दिव्यांग बच्चों के बीच मना लुइस ब्रेल दिवस, कुलपति ने कहा आगे बढ़ रहे हैं देश के दिव्यांग
मानवता का मंदिर है पूअर होम। लुई ब्रेल नेत्रहीनों के नेत्र थे। लनामि विवि हमेशा नेत्रहीनों के प्रति संवेदनशील रहेगा। ये बातें कामेश्वरी प्रिया पूअर होम परिसर अवस्थित लुई ब्रेल हॉस्टल में शुक्रवार को लुई ब्रेल की 169वीं पुण्य स्मृति में आयोजित संगोष्ठी में मुख्य अतिथि कुलपति डॉ. एसपी सिंह ने कही। पढ़ें पूरी खबर...
दरभंगा। मानवता का मंदिर है पूअर होम। लुई ब्रेल नेत्रहीनों के नेत्र थे। लनामि विवि हमेशा नेत्रहीनों के प्रति संवेदनशील रहेगा। ये बातें कामेश्वरी प्रिया पूअर होम परिसर अवस्थित लुई ब्रेल हॉस्टल में शुक्रवार को लुई ब्रेल की 169वीं पुण्य स्मृति में आयोजित संगोष्ठी में मुख्य अतिथि कुलपति डॉ. एसपी सिंह ने कही। ‘लुई ब्रेल : मानवता के प्रेरणास्रोत विषयक संगोष्ठी में कुलपति ने नेशनल ब्लाइंड यूथ एसोसिएशन के राष्ट्रीय महासचिव शोभित यादव की मांग पर दृष्टि दिव्यांग छात्रों को परीक्षा में अतिरिक्त समय तथा राइटर्स फी को विधिवत प्रावधानित करने का आश्वासन दिया। मुख्य वक्ता राष्ट्रीय महासचिव शोभित यादव ने लनामि विवि में दृष्टि दिव्यांग छात्रों के लिए ब्रेल लाइब्रेरी की सुविधा प्रदान किए जाने पर आभार जताया।
साथ ही उन्होंने कहा कि पूरे पूअर होम को उच्च न्यायालय के न्यायादेश के आलोक में अनाथों, निराश्रितों एवं दिव्यांगों को प्राथमिकता देकर होम की संचित लगभग 60 लाख से अधिक की राशि से विकसित किया जाय। विशिष्ट अतिथि प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विवि की स्थानीय प्रमुख आरती बहन ने हर महीने नेत्रहीनों के बीच आकर सेवा कार्य करने की प्रतिबद्धता जताई। विशिष्ट अतिथि आनंद मोहन वर्मा ने लुई ब्रेल को दृष्टि दिव्यांगों के भगवान की संज्ञा दी। पूर्व वित्त अधिकारी सुशील कुमार चौधरी ने निराश्रितों एवं दिव्यांगों के लिए स्थाई कोष विकसित व्यापक सेवा कार्य चलाने का खुलासा किया।
अध्यक्षीय उद्बोधन में प्रो. जयशंकर झा ने तत्कालीन प्रमंडलीय आयुक्त द्वारा पूअर होम परिसर में 10वीं पास छात्रों की उच्चतर पढ़ाई के लिए प्रदत्त छात्रावास के कमरों में रह रहे छात्रों के भोजन की पूरी व्यवस्था का भार स्वीकार किया। साथ ही पूअर होम में अनाथों का पुनर्वास एवं इसका समग्र विकास अविलंब शुरु करने की मांग प्रमंडलीय आयुक्त मनीष कुमार से की। मौके पर राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य विष्णुदेव साह, मंतोष कुमार, शिवनाथ जी महाराज, डॉ. अशोक सिंह, प्रो. मुकेश प्रसाद निराला, उर्मिला बहन, प्रो. प्रभाष झा, निर्सन झा, अनुज सिंह, परमानंद महिपाल, दिनेश बजाज आदि थे।