रशासनिक उपेक्षा की मार झेलती हैं, तो सवाल उठते हैं व्यवस्था की नीयत पर, विकास की दिशा पर। इस पृष्ठभूमि में मंत्री सरावगी की यह पहल केवल इंजीनियरिंग का काम नहीं, बल्कि उस ऐतिहासिक विसंगति का सुधार है, जो बंगाली टोला जैसे मोहल्लों के साथ होती आई है।
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श्री संजय सरावगी का नाम आज दरभंगा की सड़कों, पुलों, लाइटिंग, पीने के पानी और ड्रेनेज सिस्टम से जुड़ा हुआ है। उन्होंने अपने विधायक काल में दरभंगा शहर के कोने-कोने में विकास की ऐसी बुनियाद रखी है, जिसे जनता महसूस करती है, और आज बंगाली टोला का यह नया अध्याय उसी सिलसिले का अगला पन्ना है।
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उनकी कार्यशैली की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि वह जनता की प्राथमिकताओं को समझते हैं, न कि केवल बजट और विभागीय पेचिदगियों को। वे अक्सर योजनाओं की खुद निगरानी करते हैं और समयबद्ध निष्पादन पर ज़ोर देते हैं।
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बंगाली टोला के निवासियों में इस योजना को लेकर हर्ष और संतोष का वातावरण है। मोहल्ले की बुज़ुर्ग महिला श्रीमती प्रमिला देवी कहती हैं: "बचपन में जब से देख रही हूँ, यही रास्ता है, लेकिन बरसात में तो चलना भी दूभर हो जाता था। अब लगता है, ईश्वर ने हमारी सुन ली... और शायद ईश्वर ने श्री सरावगी को भेजा है हमारी राह आसान करने।"
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वहीं, नागेंद्र झा महिला कॉलेज की छात्रा अंजलि कहती हैं: "हर दिन कॉलेज जाते समय कीचड़ से जूझना पड़ता था। कई बार कपड़े खराब हो जाते थे। अब रास्ता बनेगा, तो पढ़ाई में भी मन लगेगा। यह बदलाव हमारे लिए सपना जैसा है।"
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विकास का यह सिलसिला थमने न पाए: एक सड़क से शुरुआत होती है, लेकिन जब सोच और नियत दोनों साथ हों, तब पूरा शहर बदलता है। दरभंगा के नागरिकों को आज जरूरत है कि वे इस विकास की रफ्तार को संजोकर रखें, निगरानी करें, सहभागी बनें और आने वाली पीढ़ियों को वह शहर सौंपें जो स्वच्छ, सुव्यवस्थित और सुरक्षित हो।
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बंगाली टोला में सड़क निर्माण योजना केवल ईंट और सीमेंट का जोड़ नहीं है, यह उन सपनों का पुनर्जन्म है जो वर्षों से प्रशासनिक फाइलों में कैद थे। श्री संजय सरावगी ने इस योजना को स्वीकृति दिलाकर यह साबित कर दिया है कि जब नीयत साफ हो, तो जमीनी सच्चाइयाँ भी बदल सकती हैं। अब जबकि कार्य शीघ्र ही शुरू होने वाला है, दरभंगा की जनता एक नई सुबह की प्रतीक्षा कर रही है ऐसी सुबह जिसमें उनके रास्ते साफ हों, नालियाँ सुव्यवस्थित हों और भविष्य उज्ज्वल हो। और शायद, यह दरभंगा के लिए एक नए युग की शुरुआत है एक ऐसी शुरुआत जिसमें हर मोहल्ला कह सके: हम भी विकास की मुख्यधारा में हैं।