दरभंगा:- किसान आंदोलन की दूसरी वर्षगांठ पर दरभंगा समाहरणालय स्थित धरनास्थल पर अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति की ओर से धरना का आयोजन

स्वतंत्र भारत के सबसे बड़े ऐतिहासिक दिल्ली बॉर्डर पर हुए किसान आंदोलन के दूसरी वर्षगांठ व संविधान दिवस के अवसर पर किसानों से वादाखिलाफी व विभिन्न ज्वलंत सवालों को लेकर अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के द्वारा जिला समाहरणालय मुख्यालय पर धरना का आयोजन किया गया। पढ़ें पूरी खबर

दरभंगा:- किसान आंदोलन की दूसरी वर्षगांठ पर दरभंगा समाहरणालय स्थित धरनास्थल पर अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति की ओर से धरना का आयोजन

दरभंगा। स्वतंत्र भारत के सबसे बड़े ऐतिहासिक दिल्ली बॉर्डर पर हुए किसान आंदोलन के दूसरी वर्षगांठ व संविधान दिवस के अवसर पर किसानों से वादाखिलाफी व विभिन्न ज्वलंत सवालों को लेकर अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के द्वारा जिला समाहरणालय मुख्यालय पर धरना का आयोजन किया जाएगा। धरना की अध्यक्षता किसान सभा के जिला अध्यक्ष राजीव कुमार चौधरी ने की। वहीं धरना को किसान सभा के प्रदेश अध्यक्ष राम कुमार झा ने संबोधित करते हुए कहा कि जिला के कोने-कोने से किसान अपने ज्वलंत सवालों को लेकर आए है। हम धरना के द्वारा सरकार के द्वारा जो किसानों से वादाखिलाफी की गई है उसका भी भंडाफोड़ करने आए है।

आज संविधान दिवस है। आज से 2 वर्ष पूर्व इसी दिन किसानों ने तीन किसान विरोधी कृषि कानून के खिलाफ व अपनी विभिन्न मांगो को लेकर दिल्ली के विभिन्न बॉर्डर पर आंदोलन की शुरूआत की थी। देशभर के किसान दिल्ली के अंदर रामलीला मैदान और संसद भवन के सामने अपना संवैधानिक तौर तरीके से शांतिपूर्ण आंदोलन करना चाहती थी, लेकिन सरकार ने उसे दिल्ली बॉर्डर के अंदर घुसने नहीं दिया और किसान दिल्ली बॉर्डर पर ही बैठकर सरकार के खिलाफ निरंतर एक वर्षों तक जुझारू आंदोलन चलाया। इस आंदोलन के दबाव में सरकार ने तीनों कृषि विरोधी काला कानून वापस लेने की घोषणा की मगर उसके साथ जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश की जनता से माफी मांगते हुए जुमला कही थी उसे अभी तक पूरा नहीं किया। उन्होंने कहा था कि हम निरंतर किसानों की आय दोगुनी करने के लिए प्रयास कर रहे हैं, लेकिन सरकार अभी एमएसपी देने पर भी आनाकानी कर रही है। वहीं तीनों कृषि कानून बिल की वापसी के साथ-साथ हम लोग का और कई जुझारू किसान कल्याणकारी मांगते थी जिसे सरकार ने अनदेखा कर दिया।

हम आज दूसरी वर्षगांठ पर सरकार से मांग करते हैं कि हमारे दिल्ली बॉर्डर पर चले आंदोलन के जितने भी मांगे हैं उसे सहर्ष स्वीकार कर उसे पूरा करें अन्यथा किसान फिर से आंदोलन हेतु विवश होगें। धरना के द्वारा धान अधिप्राप्ति में धांधली बंद करों, खाद की कालाबाजारी पर रोक लगाओ तथा निर्धारित कीमत पर पर्याप्त खाद की आपूर्ति हो, आवारा पशुओं की आवारागर्दी पर रोक लगे एवं बर्बाद फसलों का मुआवजा दो, सभी फसलों के लिए फसल बीमा पुन: बिहार में चालू करों, बाढ़-सुखाड़ एवं जल जमाव का स्थायी निदान करों, पिछले वर्ष का सहकारिता राशि का भुगतान, बकाया राशी का भुगतान, सोनमार घाट से हायाघाट बाँध में खरसर गांव लूईस गेट बनाकर पूरानी शांति नदी की धारा को चालू किया जाए आदि मांगे किसान नेताओं ने की। वहीं धरना के द्वारा जिलाधिकारी को देश-राज्य और स्थानीय स्तर के कई समस्याओं से संबंधित ज्ञापन देकर किसानों के ज्वलंत सवालों की ओर सरकार व प्रशासन का ध्यान आकृष्ट किया। धरना को किसान सभा के पूर्व महासचिव नारायणजी झा, किसान सभा के जिला सचिव रामनरेश राय, जिला उपाध्यक्ष विश्वनाथ मिश्र, चंदेश्वर प्रसाद सिंह, शत्रुघ्न झा, गौतम कांत चौधरी, भगवान लाल पासवान, लाल बच्चा झा, गुड्डू यादव, शशि रंजन प्रताप सिंह, जगदीश राम आदि ने संबोधित किया।