"दिन के उजाले में दरभंगा की सड़कों पर पिस्टल की बटों से घायल होता न्याय, भंडार चौक बना अपराध का अड्डा और किराना व्यवसायी से चार लाख की लूट ने दहला दिया शहर!"

ये दरभंगा है, मिथिला की सांस्कृतिक राजधानी। लेकिन सोमवार की सुबह इस शहर ने एक ऐसा चेहरा देखा, जहाँ न संस्कृति थी, न कानून का डर, न मानवता की शर्म। विश्वविद्यालय थाना से कुछ ही कदम दूर भरे बाजार में, दिन के उजाले में, अपराध ने उस चेहरे पर पिस्टल की बट से तमाचा मारा जो वर्षों से ईमानदारी से अपना कारोबार करता आ रहा था। भंडार चौक, जहाँ आम दिनों में चाय की दुकानों पर राजनीतिक बहसें चलती हैं, पान की दुकान पर जुगाली होती है, वहां इस बार चर्चा थी "राजू जैन को बट से मारा गया... चार लाख से ऊपर लूट लिए... और पुलिस क्या कर रही थी?"..... पढ़े पुरी खबर.....

"दिन के उजाले में दरभंगा की सड़कों पर पिस्टल की बटों से घायल होता न्याय, भंडार चौक बना अपराध का अड्डा और किराना व्यवसायी से चार लाख की लूट ने दहला दिया शहर!"
"दिन के उजाले में दरभंगा की सड़कों पर पिस्टल की बटों से घायल होता न्याय, भंडार चौक बना अपराध का अड्डा और किराना व्यवसायी से चार लाख की लूट ने दहला दिया शहर!"

दरभंगा: ये दरभंगा है, मिथिला की सांस्कृतिक राजधानी। लेकिन सोमवार की सुबह इस शहर ने एक ऐसा चेहरा देखा, जहाँ न संस्कृति थी, न कानून का डर, न मानवता की शर्म। विश्वविद्यालय थाना से कुछ ही कदम दूर भरे बाजार में, दिन के उजाले में, अपराध ने उस चेहरे पर पिस्टल की बट से तमाचा मारा जो वर्षों से ईमानदारी से अपना कारोबार करता आ रहा था। भंडार चौक, जहाँ आम दिनों में चाय की दुकानों पर राजनीतिक बहसें चलती हैं, पान की दुकान पर जुगाली होती है, वहां इस बार चर्चा थी "राजू जैन को बट से मारा गया... चार लाख से ऊपर लूट लिए... और पुलिस क्या कर रही थी?"

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घटना नहीं, हमला था सटीक, सुनियोजित और बेहिसाब दुस्साहस: घटना सुबह की है। घोघरडीहा, मधुबनी से आने वाले दो अनुभवी किराना व्यवसाई राजकुमार जैन उर्फ राजू जैन (65 वर्ष) और उनके भतीजे संजीत कुमार जैन (52 वर्ष) वर्षों से दरभंगा के बाजार समिति से माल उठाकर कारोबार करते रहे हैं। यह दिन भी उनके लिए सामान्य ही था... शायद सिर्फ उनके लिए।

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लेकिन अपराधियों के लिए यह दिन महीनों की प्लानिंग का फल था। ट्रेन से उतरने के बाद दोनों ने स्टेशन से एक ऑटो पकड़ा, जिसमें एक अन्य सवारी और ड्राइवर भी थे। जैसे ही ऑटो भंडार चौक के पास पहुँचा, बाइक सवार दो अपराधियों ने फिल्मी स्टाइल में ऑटो को रोका। ऑटो की चाबी छीनी गई। ड्राइवर को पीटकर किनारे फेंका गया। सवारी को भगा दिया गया। फिर पिस्टल निकाली गई। और... बारी आई व्यवसायी चाचा-भतीजे की।

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उनके सिर, कंधे और पीठ पर बट की मार पड़ी। चीख-पुकार मची, लेकिन कोई बचाने वाला नहीं था। शहर की भीड़ तमाशबीन बनी रही जैसे यह दरभंगा नहीं, कोई अपराधियों का अखाड़ा हो, जहाँ पुलिस सिर्फ पंचांग में दर्ज एक विभाग बनकर रह गया हो।

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चार लाख से ज्यादा की लूट किसने दी खबर? अब सवाल यह उठता है क्या यह लूट यूं ही हो गई? क्या अपराधियों को पहले से पता था कि इन बुजुर्ग व्यापारी के पास नकदी है? सदर एसडीपीओ अमित कुमार खुद मानते हैं — "यह केवल लूट नहीं है, यह टारगेटेड अटैक है।" तो फिर— क्या व्यापारियों की रेकी घोघरडीहा से ही शुरू हो चुकी थी? क्या रेलवे स्टेशन पर कोई इनकी गतिविधियों पर नजर रखे था? या फिर ऑटो चालक, सवारी या बाजार समिति का कोई इनसे जुड़ा व्यक्ति लीक कर रहा था जानकारी?

