जब दरभंगा की राजनीति में गूंजा 'धर्म' और 'बयान' का विस्फोट: कांग्रेस नेत्री डिप्टी मेयर नाजिया हसन पर एफआईआर की मांग, विदेशी फंडिंग से लेकर मोदी के फोटो पर अशोभनीय टिप्पणी तक, भाजपा पार्षद सोनी पूर्वे के आरोपों ने मचाया सियासी भूचाल
मिथिलांचल की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक राजधानी दरभंगा, जहाँ कभी विद्यापति की पद्यबद्ध वाणी गूंजती थी और धर्म-संवाद की मर्यादा समय को थामे रहती थी, आज वहाँ राजनीति की गर्म हवाओं में एक नया तूफान उठ खड़ा हुआ है। इस बार केंद्र में हैं दरभंगा नगर निगम की डिप्टी मेयर और कांग्रेस नेत्री नाजिया हसन. पढ़े पुरी खबर.......

दरभंगा: मिथिलांचल की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक राजधानी दरभंगा, जहाँ कभी विद्यापति की पद्यबद्ध वाणी गूंजती थी और धर्म-संवाद की मर्यादा समय को थामे रहती थी, आज वहाँ राजनीति की गर्म हवाओं में एक नया तूफान उठ खड़ा हुआ है। इस बार केंद्र में हैं दरभंगा नगर निगम की डिप्टी मेयर और कांग्रेस नेत्री नाजिया हसन। जिनके एक कथित बयान और सोशल मीडिया पर वायरल हुई सामग्री ने न केवल सियासी हलकों में खलबली मचाई है, बल्कि कानून व्यवस्था और सामाजिक सौहार्द्र पर भी प्रश्नचिन्ह खड़ा कर दिया है।
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सियासी पटल पर उठता सवाल: बयान या विषवमन?
भाजपा नेत्री तथा वार्ड संख्या 11 की पार्षद सोनी पूर्वे ने नगर थाना में एक लिखित आवेदन देकर नाजिया हसन के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की मांग की है। इस आवेदन में आरोपों की फेहरिस्त लंबी है जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विरुद्ध कथित आपत्तिजनक टिप्पणियाँ, धार्मिक विभाजन को बढ़ावा देने वाले वक्तव्य, और मोबाइल फोन पर प्रधानमंत्री की तस्वीर के साथ अभद्र शब्दों का प्रसारण शामिल है।
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सोनी पूर्वे ने अपने आवेदन में साफ-साफ लिखा है कि डिप्टी मेयर के मोबाइल नंबर 7667065328 और 6200264965 की जांच कराई जाए, ताकि यह पता लगाया जा सके कि वे किस तरह की गतिविधियों में संलग्न हैं। उन्होंने यह भी आरोप लगाया है कि नाजिया हसन को विदेशी फंडिंग मिलती है, और यह सब देश के विरुद्ध एक सोची-समझी साजिश का हिस्सा हो सकता है।
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डिप्टी मेयर का उत्तर: “जांच हो, हम स्वागत करते हैं”
विवाद के केंद्र में खड़ी नाजिया हसन ने भी अपनी ओर से सफाई देते हुए कहा: “मुझ पर जो भी आरोप लगाए गए हैं, यदि उनकी जांच किसी एजेंसी से होती है तो मैं उसका स्वागत करूंगी। परंतु यह स्पष्ट है कि यह मेरे उभरते राजनीतिक कद से घबरा कर रचा गया एक षड्यंत्र है।” उनका यह वक्तव्य भले ही आत्मविश्वास झलका रहा हो, लेकिन इसे लेकर दरभंगा की सियासी फ़िज़ा में और भी तीखापन आ गया है।
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एसएसपी की पुष्टि: मामला दर्ज, जांच प्रारंभ: दरभंगा के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक जगुनाथ रेड्डी जल्ला रेड्डी ने इस विवाद की पुष्टि करते हुए बताया कि: “नगर थाना को आवेदन प्राप्त हुआ है। जांच की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी गई है। तकनीकी और विधिक आधार पर साक्ष्य एकत्र किए जा रहे हैं। किसी भी पक्ष की बातों को दरकिनार नहीं किया जाएगा।” यह वक्तव्य कानून-व्यवस्था की गंभीरता को दर्शाता है, परंतु जनमानस में यह सवाल भी उठ रहा है क्या यह मामला कानूनी प्रक्रिया तक सीमित रहेगा या राजनीतिक मंचों पर जलती मशाल बन जाएगा?
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राजनीति या प्रतिशोध?
कई राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि दरभंगा की शहरी राजनीति में यह घटनाक्रम एक बड़ी रणनीति का हिस्सा हो सकता है, जिसमें नाजिया हसन को एक उदारवादी मुस्लिम चेहरा होने के कारण निशाना बनाया जा रहा है। वहीं, भाजपा खेमा इसे राष्ट्र विरोध की सीमा तक ले जाकर कड़ी कार्रवाई की मांग कर रहा है। यह विरोधाभास केवल विचारधारा का नहीं, बल्कि सत्ता और अस्मिता की उस जंग का प्रतीक है जो आज भारत के हर गली-कूचे में अपनी छाया डाल चुका है।
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दरभंगा: सांस्कृतिक गौरव और वर्तमान की टकराहट: एक समय में शांति, शिक्षा और संस्कृति की राजधानी रहा दरभंगा आज राजनीतिक दंगल का अखाड़ा बनता जा रहा है। रामबाग की मिट्टी, राजकिला की प्राचीरें, और विद्यापति की आत्मा सब आज सवाल पूछती प्रतीत होती हैं: क्या हम संवाद की भूमि को संघर्ष का मैदान बनने देंगे?
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न्याय, विवेक और विवेचना की दरकार: डिप्टी मेयर नाजिया हसन पर लगे आरोप बेहद गंभीर हैं। यदि उनमें सत्यता है तो न केवल कानूनी, बल्कि नैतिक और सामाजिक दायित्वों की दृष्टि से यह अत्यंत चिंताजनक है। वहीं, यदि यह राजनीतिक प्रतिशोध का परिणाम है, तो लोकतंत्र की आत्मा पर यह एक गहरा आघात होगा।
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ऐसे में पत्रकारिता का कर्तव्य है कि वह न तो चाटुकार बने, न ही न्यायपालिका का स्थान ग्रहण करे। तथ्यों, संवेदना और विवेक के साथ जब तक अंतिम जांच रिपोर्ट नहीं आ जाती, तब तक इस पूरे प्रकरण को संतुलित दृष्टिकोण से देखा जाना चाहिए। क्योंकि यह मामला केवल एक बयान या एक आवेदन का नहीं, यह समाज की सामूहिक चेतना, राजनीतिक मर्यादा और संवैधानिक संतुलन का परीक्षण है।