"जिन गाड़ियों से कभी चिट्ठियाँ आती थीं, अब उन्हीं से ज़हर बांटा जा रहा है दरभंगा पुलिस ने खोला झूठ के इस पार्सल का सच!"

दरभंगा पुलिस की कार्रवाई, 1719 लीटर विदेशी शराब जब्त, 'डाक पार्सल' की आड़ में चल रहा था कारोबार रात की गहराइयों में, जब गाँव के गलियारे खामोश थे, तब कानून की आवाज़ ने भालपट्टी को हिला दिया। ‘डाक पार्सल’ लिखे महिंद्रा पिकअप में छुपी थी वो काली सच्चाई, जिसने शराबबंदी की आत्मा को एक बार फिर लहूलुहान कर दिया. पढ़े पुरी खबर.......

"जिन गाड़ियों से कभी चिट्ठियाँ आती थीं, अब उन्हीं से ज़हर बांटा जा रहा है दरभंगा पुलिस ने खोला झूठ के इस पार्सल का सच!"
जिन गाड़ियों से कभी चिट्ठियाँ आती थीं, अब उन्हीं से ज़हर बांटा जा रहा है दरभंगा पुलिस ने खोला झूठ के इस पार्सल का सच!

दरभंगा पुलिस की कार्रवाई, 1719 लीटर विदेशी शराब जब्त, 'डाक पार्सल' की आड़ में चल रहा था कारोबार रात की गहराइयों में, जब गाँव के गलियारे खामोश थे, तब कानून की आवाज़ ने भालपट्टी को हिला दिया। ‘डाक पार्सल’ लिखे महिंद्रा पिकअप में छुपी थी वो काली सच्चाई, जिसने शराबबंदी की आत्मा को एक बार फिर लहूलुहान कर दिया।

                               ADVERTISEMENT

सूचना से साज़िश तक: कैसे खुला परदा राज्य मद्य निषेध इकाई, बिहार पटना को जब गुप्त सूचना मिली कि दरभंगा के भालपट्टी गांव में विदेशी शराब की एक बड़ी खेप उतर चुकी है, तो न कोई वक्त गंवाया गया, न कागज़ों की खानापूर्ति हुई। सीधे एक्शन! वरीय पुलिस अधीक्षक जगुनाथ रेड्डी जलारेड्डी के नेतृत्व में, सूचना की पुष्टि के साथ मौके पर पहुँची। उस रात न कोई चिल्लाहट थी, न कोई प्रतिरोध। पर जब पिकअप वैन की तलाशी ली गई, तब कानून भी ठिठक गया सामने थीं 191 कार्टून विदेशी शराब, कुल मात्रा: 1719 लीटर।

                                  ADVERTISEMENT

डाक पार्सल' की आड़: जुर्म का नया तरीका यह सिर्फ एक वाहन नहीं था। ये एक चलती-फिरती माया थी जिसके माथे पर ‘डाक पार्सल’ लिखा था, और पेट में शराब की खेप भरी थी। आख़िर सवाल उठता है क्या अब शराबबंदी के दौर में शराब माफिया पोस्ट ऑफिस के बक्सों की तरह शराब बाँटने लगे हैं? क्या हर सफेद रंग का वाहन अब संदेह के घेरे में आ जाएगा?

                                 ADVERTISEMENT

काली रात, काली खेप और कड़ा संकल्प जब्त वाहन में लगे उपकरण भी चौंकाने वाले थे: SBI Fastag स्कैनर ताकि टोल नाके से आसानी से पार हो सके। Airtel सिम संभवतः नेटवर्क से जुड़ाव के लिए। वाहन पर लिखा 'डाक पार्सल' जिससे हर चौकी इसे सरकारी माने और ना रोके। शराबबंदी के नियमों की धज्जियाँ उड़ा रही थी ये साजिश, जिसे पुलिस ने ऐन वक्त पर नाकाम कर दिया।

                                ADVERTISEMENT

शराबबंदी बनाम हकीकत: सवालों के कटघरे में सिस्टम बिहार में पूर्ण शराबबंदी 2016 से लागू है। पर जमीनी हकीकत कुछ और कहती है। भालपट्टी की ये घटना बताती है कि: शराब अब गांवों के गोदामों तक पहुँच चुकी है। माफिया अब ‘गवर्नमेंट-लुक’ अपनाकर जांच एजेंसियों को धोखा दे रहे हैं। पुलिस की सख्ती के बावजूद नेटवर्क आज भी जिंदा है। क्या ये संकेत नहीं कि नीति और अमल के बीच एक बड़ा फासला है?

                                ADVERTISEMENT

कानून की साख बचाने में जुटी पुलिस: इस कार्रवाई से दरभंगा पुलिस ने यह साबित किया कि भले ही माफिया नई-नई चालें चल रहे हों, लेकिन कानून अब सो नहीं रहा, वो सुन रहा है, देख रहा है, और वक्त आने पर चोट कर रहा है।

                                  ADVERTISEMENT

अब आगे की कार्रवाई में: वाहन चालक की तलाश जारी है। मोबाइल और सिम डेटा से नेटवर्क की पहचान की जा रही है। फास्टैग और लोकेशन डेटा से पूरे रूट को ट्रेस किया जा रहा है।

                                 ADVERTISEMENT

भविष्य की दिशा: सख्ती और सजगता दोनों ज़रूरी अगर यह खेप पार हो जाती, तो शायद किसी शादी समारोह में हंसी के साथ खून भी बहता। अगर यह पकड़ में न आती, तो एक और गांव नशे की गिरफ्त में होता। यह सिर्फ 1719 लीटर शराब नहीं थी यह सामाजिक भविष्य को जहर देने की साजिश थी।

                                  ADVERTISEMENT

जनता से अपील या प्रशासन को चुनौती? इस रिपोर्ट के अंत में हम प्रशासन से यह सवाल पूछना नहीं छोड़ सकते: क्या सिर्फ कार्रवाई काफी है, जब साज़िशें हर दिन नया रूप ले रही हैं? क्या गांव-गांव में 'सूत्र' नहीं, 'संपर्क' होने चाहिए ताकि पुलिस को पहले से भनक मिल सके? क्या अब शराबबंदी को सिर्फ कानून से नहीं, समाज की चेतना से जोड़ने की ज़रूरत है?

                                ADVERTISEMENT

दरभंगा की मिट्टी ने एक बार फिर देखा कि जहां जुर्म होगा, वहां कानून अपनी छाया छोड़ जाएगा। भालपट्टी की ये रात नशे की साजिश से सुलगती रही, लेकिन पुलिस की चिंगारी ने उसे जलने से रोक दिया। यह कार्रवाई सिर्फ शराब पर नहीं, व्यवस्था की चेतना पर विश्वास का प्रमाण है।