दरभंगा में फिर बेनकाब हुआ नकली वर्दी का खेल 2020 में भी पकड़ा गया था फर्जी पुलिसकर्मी, अब 2025 में दोबारा वही शर्मनाक दोहराव! जब वर्दी की आड़ में ठगी, भय और व्यवस्था की नाकामी ने मिलकर कानून की साख पर कर दिया हमला क्या इस बार एसएसपी जगुनाथ रेड्डी देंगे दरभंगा को ‘वर्दी का सम्मान’ लौटाने वाला कड़ा उदाहरण?
मिथिला की धरती जहाँ कभी राजकिला की दीवारें न्याय की मिसाल हुआ करती थीं, आज वहीं की सड़कों पर वर्दी का असली और नकली चेहरा आमने-सामने खड़ा है। यह कोई साधारण घटना नहीं, बल्कि उस व्यवस्था की तस्वीर है जहाँ फरेब वर्दी ओढ़कर ईमान की जगह लेने की कोशिश कर रहा है। बेंता थाना क्षेत्र में बीते शनिवार की शाम पुलिस ने एक ऐसे युवक को गिरफ्तार किया जो पिछले तीन-चार महीनों से फर्जी पुलिस बनकर लोगों से अवैध वसूली कर रहा था। उसकी गिरफ़्तारी ने न सिर्फ़ प्रशासनिक सतर्कता पर सवाल खड़े कर दिए हैं, बल्कि यह भी साबित कर दिया है कि वर्दी पहनने की चाह कभी-कभी अपराध की राह तक खींच लाती है. पढ़े पूरी खबर......
दरभंगा। मिथिला की धरती जहाँ कभी राजकिला की दीवारें न्याय की मिसाल हुआ करती थीं, आज वहीं की सड़कों पर वर्दी का असली और नकली चेहरा आमने-सामने खड़ा है। यह कोई साधारण घटना नहीं, बल्कि उस व्यवस्था की तस्वीर है जहाँ फरेब वर्दी ओढ़कर ईमान की जगह लेने की कोशिश कर रहा है। बेंता थाना क्षेत्र में बीते शनिवार की शाम पुलिस ने एक ऐसे युवक को गिरफ्तार किया जो पिछले तीन-चार महीनों से फर्जी पुलिस बनकर लोगों से अवैध वसूली कर रहा था। उसकी गिरफ़्तारी ने न सिर्फ़ प्रशासनिक सतर्कता पर सवाल खड़े कर दिए हैं, बल्कि यह भी साबित कर दिया है कि वर्दी पहनने की चाह कभी-कभी अपराध की राह तक खींच लाती है।

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फर्जी पुलिस की गिरफ्तारी: जब वर्दी ने सच्चाई छिपाई: गिरफ्तार युवक की पहचान मधुबनी जिले के जयनगर थाना क्षेत्र के कुवाढ गांव निवासी ऋषि कुमार यादव के रूप में हुई है। पुलिस ने बताया कि वह पिछले कई महीनों से शहर के विभिन्न इलाकों विशेषकर मुख्य सड़कों और चौराहों पर खुद को पुलिसकर्मी बताकर वाहन जांच के नाम पर पैसों की वसूली करता था। बेंता थानाध्यक्ष हरेंद्र कुमार को इस संबंध में गुप्त सूचना मिली थी कि एक युवक पुलिस की वर्दी पहनकर लोगों से अवैध रूप से पैसे ले रहा है। कई दिनों तक गुप्त रूप से उसकी गतिविधियों पर नज़र रखी गई।

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अंततः शनिवार की देर शाम बेंता चौक पर उसे रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया गया। गिरफ्तारी के समय उसके पास से फर्जी पुलिस आईडी कार्ड, मोबाइल फोन, पुलिस की वर्दी और एक डंडा बरामद किया गया। पूछताछ में युवक ने कबूल किया कि मैंने सिपाही भर्ती परीक्षा दी थी, पर असफल रहा। पुलिस की वर्दी पहनने की लालसा ने मुझे ये रास्ता दिखाया। मैंने अपने परिवार से झूठ बोला कि मैं पुलिस में भर्ती हो गया हूँ और दरभंगा में तैनात हूँ। शादी के लिए अच्छे रिश्ते और सम्मान पाने की उम्मीद में यह सब किया। उसकी यह स्वीकारोक्ति केवल अपराध की कहानी नहीं, बल्कि सपनों की गलत दिशा की चेतावनी भी है।