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यह कोई सामान्य चोरी या रास्ता लूट नहीं थी। यह अपराधियों का आत्मविश्वास था कि पुलिस कुछ नहीं कर पाएगी। और अफसोस, वो इस आत्मविश्वास में जीत भी गए… अब तक। थाने के साये में अपराध — विश्वविद्यालय थाना क्या केवल बोर्ड है? घटना स्थल विश्वविद्यालय थाना से चंद कदमों की दूरी पर है। फिर भी— न कोई पुलिस पेट्रोलिंग गाड़ी वहां दिखी, न कोई बीट अफसर, न सीसीटीवी के लाइव अलर्ट का कोई असर।

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पुलिस मौके पर तब पहुँची, जब हमलावर आराम से अपने प्लान के साथ भाग निकले। क्या पुलिस केवल घटनाओं के बाद पोस्टर छापने और बयान देने के लिए रह गई है? थानाध्यक्ष सुधीर कुमार कहते हैं कि "बेंता थाना क्षेत्र में मामला आता है, फर्द बयान वहां लिया जा रहा है।" क्या अपराधी थाने की सीमा देखकर हमला करते हैं? पुलिसिया टेक्निकल जांच और फुटेज — क्या समय के साथ ठंडा हो जाएगा मामला?

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सदर एसडीपीओ का दावा है कि टेक्निकल सेल और सीसीटीवी फुटेज से आरोपियों की पहचान की जा रही है। लेकिन जनता अब इन बयानों से थक चुकी है। सीसीटीवी, कॉल डिटेल, और लोकेशन ट्रेसिंग की बातें अब महज प्रेस रिलीज का हिस्सा बनकर रह गई हैं। कब होगा इन अपराधियों का पोस्टर थानों की दीवारों पर? कब होगी गिरफ्तारी, और उससे पहले... क्या और कोई जैन, कोई यादव, कोई मिश्रा निशाना नहीं बनेगा?

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“पिता को देखकर रो पड़ी नेहा जैन” — एक बेटी की लाचारी: घायल व्यवसाई राजू जैन की बेटी नेहा जैन ने कहा "मेरे पिता 20-25 साल से दरभंगा आते रहे हैं, लेकिन आज की यह घटना हमें अंदर तक तोड़ गई है। हम किसी से दुश्मनी नहीं रखते, फिर भी आज हमें निशाना बनाया गया। यह शहर अब सुरक्षित नहीं रहा।"

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व्यवसायी संगठनों का गुस्सा — 'सुरक्षा दो या बंद करो बाजार! ''दरभंगा के व्यापारिक संगठनों में इस घटना को लेकर उबाल है। दरभंगा व्यापारी संघ, खाद्यान्न विक्रेता संघ, और बाजार समिति के कई प्रतिष्ठित दुकानदारों ने सामूहिक विरोध की चेतावनी दी है। व्यवसायी प्रमोद अग्रवाल ने कहा "अगर दरभंगा जैसे शहर में भी दिन के उजाले में व्यवसाई सुरक्षित नहीं हैं, तो कल हमें अपने गेट पर बोर्ड टांगना पड़ेगा 'हम लुटेरे से नहीं, पुलिस की निष्क्रियता से डरते हैं।'"

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मिथिला की मिट्टी से प्रश्न — कब जगेगा दरभंगा? इस घटना ने सिर्फ दो व्यापारियों को घायल नहीं किया, बल्कि दरभंगा शहर की आत्मा को आहत किया है। जहाँ ज्ञान की नगरी में विश्वविद्यालय है, वहीं उसके साए में अपराधियों का नंगा नाच हो रहा है। अब पुलिस, प्रशासन, नेता और समाज — सभी को जवाब देना होगा। यह खबर नहीं, यह चेतावनी है। यह रिपोर्ट नहीं, यह आईना है।

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अगर आज राजू जैन लुटे, तो कल आप भी इस सूची में हो सकते हैं अगर व्यवस्था यूं ही आंखें मूंदे बैठी रही। "मिथिला जन जन की आवाज़" इस खबर पर अपनी विस्तृत अगली रिपोर्ट में लाएगा— 'दरभंगा में व्यापारियों की सुरक्षा की हकीकत', जिसमें हम आपको बताएंगे: दरभंगा में व्यापारिक मार्गों पर CCTV की स्थिति, पुलिस पेट्रोलिंग रूट, थानों की फोर्स उपलब्धता, और लूट के पिछले मामलों में कार्रवाई की दर