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पुरानी याद दिलाती 14 अक्टूबर 2020 की वही शर्मनाक घटना: यह पहला मौका नहीं जब दरभंगा की धरती पर नकली पुलिसकर्मी ने असली कानून को ठेंगा दिखाया हो। 14 अक्टूबर 2020 को भी शहर में ऐसा ही फर्जी पुलिसकर्मी गिरफ्तार किया गया था। उसका नाम था विष्णु भारती, निवासी रहमगंज, थाना लहेरियासराय।विष्णु भारती भी रात के अंधेरे में पुलिस की वर्दी पहनकर वाहनों को रोकता था। सुबह चार से पांच बजे के बीच वह सड़कों पर निकलता और पिस्टल जैसा दिखने वाला एक नकली लाइटर पिस्टल लेकर लोगों को डराकर रुपये वसूलता था। सब्ज़ी लोड वाहन, छोटे व्यवसायी और राहगीर सभी उसके शिकार थे।

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उस दिन दारोगा संतोष कुमार नाका नंबर छह रोड पर गश्त कर रहे थे, जब कई चालकों ने शिकायत की कि एक पुलिसवाला पिस्टल दिखाकर वसूली कर रहा है। दारोगा मौके पर पहुँचे तो पाया कि वह युवक राहगीरों को धमका रहा है। घेराबंदी कर पकड़ा गया, और जब उसकी “पिस्टल” जांची गई, तो वह लाइटर निकला! जेब से वसूले गए रुपये बरामद हुए। लहेरियासराय थानाध्यक्ष एच.एन. सिंह ने उस समय बताया था कि वह युवक लगभग एक वर्ष से रोज सुबह इसी तरह की ठगी कर रहा था। उस पर मुकदमा दर्ज हुआ और उसे जेल भेजा गया।

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पांच साल बीत गए। वक्त बदला, पदाधिकारी बदले, वर्दी वाले भी बदले, लेकिन फर्जी पुलिस की घटनाएं नहीं बदलीं। क्या यह महज़ संयोग है कि दरभंगा में फर्जी पुलिसकर्मी लगातार पकड़े जा रहे हैं? या फिर यह उस प्रणाली की कमजोरी है जो असली और नकली में फर्क नहीं कर पा रही? जब जनता किसी “पुलिसकर्मी” को देखकर डरने की जगह सवाल करने लगे तो यह समझ लीजिए कि विश्वास टूट चुका है। दरभंगा जैसे ऐतिहासिक शहर में यह विश्वास टूटना केवल पुलिस की नहीं, बल्कि प्रशासनिक ढांचे की भी हार है।

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एसएसपी जगुनाथ रेड्डी के लिए चुनौती का समय: दरभंगा के एसएसपी जगुनाथ रेड्डी अपने सख्त और ईमानदार नेतृत्व के लिए जाने जाते हैं। उनके कार्यकाल में अपराध नियंत्रण की दिशा में कई सराहनीय पहलें हुई हैं। पर यह मामला उनके लिए एक नई कसौटी है क्योंकि अब मामला अपराधियों के खिलाफ़ नहीं, बल्कि वर्दी के सम्मान की रक्षा का है। दरभंगा की जनता अब यह देखना चाहती है कि क्या इस बार सिर्फ़ गिरफ्तारी होगी या फिर ऐसे फर्जी वर्दीधारियों पर स्थायी रोक लगाने का ठोस प्रयास भी किया जाएगा।

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आचार संहिता में घटित घटना प्रशासनिक सतर्कता पर प्रश्न: चुनाव के दौर में आचार संहिता लागू है। हर प्रशासनिक इकाई चौकस है, पुलिस बल ड्यूटी पर है, हर चौक-चौराहा निगरानी में है। फिर भी कोई फर्जी पुलिस महीनों तक लोगों से वसूली करता रहे यह बात गले नहीं उतरती। यह घटना प्रशासनिक ढिलाई की तरफ़ इशारा करती है। ऐसे वक्त में जब जनता चुनावी हलचल के बीच सुरक्षा की उम्मीद करती है, वहाँ नकली वर्दीधारी सड़क पर वसूली कर रहे हों तो यह न केवल अपराध है बल्कि जनविश्वास के साथ विश्वासघात भी है। ऋषि कुमार यादव की गिरफ्तारी एक सामाजिक सच्चाई को भी उजागर करती है कि नौकरी पाने की अंधी दौड़, सम्मान की भूख और सामाजिक दिखावे की चाह कभी-कभी इंसान को अपराध की अंधेरी गली में धकेल देती है। वह युवक अगर वर्दी पाने की जगह मेहनत करता, तो शायद आज जेल की कोठरी में नहीं, किसी चौकी पर ड्यूटी पर होता।

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दरभंगा की इस घटना ने एक बार फिर याद दिला दिया कि वर्दी पहन लेना आसान है, वर्दी का धर्म निभाना कठिन। वर्दी सिर्फ़ कपड़ा नहीं, विश्वास की प्रतीक है। और जब उस पर फरेब का धब्बा लग जाता है, तो उसकी चमक नहीं, उसका अस्तित्व तक फीका पड़ जाता है। अब पूरा दरभंगा देखेगा कि क्या एसएसपी जगुनाथ रेड्डी इस घटना को “नज़ीर” बनाएंगे या फिर यह मामला भी पुराने फाइलों की धूल में गुम हो जाएगा।
